ऊर्जा भौतिक विज्ञान में बहुत अधिक उपयोग में लाया जाने वाले शब्द है जो किसी वस्तु का वह गुण होता है जिसे किसी एक वस्तु से दूसरी वस्तु में स्थानांतरित करके किसी कार्य को किया जाता है।
ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है अर्थात ऊष्मा संरक्षित रहती है या संरक्षण के नियम की पालना करती है।
ऊर्जा का मात्रक (unit of energy)
ऊर्जा के विभिन्न रूप
ऊर्जा
किसी वस्तु में कार्य करने की क्षमता को उस वस्तु की ऊर्जा कहते हैं। ऊर्जा एक अदिश राशि है। इसका ैप् मात्रक जूल है। वस्तु मे जिस कारण से कार्य करने की क्षमता आ जाती है, उसे ऊर्जा कहते हैं। ऊर्जा दो प्रकार की होती है- गतिज ऊर्जा एवं स्थितिज ऊर्जा।
गतिज ऊर्जा- किसी वस्तु मे गति के कारण जो कार्य करने की क्षमता आ जाती है, उसे उस वस्तु की गतिज ऊर्जा कहते हैं। यदि द्रव्यमान की वस्तु वेग से चल रही हो, तो गतिज ऊर्जा
अर्थात किसी वस्तु का द्रव्यमान दोगुना करने पर उसकी गतिज ऊर्जा दोगुनी हो जाएगी और द्रव्यमान आधी करने पर उसकी गतिज ऊजा आधा हो जाता है। इसी प्रकार वस्तु का वेग दोगुना करने पर वस्तु की गतिज ऊर्जा चार गुनी हो जाएगी और वेग आधा करने पर वस्तु की गतिज ऊर्जा 1/4 गुनी हो जाएगी।
गतिज ऊर्जा एवं संवेग मे संबंध- जहाँ = संवेग = अर्थात संवेग दो गुणा करने पर गतिज ऊर्जा चार गुनी हो जाएगी।
स्थितिज ऊर्जा– किसी वस्तु मे उसकी अवस्था या स्थिति के कारण कार्य करने की क्षमता को स्थितिज ऊर्जा कहते है। जैसे- बाँध बना कर इकट्ठा किए गए पानी की ऊर्जा, घड़ी की चाभी में संचित ऊर्जा, तनी हुई स्प्रिंग या कमानी की ऊर्जा। गुरूत्व बल के विरूद्ध संचित स्थितिज ऊर्जा का व्यंजक है-
च्ण्म्ण् = उही जहाँ उ = द्रव्यमान, ह = गुरूत्वजनित त्वरण, ी= ऊँचाई
ऊर्जा संरक्षण का नियम- ऊर्जा का न तो निर्माण होता है न विनाश अर्थात विश्व की कुल ऊर्जा नियत रहती है। ऊर्जा का केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपान्तरण होता है। जब भी ऊर्जा किसी रूप मे लुप्त होती है, ठीक उतनी ही ऊर्जा अन्य रूपों में प्रकट हो जाती है। यह ऊर्जा संरक्षण का नियम कहलाता है।
ऊर्जा का रूपान्तरण- ऊर्जा रूपानतरण के कुछ उदाहरण नीचे दिये गये है।
उपकरण ऊर्जा का रूपान्तरण
सौर सेल प्रकाश ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में
डायनमो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में
विद्युत मोटर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में
माइक्रोफोन ध्वनि ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में
लाउडस्पीकर विद्युत ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में
सितार यांत्रिक ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में
बल्ब/ट्यूब-लाइट/हींटर का जलना विद्युत ऊर्जा को प्रकाश एवं ऊष्मा ऊर्जा में
मोमबत्ती का जलना रासायनिक ऊर्जा को प्रकाश एवं ऊष्मा ऊर्जा में
कोयले का जलना रासायनिक ऊर्जा को ऊष्मा ऊर्जा में
विद्युत सेल रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में
इंजन ऊष्मा ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में
प्रकाश विद्युत सेल प्रकाश ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में
सौर ऊर्जा– सूर्य, ऊर्जा का विशाल स्त्रोत है। सूर्य का लगभग 70ः द्रव्यमान हाइड्रोजन से, 28ः हीलियम से तथा 2ः अन्य भारी तत्वों से बना है। सूर्य के केन्द्र (बवतम) का तापमान और दाब क्रमशः 1.5 ग 107ज्ञ तथा 2 ग 1016 न्यूटन प्रति वर्ग मीटर है। केन्द्र में उच्च ताप एवं दाब होने के कारण वहाँ नाभिकीय संलयन (निेपवद) की क्रिया होती है। सूर्य के केन्द्र में चार हाइड्रोजन नाभिक संलयित होकर हीलियम नाभिक बनाते है, जिससे अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है। सूर्य से प्रति सेकण्ड 3ण्86ग1026 जूल ऊर्जा निकलती है। यह ऊर्जा विद्युत-चुम्बकीय तरंगें तथा आवेशित कणों के रूप में निकलती हैं। पृथ्वी पर सूर्य की ऊर्जा मुख्यतः विद्युत-चुम्बकीय तरंगों के रूप में पहुँचती है, उसे सौर विकिरण कहते है। विकिरण के गुण उसके अन्दर उपस्थित तरंगों के तरंगदैर्ध्य पर निर्भर करते है। ऊष्मा का अनुभव कराने वाली विकिरण को अवरक्त विकिरण एवं वस्तुओं का दर्शन कराने वाली विकिरण को दृश्य विकिरण या प्रकाश कहते है।