(conservative and nonconservative forces in hindi) संरक्षी बल और असंरक्षी बल की परिभाषा क्या है , किसे कहते है , उदाहरण : बलों को उनके कुछ गुणों के आधार पर संरक्षी तथा असंरक्षी बल के रूप में बांटा गया है , यहाँ हम इन दोनों बलों को विस्तार से अध्ययन करते है।
संरक्षी बल (conservative force) : वे बल जिनके द्वारा किया गया कार्य का मान पथ पर निर्भर नहीं करता है उन्हें संरक्षी बल कहा जाता है। जब एक बल किसी पिण्ड पर आरोपित किया जाता है तो यह पिण्ड इस बल के कारण एक बिंदु से दुसरे बिन्दु तक विस्थापित हो जाती है अर्थात उस बल द्वारा पिण्ड पर कार्य किया जाता है , यदि पिण्ड पर किया गया कार्य उस पथ (मार्ग) पर निर्भर न करे जिसके द्वारा पिण्ड को विस्थापित किया गया है तो यह आरोपित बल संरक्षी बल कहलाता है , जैसे पिण्ड पर एक बल आरोपित करके उसमे दो अलग अलग दिशा में समान विस्थापन उत्पन्न किया जाए अर्थात अलग अलग मार्ग का अनुसरण किया जाए लेकिन विस्थापन समान हो तो किया गया कार्य का मान समान हो तो इस प्रकार के बल को संरक्षी बल कहते है।
परिभाषा : वह बल जिसके द्वारा किसी वस्तु को एक जगह से दूसरी जगह तक विस्थापित करने में किया गया कार्य का मान पथ पर निर्भर न करे अर्थात जिस पथ द्वारा वस्तु को विस्थापित किया जाए उस मार्ग पर निर्भर नही करता है केवल विस्थापन के मान पर निर्भर करता तो ऐसे बल को संरक्षी बल कहते है।
संरक्षी बल के उदाहरण : गुरुत्वाकर्षण बल , केन्द्रीय बल , चुंबकीय बल , प्रत्यास्थ बल , लोरेन्ज बल स्थिर विद्युत बल आदि को संरक्षी बल कहा जाता है।
गुण : इन बलों के कारण वस्तु की गतिज ऊर्जा के मान में कोइ परिवर्तन नहीं होता है , इन बलों के द्वारा एक बंद पथ में किये गए कार्य का मान शून्य होता है , इन बलों द्वारा किया गया कार्य का मान विस्थापन में अनुसरण किये गए पथ पर निर्भर नहीं नही करता है , इन बलों के लिए संचित ऊर्जा या स्थितिज ऊर्जा को परिभाषित किया जा सकता है या बताया जा सकता है।
असंरक्षी बल (nonconservative force)
स्थिरवैद्युत बल संरक्षी बल होते है (electrostatic forces are conservative in hindi) : यह सिद्ध करने के लिए कि स्थिर विद्युत बलों की प्रकृति संरक्षी होती है , हमें यह दिखाना होगा कि किसी विद्युत क्षेत्र में एकांक धनावेश (परिक्षण आवेश) को किसी बंद लूप पर चलाने में किया गया कार्य शून्य होगा।
चित्रानुसार किसी विद्युत क्षेत्र में दो बिंदु A तथा B है जिन पर विद्युत विभव क्रमशः VA एवं VB है।
यदि बिन्दु A से B तक किसी मार्ग L से होते हुए एकांक आवेश को ले जाया जाए तो –
WAB/q0 = VB – VA . . . .. समीकरण-1
इसी प्रकार यदि बिंदु B से A तक किसी अन्य मार्ग L’ से होते हुए एकांक धनावेश को लाया जाए तो –
WBA/q0 = VA – VB . . . .. समीकरण-2
समीकरण-1 और समीकरण-2 को जोड़ने पर –
WAB/q0 = VB – VA + WBA/q0 = VA – VB = WABA/q0 = 0 (शून्य )
इससे स्पष्ट है वैद्युत क्षेत्र में एकांक धनावेश को किसी बंद पथ पर चलाने में कोई कार्य नहीं किया जाता है अत: स्थिर विद्युत क्षेत्र की प्रकृति संरक्षी होती है तथा स्थिर विद्युत बलों की प्रकृति भी संरक्षि होती है।
इस परिणाम को गणितीय भाषा में निम्न प्रकार से व्यक्त कर सकते है –
∮ E.dl = 0
अर्थात किसी विद्युत क्षेत्र में बंद लूप के लिए विद्युत क्षेत्र का रेखीय समाकलन सदैव शून्य होता है।