माना वस्तु पर F बल लगाया जाता है , F बल लगाने से वस्तु में S विस्थापन उत्पन्न हो जाता है तो बल द्वारा उस वस्तु पर किया गया कार्य (W)
W = F.S होगा।
अभी तक के अध्ययन में हमने यह माना है कि बल जिस दिशा में लग रहा है विस्थापन उसी दिशा में उत्पन्न हो रहा है।
मान लीजिये विस्थापन बल की दिशा में उत्पन्न नहीं हो रहा अर्थात किसी वस्तु पर चित्रानुसार बल एक θ परआरोपित हो रहा है तथा विस्थापन क्षैतिज में उत्पन्न हो रहा है तो ऐसी स्थिति में विस्थापन की दिशा में घटक को लिया जाता है और विस्थापन व विस्थापन की दिशा में बल के घटक को गुणा करके कार्य की गणना की जाती है।
माना चित्रानुसार F बल किसी वस्तु पर θ कोण से लगाया जाता है जिससे वस्तु में क्षैतिज में S विस्थापन उत्पन्न हो जाता है।
तो किया गया कार्य
W = S.Fcosθ
कार्य एक अदिश राशि है और कार्य ज्ञात करने के लिए बल तथा विस्थापन के मध्य अदिश गुणनफल ही किया जाता है।
कार्य का मात्रक जूल (joule) होता है।
विशेष स्थितियाँ
ऊर्जा (energy)
कार्य – ऊर्जा प्रमेय
शोर्ट नोट्स फॉर IIT और NEET
कार्य :
W = बल x बल की दिशा में विस्थापन
W = F.s
W = F.s cosθ
बल विस्थापन वक्र : जब परिवर्ती बल F के द्वारा किसी पिंड को x1 से x2 तक विस्थापित किया जाता है तब किया गया कार्य –
W = x1∫x2 F.dx , छायांकित क्षेत्र का क्षेत्रफल
(i) संरक्षी बल : जब किसी बल के विरुद्ध वस्तु को ले जाने में किया गया कार्य वस्तु की प्रारंभिक एवं अंतिम स्थिति पर निर्भर करता है , पथ की प्रकृति पर नहीं , तो इस बल को संरक्षी बल कहते है।
संरक्षि बल के उदाहरण : गुरुत्वाकर्षण बल , चुम्बकीय बल , स्थिर विद्युत बल आदि संरक्षी बल है।
(ii) असंरक्षी बल : जब किसी बल के विरुद्ध वस्तु को ले जाने में किया गया कार्य वस्तु की प्रारम्भिक स्थिति तथा अंतिम स्थिति पर निर्भर नहीं करता है बल्कि पथ की प्रकृति पर निर्भर करता है तो इस बल को असंरक्षी बल कहते है।
असंरक्षी बल के उदाहरण : घर्षण बल , श्यान बल असंरक्षी बल के उदाहरण है।
W = (F-x) ग्राफ और विस्थापन अक्ष के मध्य का क्षेत्रफल।
(iii) किसी कमानी को खींचने पर प्रत्यानयन बल के विरुद्ध किये गए कार्य का मान –
W = △ABC
W = Kx2/2
SI पद्धति में कार्य का मात्रक = जूल
CGS पद्धति में कार्य का मात्रक = अर्ग
1 जूल = 107 अर्ग
कार्य ऊर्जा प्रमेय : इस प्रमेय के अनुसार किसी बल द्वारा किया गया कार्य वस्तु की गतिज ऊर्जा में परिवर्तन के बराबर होता है।
W = Kf – Ki
W = mv2/2 – mu2/2
यहाँ Kf वस्तु की अंतिम गतिज ऊर्जा और Ki वस्तु की प्रारंभिक गतिज ऊर्जा है।
ऊर्जा संरक्षण का नियम : इस नियम के अनुसार , ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है तथा न ही नष्ट किया जा सकता है , केवल उसका रूपांतरण होता है।
अत: किसी विलगत निकाय की सम्पूर्ण ऊर्जाओं का कुल योग नियत रहता है। यह प्रकृति का मूलभूत नियम है।
शक्ति :
- किसी वस्तु की कार्य करने की दर को शक्ति कहते है।
P = W/t
- यदि बल के कारण वस्तु v वेग से चलती , तो शक्ति
P = बल x वेग
P = F x v
- तात्कालिक शक्ति –
Pतात्कालिक = dW/dt
= F.v
= F.v.cosθ
गतिज ऊर्जा :
(i) v वेग से गतिमान m द्रव्यमान की वस्तु की गतिज ऊर्जा
E = mv2/2
E = (संवेग)2/2xद्रव्यमान
E = p2/2m
(ii) घूमते हुए पिंड की गतिज ऊर्जा = रेखीय गतिज ऊर्जा + घूर्णी गतिज ऊर्जा
E = mv2/2 + Iw2/2
(iii) दो वस्तुओं के संवेग समान होने पर –
