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Categories: chemistry

विद्युत रासायनिक श्रेणी , Electrochemical range , मानक वेस्टन सेल (standard weston cell) , नेर्न्स्ट समीकरण

विद्युत रासायनिक श्रेणी : SHE के आधार पर भिन्न भिन्न तत्वो को उनके मानक अपचयन विभव के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करने पर जो श्रेणी प्राप्त होती है , उसे विद्युत रासायनिक श्रेणी कहते है।  यह श्रेणी निम्न प्रकार है –

Li

K

Ba

Ca

Na

Mg

Al

Mn

Zn

Cr

Fe

Cd

Ni

Sn

Pb

H2

Cu

Hg

Ag

Pt

Au

इस श्रेणी में उपस्थित किन्ही दो धातुओ में से ऊपर स्थित धातु एनोड एवं नीचे स्थित धातु कैथोड का काम करती है।

विद्युत रासायनिक सेल के उपयोग में आने वाली समस्याएँ :- इसमें तीन समस्याएं आती है –

(i) यह सेल अनुत्क्रमणीय होते है अत: यह उत्क्रमणीय होने चाहिए।

(ii) इनके ताप गुणांक का मान अधिक होता है।

(iii) इन सेलो में उपस्थित इलेक्ट्रोड के निकट क्षेत्र में विलयन की सांद्रता निरंतर परिवर्तित होती है , अत: इनके सेल विभव का मान स्थिर नहीं होता है।

उपरोक्त समस्याएं मानक वेस्टन सेल में नहीं पायी जाती है।

मानक वेस्टन सेल (standard weston cell) : इस सेल में निम्न गुण होते है।

(i) यह सेल उत्क्रमणीय होता है।

(ii) इसके ताप गुणांक का मान बहुत कम होता है।

(iii) इसके मानक सेल विभव का मान स्थिर होता है।

इसे कैडमियम सेल भी कहते है।  इस सेल में कांच से बना एक H आकृति का पात्र होता है।  इस पात्र के दोनों भागो में नीचे की ओर प्लेटिनम (Pt) के तार लगे होते है।

इसे सेल की दाई नलिका के पैंदे में कैडमियम अमलगम भरा होता है जिसमे 12.5% कैडमियम होता है।

इसके ऊपर CdSO4.8/3 H2O का ठोस लवण भरा होता है तथा इसके ऊपर CdSO4 का संतृप्त विलयन भरा होता है।

इस सेल की बायीं नलिका के पैंदे में Hg भरा होता है इसके ऊपर कैलोमल भरा होता है तथा इसके ऊपर CdSO4.8/3 H2O का ठोस लवण भरा होता है और इसके ऊपर CdSO4 का संतृप्त विलयन भरा होता है।

जब यह सेल कार्यरत होता है तो इसमें निम्न सेल अभिक्रिया होती है –

एनोड पर –

Cd ⇌ Cd2+ + 2e (ऑक्सीकरण)

कैथोड पर –

Hg2SO4 + 2e ⇌ 2Hg + SO42- (अपचयन)

कुल सेल अभिक्रिया :

Cd + Hg2SO4 ⇌ Cd2+ + 2Hg + SO42-

298k ताप पर इस सेल का मानक सेल विभव 1.0183V होता है तथा इसके ताप गुणांक का मान -0.00005V वोल्ट प्रति कैल्विन होता है जो बहुत कम है।

गैल्वेनिक सेल के सेल विभव या विद्युत वाहक बल का मापन : किसी गैल्वेनिक सेल के सेल विभव या विद्युत वाहक बल का मापन विभवमापी से किया जाता है।  विद्युत वाहक बल के मापन में पोगेन्ड्रॉप संपूरक सिद्धान्त का उपयोग होता है।  इस सिद्धांत के अनुसार किसी सेल के सेल विभव के बराबर विभव यदि अन्य सेल द्वारा विपरीत दिशा में लगाया जाए तो परिपथ में विद्युत धारा का प्रवाह रुक जाता है।

इस स्थिति में उस सेल के दोनों इलेक्ट्रोडो के विभव का अंतर ही सेल का विद्युत वाहक बल कहलाता है , इसके लिए परिपथ चित्र निम्न है –

परिपथ चित्र में दर्शाए अनुसार AB एक समान अनुपृष्ठ काट वाला प्लेटिनम इरिडियम (Pt-Ir) मिश्र धातु से बना 01 मीटर लम्बा तार है जो मीटर स्केल पर तना हुआ है।  इस तार के लिए प्लेटिनम इरिडियम मिश्र धातु का उपयोग करते है इसके दो कारण है –

(i) यह धातु कठोर होती है अत: सर्पी सम्पर्क की रगड़ से तार के अनुपृष्ठ काट में कोई परिवर्तन होता है।

(ii) इस तार का प्रतिरोध उच्च होता है , अत: विभव संतुलन में सुविधा रहती है।

परिपथ चित्र में दर्शाए अनुसार एक सीसा संचायक सेल C को तार AB के दोनों सिरों जोड़ देते है।  इस सेल का विद्युत वाहक बल परिपथ में उपस्थित अन्य सेल के विद्युत वाहक बल से थोडा अधिक होता है।  अब AB तार के A सिरे से एक एक अज्ञात सेल को C सेल के विपरीत दिशा में जोड़ते है तथा इस अज्ञात सेल को आगे गैल्वेनोमीटर व सर्पी संर्पक से जोड़ देते है।

परिपथ स्थापित होते ही सीसा संचायक सेल C का विद्युत वाहक बल AB तार पर समान रूप से विपरीत हो जाता है तथा अज्ञात सेल का विद्युत वाहक बल इसका विरोध करता है अत: सर्पी सम्पर्क को AB तार पर चलाकर गैल्वेनो मीटर में शून्य विक्षेप की स्थिति प्राप्त करते है।  इस स्थिति में तार की लम्बाई L1 नोट करते है।

