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परिक्षेपण माध्यम , परिक्षिप्त प्रावस्था , बहु आणविक कोलाइड , वृहद आणविक कोलाइड , संगुणित / सहचारी कोलाइड (associated colloids)

कोलाइडो का वर्गीकरण (Types of colloids) : इनका वर्गीकरण निम्न आधार पर करते है –

(A) परिक्षेपण माध्यम के आधार पर कोलाइडो के प्रकार :-
परिक्षेपण माध्यम
कोलाइड का प्रकार
जल
हाइड्रोसॉल
बेंजीन
बेन्जोसॉल
एल्कोहोल
एल्कोसॉल
वायु
एरोसॉल
(B) परिक्षिप्त प्रावस्था व परिक्षेपण माध्यम की भौतिक अवस्था के आधार पर कोलाइडो के प्रकार :- इस आधार पर आठ प्रकार के कोलाइड होंगे।
परिक्षिप्त अवस्था
परिक्षेपण माध्यम
कोलाइड का प्रकार
उदाहरण
ठोस
ठोससॉल
खनिज , विभिन्न
रत्न , काले हीरे , रूबीग्लास
2.
ठोस
द्रव
सॉल
स्टार्चसॉल , गोंद
सॉल , स्वर्ण सॉल , पेंट
3.
ठोस
गैस
ठोस एरोसॉल
धुआं , धुल का
तूफान
4.
द्रव
ठोस
जैल
पनीर , दही ,
मक्खन , जैमजैली , बूट पोलिश , टूथपेस्ट
5.
द्रव
द्रव
इमल्सन या पायस
दूध , दवाइयां
6.
द्रव
गैस
द्रव एरोसॉल
धुंध या कोहरा ,
बादल , किटनाशक स्प्रे
7.
गैस
ठोस
ठोस झाग / स्पंज
फोम
ब्रेड , केक , रबर
, सूखे समुद्री झाग
8.
गैस
द्रव
झाग / फोम(फेन)
फोम , फैटी गयी
क्रीम , सोडावाटर के झाग
यदि परिक्षिप्त प्रावस्था व परिक्षेपण माध्यम दोनों ही गैस हो तो इनसे समांगी विलयन बनता है अत: यह कोलाइडी विलयन की श्रेणी में नहीं आता है।
(C) परिक्षिप्त प्रावस्था व परिक्षेपण माध्यम के मध्य आकर्षण बलों के आधार पर कोलाइडो के प्रकार : इस आधार पर कोलाइड दो प्रकार के होते है –
i. द्रव स्नेही कोलाइड / द्रवरागी कोलाइड (lyophilic colloids)
ii. द्रव विरोधी कोलाइड / द्रव विरागी कोलाइड (lyophobic colloids)
i. द्रव स्नेही कोलाइड / द्रवरागी कोलाइड (lyophilic colloids) : ऐसे कोलाइड जिनमे परिक्षिप्त प्रावस्था व परिक्षेपण माध्यम के मध्य आकर्षण बल पाया जाता है , द्रव स्नेही कोलाइड कहलाते है।
यदि परिक्षेपण माध्यम जल हो तो उसे जल स्नेही कोलाइड (hydrophilic colloids) कहते है।
उदाहरण : स्टार्च सॉल , गोंद सॉल आदि।
ii. द्रव विरोधी कोलाइड / द्रव विरागी कोलाइड (lyophobic colloids) : ऐसे कोलाइड जिनमे परिक्षिप्त प्रावस्था व परिक्षेपण माध्यम के मध्य आकर्षण बल नहीं पाया जाता , द्रव विरोधी कोलाइड कहलाते है।
यदि परिक्षेपण माध्यम जल हो तो इसे जल विरोधी कोलाइड (hydrophobic colloid) कहते है।
उदाहरण :
धातुओ के सॉल (Ag का सॉल , Au सॉल)
अधातुओं के सॉल (सल्फर सॉल)
धातु सल्फाईट सॉल (As2Sसॉल )
धातु हाइड्रोक्साइड सॉल (Fe(OH)सॉल)

