“अर्थात जब तापमान को नियत रखा जाता है तो आदर्श गैस का आयतन व परम ताप का गुणन नियत माना जाता है ”
V ∝ 1/P [ताप = नियत]
VP = नियत , जबकि ताप नियत रखा गया।
बॉयल के नियम का गणितीय विश्लेषण
∝ T
गैसों का आचरण
1738 में डैनियल बर्नोली ने हाइड्रोडायनामिका में गैस के अणुगति सिद्धान्त का नियम दिया तथा इसकी पुष्टि james clerk maxwell , rudolf clausius एवं kroning ने किया। बरनोली के अनुसार “सभी गैसें छोटे-छोटे कणों से बनी होती हैं’’ इन कणों को उन्होंने अणु नाम दिया।
गैस के प्रत्येक अणु एक समान होते हैं और सभी दिशा में गतिशील होते हैं, गैसों के बीच अंतर आण्विक बल नहीं होता है, गैसों की अणु औसत गतिज ऊर्जा उनके परम ताप के समानुपाती होता हैं, गैस के अणु यदि बर्तन की दीवारों से टकराते हैं तो इनके कारण गैस दाब उत्पन्न होता है।
गैस की गति को तीन प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं
(i) औसत गतिः गैसों की सभी अणुओं की गति के अंकगणितीय औसत को औसत गति कहते हैं।
(ii) मूल गतिः अणुओं की गति की औसत वर्गमूल को मूल-मध्यवर्ग गति कहते हैं।
(iii) अति संभाव्य गतिः किसी ताप पर सबसे अधिक अणुओं द्वारा धारित गति को अति संभाव्य गति कहते हैं।
बॉयल का नियमः 1662 में बॉयल ने बताया की “स्थिर ताप पर गैस के निश्चित मात्रा का आयतन उसके दाब के व्युत्क्रमानुपाती होता है’’ अर्थात् बॉयल के अनुसार स्थित ताप पर गैस का दाब बढ़ता है और आयतन घटता है और दाब के घटने से आयतन बढ़ता है।