माना अज्ञात सेल का विद्युत वाहक बल Ex हो तो यह तार की लम्बाई AD के समानुपाती होता है।

Ex ∝ AD  [समीकरण-1]

अब परिपथ में से अज्ञात सेल को हटाकर मानक वेस्टन सेल जोड़ते है तथा उसी प्रकार सर्पी सम्पर्क को तार AB पर चलाकर शून्य विक्षेप की स्थिति प्राप्त करते है।  इस स्थिति में तार की लम्बाई L2 नोट करते है।

माना मानक वेस्टन सेल S का विद्युत वाहक बल Es हो तो यह तार की लम्बाई AD1 के समानुपाती होता है।

ES ∝ AD1  [समीकरण-2]

समीकरण 1 व 2 से –

Ex/Es = AD/AD1

Ex = AD.Es/AD[समीकरण-3]

समीकरण-3 से अज्ञात सेल का विद्युत वाहक बल ज्ञात कर सकते है।

गैल्वेनिक सेल के विद्युत वाहक बल (E) व गिब्स ऊर्जा परिवर्तन (△G) में सम्बन्ध : स्थिर ताप व स्थिर दाब पर एक उत्क्रमणीय गैल्वेनिक सेल में किया गया वैद्युत कार्य (W) , सेल द्वारा प्राप्त विद्युत आवेश की मात्रा (NF) व सेल के विद्युत वाहक बल (E) के गुणनफल के बराबर होता है।

विद्युत कार्य (W) = nFE (समीकरण -1)

एक गैल्वेनिक सेल में स्वत: प्रक्रम होता है अत: इसमें किया गया विद्युत कार्य गिब्ज ऊर्जा में किये गए व्यय के बराबर होता है।

इसलिए समीकरण-1 में w = -△G रखने पर –

-△G = nFE

या

△G = -nFE  [समीकरण-2]

समीकरण-2 सेल के विद्युत वाहक बल (E) व △G में सम्बन्ध दर्शाती।  इस समीकरण को मानक परिस्थितियों में निम्न प्रकार लिख सकते है –

△G0 = -nFE0  [समीकरण-3]

अत: एक गैल्वेनिक सेल में :-

स्वत: प्रक्रम के लिए △G = -Ve होगा अत: इसके लिए विद्युत वाहक बल (F) धनात्मक होगा।

अस्वत: प्रक्रम के लिए △G = +Ve होगा अत: इसके लिए विद्युत वाहक बल (F) ऋणात्मक होगा अत: अभिक्रिया स्वत: संपन्न नहीं होगी।

नेर्न्स्ट समीकरण

नेर्न्स्ट नामक वैज्ञानिक ने किसी गैल्वेनिक सेल के विद्युत वाहक बल को ज्ञात करने के लिए एक समीकरण दी जिसे नेर्न्स्ट समीकरण कहते है।

इस समीकरण को △G व △G0 के मध्य ऊष्मागतिक सम्बन्ध से प्राप्त करते है।

यह ऊष्मागतिकी सम्बन्ध निम्न प्रकार है –

△G = △G0 + 2.303RT log K    [समीकरण-1]

△G = गिब्ज ऊर्जा परिवर्तन

△G0 = मानक गिब्ज ऊर्जा परिवर्तन

R = गैस स्थिरांक

T = परम ताप

k = साम्य स्थिरांक

समीकरण-1 में △G = -nFE व  △G0 = -nFE0 रखने पर –

-nFE = -nFE0 + 2.303 RT logK

उपरोक्त समीकरण को -nF से भाग देने पर

E = E0 – 2.303 RT logK/nf [समीकरण-2]

एक गैल्वेनिक सेल की सामान्य अभिक्रिया जैसे : aA + bB ⇌ cC + dD के लिए साम्य स्थिरांक (K) = [C][D]d/[A]a [B]b होगा।

अत: समीकरण-2 में k का मान रखने पर –

E = E0 – 2.303 RT log([C][D]d/[A]a [B]b)/nf  [समीकरण-3]

समीकरण 3 गैल्वेनिक सेल की नेर्न्स्ट समीकरण का सामान्य निरूपण है।

यदि गैल्वेनिक सेल में अभिकारको व उत्पादों की इकाई सांद्रता हो तो गैल्वेनिक सेल की नेर्न्स्ट समीकरण में log 1 = 0 रखने पर =  [Ecell = E0cell]

अर्थात गैल्वेनिक सेल में अभिकारको व उत्पादों की इकाई सान्द्रता होने पर सेल का विद्युत वाहक बल ही मानक विद्युत वाहक बल कहलाता है।

नेर्न्स्ट समीकरण के अनुप्रयोग : नेर्न्स्ट समीकरण द्वारा किसी गैल्वेनिक सेल का सेल विभव एवं अर्द्धसेल का इलेक्ट्रोड विभव ज्ञात कर सकते है।

जैसे 298k ताप पर डेनियल सेल के अर्द्ध सेल के इलेक्ट्रोड विभव एवं पूर्ण सेल के लिए विभव ज्ञात करने की नेर्न्स्ट समीकरण निम्न प्रकार है –

Zn2++ 2e → Zn

EZn2+/Zn = E0Zn2+/Zn – 0.0591log([Zn]/[Zn2+])/2

[Zn] = 1 ; क्योंकि ठोसो की सांद्रता इकाई मानी जाती है अत:

EZn2+/Zn = E0Zn2+/Zn – 0.0591log(1/[Zn2+])/2

Sbistudy

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