द्रव स्नेही व द्रव विरोधी कोलाइडो में अंतर

 द्रव स्नेही कोलाइड / द्रवरागी कोलाइड
 द्रव विरोधी कोलाइड / द्रव विरागी कोलाइड
 1. इनमे परिक्षिप्त प्रावस्था व परिक्षेपण माध्यम के मध्य आकर्षण बल पाया जाता है। 
  इनमे परिक्षिप्त प्रावस्था व परिक्षेपण माध्यम के मध्य आकर्षण बल नहीं पाया जाता है।
 2. इन्हें सामान्य विधियों द्वारा बना सकते है।  (परिक्षिप्त प्रावस्था को परिक्षेपण माध्यम में घोलकर)
 इनको विशिष्ट विधियों द्वारा बनाया जाता है। 
(ब्रेडिंग आर्क विधि , पेप्टिकरण विधि आदि )
 3. यह उत्क्रमणीय सॉल होते है। 
 यह अनुत्क्रमणीय सॉल होते है।
 4. इनका स्थायित्व अधिक होता है। 
 इनका स्थायित्व कम होता है। 
 5. इनकी श्यानता परिक्षेपण माध्यम की श्यानता से अधिक होती है। 
 इनकी श्यानता परिक्षेपण माध्यम की श्यानता के बराबर होती है।
 6. इनका पृष्ठ तनाव परिक्षेपण माध्यम के पृष्ठ तनाव से कम होता है। 
  इनका पृष्ठ तनाव परिक्षेपण माध्यम के पृष्ठ तनाव के बराबर होता है।
 7. यह टिंडल प्रभाव नहीं दर्शाते है। 
 यह टिंडल प्रभाव दर्शाते है।
 8. इनके स्कंदन के लिए विद्युत अपघट्य की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है। 
 इनके स्कंदन के लिए विद्युत अपघट्य की कम मात्रा की आवश्यकता होती है।
 9. यह आसानी से जलयोजित हो जाते है। 
 यह आसानी से जल योजित नहीं होते है। 
 10. इनमे कणों को परासूक्ष्मदर्शी से भी नहीं देख सकते है। 
 इनमे कणों को परा सूक्ष्म दर्शी से देख सकते है। 
 परिक्षिप्त प्रावस्था के कणों के आकार के आधार पर कोलाइडो के प्रकार :-
i. बहुआण्विक कोलाइड (multimolecular colloid)
ii. वृहदाण्विक कोलाइड (macromolecular colloid)
iii. संगुणित / सहचारी कोलाइड (associated colloids)
i. बहुआण्विक कोलाइड (multimolecular colloid) : ऐसे कोलाइड जिनमे कोलाइड कण सूक्ष्म कणों से मिलकर बने होते है , बहु आण्विक कोलाइड कहलाते है।
ऐसे कोलाइड बनाने वाले पदार्थो को परिक्षेपण माध्यम में घोलने पर इनके कण वांडरवाल बलों द्वारा बंधित होकर कोलाइडी आकार के कणों का निर्माण कर लेते है।
उदाहरण : सल्फर (S8) को जल में घोलने पर सल्फर के एक हजार कण आपस में मिलकर कोलाइडी आकार के कणों का निर्माण कर लेते है।
ii. वृहदाण्विक कोलाइड (macromolecular colloid) : ऐसे कोलाइड बनाने वाले पदार्थ वृहद् अणु या बहुलक के रूप में होते है , इन पदार्थो को परिक्षेपण माध्यम में घोलने पर इनके कण कोलाइडी आकार के कणों में परिवर्तित हो जाते है अत: इन्हें वृहद आणविक कोलाइड कहते है।
उदाहरण : स्टार्च , विटामिन , बहुलक , पोलीथिन , एंजाइम , प्रोटीन , सेल्युलोज , प्लास्टिक आदि।
पदार्थ परिक्षेपण माध्यम में घुलकर वृहदाण्विक कोलाइड बनाते है।
iii. संगुणित / सहचारी कोलाइड (associated colloids) : ऐसे पदार्थ जो कम सान्द्रता पर प्रबल विद्युत अपघट्य के समान व्यवहार करते है लेकिन अधिक सांद्रता पर इनके आयन आपस में सहगुणित होकर कोलाइडी आकार के गुच्छो (पुंज) का निर्माण करते है।
इस गुच्छे को मिसेल कहते है तथा ऐसे पदार्थ सहगुणित या सहचारी कोलाइड कहलाते है।
उदाहरण : साबुन या अपमार्जक का जलीय विलयन।

मिसेल निर्माण से सम्बंधित परिभाषाएँ

1. क्राफ्ट ताप : वह निश्चित ताप जिससे अधिक ताप पर मिसेल का निर्माण होता है , क्राफ्ट ताप कहलाता है।
2. क्रांतिक मिसेल सान्द्रता (CMC) : वह निश्चित सांद्रता जिससे अधिक सांद्रता पर मिसेल का निर्माण होता है , क्रांतिक मिसेल सांद्रता कहलाती है।
साबुन के जलीय विलयन के लिए CMC का मान 10-4 से 10-3 मोल/लीटर होती है।
मिसेल निर्माण की क्रियाविधि : साबुन स्टियरिक अम्लो के सोडियम लवण होते है , यह कम सांद्रता पर जल में निम्न प्रकार आयनित होकर स्टियरेट आयन बनाते है।
C17H35COONa
⇌ C17H35COO
+ Na+
स्टियरेट आयन के दो भाग होते है –
i. हाइड्रो कार्बन भाग
ii. ऋण आवेशित भाग
हाइड्रोकार्बन भाग जल प्रतिकर्षि भाग होता है तथा ऋण आवेशित भाग जल आकर्षी भाग होता है।  साबुन को अधिक मात्रा में जल में घोलने पर बने हुए स्टियरेट आयन हाइड्रो कार्बन भाग द्वारा आपस में जुड़कर एक गुच्छे नुमा संरचना बनाते है जिसे मिसेल कहते है , इसका आकार कोलाइडी कण के आकार के बराबर होता है तथा इसकी संरचना में ऋण आवेशित भाग बाहर की ओर होता है।
प्रश्न 1 : साबुन की शोधन क्रियाविधि समझाइये।
उत्तर : साबुन का जल में बना विलयन कोलाइडी विलयन होता है , इसमें स्टियरेट आयन उपस्थित होते है।  जैसे ही साबुन युक्त जल को गंदगी युक्त कपड़ो पर गिराते है तो साबुन के जल में उपस्थित स्टियरेट आयन हाइड्रोकार्बन भाग द्वारा गंदगी से चिपक जाते है तथा ऋण आवेशित भाग कांटो के रूप में बाहर की ओर निकला रहता है।  अब इन कपड़ो को जल से खगालने पर जल ध्रुवीय होने के कारण स्टियरेट आयनो के ऋण आवेशित भाग को अपनी ओर आकर्षित करता है अत: स्टियरेट आयनों के साथ साथ कपड़ो पर लगी गन्दगी भी दूर हो जाती है तथा कपडे स्वच्छ हो जाते है।