यह बल केंद्र बिंदु व वस्तु को मिलाने वाली रेखा के साथ लगता है अर्थात उस रेखा पर कार्यरत होता है।
दुसरे शब्दों में कहे तो बल जिनकी स्थितिज ऊर्जा का मान स्रोत (स्थिर बिन्दु) से दूरी पर निर्भर करता है तथा ये त्रिज्यात बिंदु के रूप में होते है।
F = F(r)
यहाँ F(r) , दूरी r का फलन है।
इन बलों के लिए स्थितिज ऊर्जा दूरी r का एक फलन होती है –
गुरुत्वाकर्षण बल और स्थिर विद्युत बल केन्द्रीय बल के उदाहरण है , ये दोनों बल केंद्र से दूरी पर निर्भर करते है तथा इन बलों की स्थितिज ऊर्जा का मान भी दूरी पर निर्भर करता है।
इन दोनों बलों के लिए स्थितिज ऊर्जा निम्न प्रकार निर्भर रहती है –
केन्द्रीय बल के उदाहरण : गुरुत्वीय बल , स्थिर विद्युत बल ,अभिकेन्द्रीय बल , प्रत्यानयन बल आदि केंद्रीय बल के उदाहरण है।
केन्द्रीय बल के गुण निम्न है –
1. ये बल सर्वव्यापी होते है अर्थात प्रत्येक स्थान पर समान रूप से होती है और हर जगह पाए जाते है।
2. ये एक समीकरण के रूप में व्यक्त किये जा सकते है इसलिए इनके साथ व्यवहार अच्छा होता है अर्थात आसानी से समस्याएँ हल की जा सकती है।
3. केन्द्रीय बल केवल r का फलन होता है।
4. ये बल स्थिर बिंदु से दूर या उसकी तरफ कार्यरत होते है।
5. ये बल संरक्षि प्रकृति के होते है अर्थात इन पर संरक्षण का नियम लागू होता है।
6. जब कोई कण केन्द्रिय बल के प्रभाव में गति कर रहा हो तो उस कण में कोणीय संवेग व यांत्रिक ऊर्जा का मान संरक्षित रहते है।
7. यदि किसी कण पर केन्द्रीय बल कार्यरत है तो इसका अभिप्राय है कि उस कण की गति एक तल के रूप हो रही है।