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स्प्रिंग बल द्वारा किया गया कार्य (work done by a spring force in hindi)

By   November 10, 2018
(work done by a spring force in hindi) स्प्रिंग बल द्वारा किया गया कार्य : जब हम किसी स्प्रिंग को दबाते या खीचते है तो यह वापस अपनी मूल अवस्था में क्यों आ जाती है ? या दुसरे शब्दों में कहे तो हमें स्प्रिंग को दबाने व खींचने में बल की आवश्यकता क्यों होती है ?
इसका कारण है कि स्प्रिन्ग में स्थितिज ऊर्जा विद्यमान होती है।
स्प्रिंग को स्थितिज ऊर्जा : जब किसी स्प्रींग को दबाया जाता है या खिंचा जाता है तो छोड़ते ही यह स्प्रिंग अपनी मूल अवस्था में वापस आ जाती है यह स्प्रिंग में विद्यमान स्थितिज ऊर्जा के कारण होता है।
स्प्रींग जैसे प्रत्यास्थ पदार्थ हुक के नियम का पालन करते है।
हुक का नियम : स्प्रिंग के आकार में परिवर्तन करने के लिए आवश्यक बल का मान स्प्रिन्ग में उत्पन्न विस्थापन के मान पर निर्भर करता है।
यहाँ विस्थापन का अभिप्राय है स्प्रिंग में दबाने व खीचने पर आकार में परिवर्तन को कहते है।
इस आवश्यक बल को प्रत्यानयन बल कहते है।
प्रत्यानयन बल :  वह बल है जो वस्तु को खींचने या दबाने पर इसकी मूल अवस्था में ले जाने का प्रयास करता है।
प्रत्यानयन बल (F) = -kx
यहाँ k = स्प्रिंग नियतांक तथा x = दबाने या खींचने पर उत्पन्न विस्थापन का मान।

स्प्रिंग बल द्वारा किया गया कार्य

जब स्प्रिंग के एक सिरे को दृढ सिरे से बाँध दिया जाए और दुसरे सिरे को खिंचा या दबाया जाए तो प्रत्यानयन बल इसे इसकी मूल अवस्था में ले जाने के लिए कार्य करता है।
स्प्रिंग द्वारा पर कार्यरत प्रत्यानयन बल का मान F = -kx
यहाँ x = स्प्रिंग को खींचने या दबाने से इसकी लम्बाई में परिवर्तन का मान है।
माना एक स्प्रिंग x = 0 पर अपनी मूल अवस्था में स्थित है , अब इसे x = 0 से Xm तक विस्थापित किया गया है तो प्रत्यानयन बल द्वारा किया गया कार्य अर्थात स्प्रिंग द्वारा किया गया कार्य मान निम्न सूत्र द्वारा दी जाती जाती है –
स्प्रिन्ग द्वारा किया गया कार्य
किसी वस्तु की मूल अवस्था से अंतिम स्थिति अर्थात विस्थापित स्थिति तक ले जाने में प्रत्यानयन बल द्वारा द्वारा (स्प्रिंग द्वारा) किया गया कार्य का मान धनात्मक होता है तथा विस्थापित स्थिति से मूल अवस्था में आने में स्प्रिंग द्वारा किया गया कार्य का मान ऋणात्मक होता है।