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कार्य की परिभाषा क्या है , मात्रक , विमा , सूत्र , इकाई , कार्य किसे कहते है (what is work in hindi)

(what is work in hindi definition) कार्य की परिभाषा क्या है , मात्रक , विमा , सूत्र , इकाई , कार्य किसे कहते है : जब किसी पिण्ड पर बल आरोपित किया जाता है तो उसमे विस्थापन उत्पन्न हो जाता है , तो आरोपित बल व उत्पन्न विस्थापन के गुणनफल के मान को बल द्वारा पिण्ड पर किया गया कार्य कहलाता है।

चित्रानुसार एक पिण्ड है जिस पर F बल आरोपित किया गया है , इस बल के कारण पिण्ड d दूरी तक विस्थापित हो जाता है तो बल द्वारा पिण्ड पर किया गया कार्य = बल x विस्थापन
कार्य (W) = F x d

माना चित्रानुसार किसी पिण्ड पर बल θ कोण पर आरोपित है और वस्तु में इस बल के कारण d विस्थापन उत्पन्न हो जाता है तो बल द्वारा पिंड पर किया गया कार्य –
W = FdCOSθ
यहाँ F = आरोपित बल
d = बल के कारण वस्तु में उत्पन्न विस्थापन
θ = बल तथा उत्पन्न विस्थापन की क्रिया रेखा के मध्य का कोण है।
कार्य एक अदिश राशि होती है , कार्य का SI मात्रक “जूल” होता है और इसका CGS मात्रक “अर्ग” होता है।
नोट : जब किसी वस्तु पर बल आरोपित किया जाए और उसमे जब तक उस बल द्वारा विस्थापन उत्पन्न न हो तब तक बल द्वारा वस्तु पर किये गए कार्य का मान शून्य होता है। जैसे एक आदमी कहता है कि मैं इस जगह पर पूरी रात से खड़ा हूँ और इसमें मुझे बहुत कार्य करना पड़ा तो भौतिक विज्ञान की परिभाषा के अनुसार उसने कोई कार्य किया ही नहीं।
क्यूंकि वह पूरी रात से खड़ा जरुर है और इसमें वह बल भी लगाया होगा लेकिन चूँकि वह पूरी रात से एक जगह पर खड़ा हुआ है अर्थात विस्थापन का मान शून्य है इसलिए भौतिक विज्ञान के अनुसार उस व्यक्ति के द्वारा किया गया कार्य का मान शून्य है।

कार्य कितने प्रकार के होते है (types of work)

कार्य को तीन भागों में विभक्त किया गया है –
1. धनात्मक कार्य (positive work)
2. ऋणात्मक कार्य (negative work)
3. शून्य work (zero work)
अब हम कार्य के इन तीनों प्रकार को विस्तार से अध्ययन करते है और उनके लिए उदाहरण को भी देखते है।
1. धनात्मक कार्य (positive work) : जब वस्तु पर आरोपित बल व वस्तु में उत्पन्न विस्थापन के मध्य बना कोण न्यून कोण हो अर्थात θ का मान 90 डिग्री से कम हो तो कार्य के सूत्र के अनुसार किया गया कार्य का मान धनात्मक होगा।
2. ऋणात्मक कार्य (negative work) : जब पिण्ड पर लगाये गए बल व बल के कारण वस्तु में उत्पन्न विस्थापन के मध्य कोण अधिककोण हो अर्थात θ का मान 90 डिग्री से अधिक हो तो वस्तु पर बल द्वारा किये गये कार्य मान  सूत्र के अनुसार ऋणात्मक होता है।
3. शून्य work (zero work) : जब किसी वस्तु पर आरोपित बल व उत्पन्न विस्थापन के मध्य कोण शून्य हो अर्थात θ का मान शून्य हो तो किया गया कार्य शून्य होता है।
या
बल आरोपित करने के बाद भी वस्तु में कोई विस्थापन उत्पन्न न हो तो भी कार्य का मान शून्य होता है।
या
बल आरोपित ही न किया जाए अर्थात वस्तु पर कोई बल लगाया ही न जाए तो भी किया गया कार्य का मान शून्य होता है।