E1/E2 = m1/m2
(iv) दो वस्तुओं की गतिज ऊर्जा समान होने पर –
P1/P2 = √m1/√m2
स्थितिज ऊर्जा :
प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा = Kx2/2
गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा = mgh = -GMm/r
स्थितिज ऊर्जा और कार्य में सम्बन्ध △U = -△W
स्थितिज ऊर्जा और संरक्षी बल में सम्बन्ध –
F = -dU/dr
= -(U-r) वक्र की ढाल
प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1. एक ग्राम और चार ग्राम द्रव्यमान की दो वस्तुएं समान गतिज ऊर्जा से गतिमान है। उनके संवेगों का अनुपात है –
(a) 4:1
(b) √2 : 1
(c) 1:2
(d) 1:16
प्रश्न 2. निश्चित शक्ति देने वाली मशीन द्वारा एक पिण्ड को सरल रेखा के अनुदिश चलाया जाता है। समय t में पिंड द्वारा चली गयी दूरी अनुक्रमानुपाती है –
(a) t1/2
(b) t3/4
(c) t3/2
(d) t2
प्रश्न 3. एक समरूप जंजीर , जिसकी लम्बाई L और द्रव्यमान M है , एक चिकनी मेज पर पड़ी हुई है और उसकी एक तिहाई लम्बाई उर्ध्वाधर निचे की तरफ मेज के किनारे लटकी है। यदि g गुरुत्वीय त्वरण है तो इस नीचे लटके भाग को ऊपर खींचने के लिए आवश्यक कार्य होगा –
(a) MgL
(b) MgL/3
(c) MgL/9
(d) MgL/18
प्रश्न 4. एक कण जिसका द्रव्यमान m है , r त्रिज्या के वृत्तीय पथ में इस प्रकार भ्रमण कर रहा है कि उसका अभिकेन्द्र त्वरण ac समय t के साथ समीकरण ac = k2rt2 (जहाँ k एक नियतांक है ) के अनुसार परिवर्तित होता है। कण पर कार्य करने वाला बल द्वारा कण को प्रदत्त शक्ति है।
(a) 2πmk2r2
(b) mk2r2t
(c) mk4r2t5/3
(d) शून्य
प्रश्न 5. L लम्बाई की एक डोरी से बंधा पत्थर उर्ध्वाधर वृत्त में इस प्रकार घुमाया जाता है जबकि डोरी का दूसरा सिरा वृत्त के केंद्र पर रहता है। किसी निश्चित समय पर जब पत्थर निम्नतम स्थिति में है , उसकी चाल u है। डोरी की क्षैतिज अवस्था में पत्थर के वेग में परिवर्तन का परिमाण है।
(a) √u2 – 2gL
(b) √2gL
(c) √u2 – gL
(d) √2(u2 – gL)
प्रश्न 6. xy तल में गतिमान एक कण पर एक बल F = -k (yi + xj) (जहाँ k एक धनात्मक नियतांक है) कार्य करता है। मूल बिंदु से प्रारंभ करते हुए पहले कण को धन x अक्ष की दिशा में बिंदु (a , 0) तक ले जाया जाता है , पुनः y अक्ष के समान्तर बिंदु (a , a) तक ले जाया जाता है। कण पर बल F द्वारा किया गया कार्य है –
(a) -2ka2
(b) 2ka2
(c) -ka2
(d) ka2
प्रश्न 7. k बल नियतांक की एक स्प्रिंग को , दो भागों में इस प्रकार काटा जाता है कि एक भाग की लम्बाई दूसरे भाग की लम्बाई से दोगुनी है। लम्बे भाग का बल नियतांक होगा।
(a) (2/3)k
(b) 3/2 k
(c) 3k
(d) 6k
प्रश्न 8. एक पवन शक्ति जनित्र पवन ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। यह मानते हुए कि जनित्र अपने पंखो द्वारा अवरुद्ध पवन के एक निश्चित भाग को वैद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है , वायु की गति v के लिए निर्गत वैद्युत शक्ति समानुपाती होगी –
(a) v के
(b) v2 के
(c) v3 के
(d) v4 के
प्रश्न 9. एक आदर्श स्प्रिंग जिसका स्प्रिंग नियतांक k है छत से लटकाया गया है और स्प्रिंग के निचले सिरे पर M द्रव्यमान का एक ब्लॉक जोड़ा गया है। प्रारंभ में स्प्रिंग खिंची अवस्था में नहीं है , द्रव्यमान M को मुक्त कर देने पर स्प्रिंग में उत्पन्न अधिकतम विस्तार है –
(a) 4Mg/k
(b) 2Mg/k
(c) Mg/k
(d) Mg/2k
उत्तरमाला :
- (c)
- (c)
- (d)
- (b)
- (d)
- (c)
- (b)
- (c)
- (b)