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विटामिन क्या है , प्रकार ,न्यूक्लिक अम्ल , संरचना , RNA तथा DNA में अन्तर , महत्व , एन्जाइम

विटामिन (What is vitamins): आहार के साथ लिए जाने वाले वे कार्बनिक पदार्थ जो विशिष्ट जैविक क्रिया के लिए उत्तरदायी होते है जिससे की जीव की इष्टतम वृद्धि तथा स्वास्थ्य का रख रखाव हो सके उन्हें विटामिन कहते है।

विटामिन A , B , C , D , E आदि प्रकार के होते है।

विटामिन का वर्गीकरण :

विलेयता के आधार पर ये दो प्रकार के होते है।

  1. वसा विलेय विटामिन – ये जल में अविलेय परन्तु तेल व वसा में विलेय होते है जैसे – विटामिन A , D , E , K
  2. जल विलेय विटामिन – ये वसा में अविलेय परन्तु जल में विलेय होते है जैसे विटामिन B , C

नोट : ये विटामिन शरीर में संचित नहीं होते परन्तु जल में विलेय होने के कारण मूत्र द्वारा उत्सर्जित हो जाते है अतः शरीर में इनकी आपूर्ति बनी रहनी चाहिए।

विटामिन की कमी से होने वाले रोगों को अभाव रोग कहते है।

 विटामिन  अभाव रोग  स्त्रोत
 विटामिन – A  रात्रि अंधता या रतौंधी
 B1  बेरी -बेरी
 B  होठ का फटना
 B  मरोड़ आना
 B12   RBC में HB की कमी होना
 C  स्कर्वी
 D  रिकेट्स
 E  RBC का भूर भूरा होना
 K  रक्त का थक्का देरी से बनना

न्यूक्लिक अम्ल :

जीवों के वे गुण जो एक पीढ़ी से दूरी पीढ़ी में जाते है उन्हें अनुवांशिक गुण कहते है , केन्द्रक में उपस्थित गुणसूत्र अनुवांशिक गुणों के लिए उत्तरदायी होते है , ये गुणसूत्र प्रोटीन व न्यूक्लिक अम्ल के बने होते है न्यूक्लिक अम्ल दो प्रकार के होते है।

  1. राइबोज़ न्यूक्लिक अम्ल (RNA)
  2. डी ऑक्सी राइबोज न्यूक्लिक अम्ल (DNA)

न्यूक्लिक अम्ल का संगठन : न्यूक्लिक अम्ल के पूर्ण जल अपघटन से निम्न पदार्थ बनते है

A . शर्करा

B . क्षार

C . फॉस्फोरिक अम्ल

(A) . शर्करा : यह दो प्रकार की होती है

  • β-D-राइबोस
  •  β-D-2 डी ऑक्सी राइबोज़

न्यूक्लिक अम्ल की संरचना :

  • शर्करा तथा क्षार मिलकर न्यूक्लिओ साइड का निर्माण करते है।
  • शर्करा के C’ कार्बन से क्षार जुड़ता है।
  • न्यूक्लिओ साइड तथा फास्फोरिक अम्ल मिलकर न्यूक्लिओटाइड बनते है।
  • बहुत सारे न्यूक्लिओटाइड पॉली न्यूक्लिओटाइड बनाते है जिसे न्यूक्लिक अम्ल कहते है।
  • दो न्यूक्लिओटाइड जिस बंध से जुड़े होते है उसे फास्फोडाइऐस्टर बंध कहते है , यह बंध शर्करा के 3′ व 5′ कार्बन के मध्य बंधता है।

DNA (डीएनए ) की संरचना :

  • डीएनए की संरचना द्वीकुण्डलित होती है।
  • इसमें पॉली न्यूक्लिओटाइड की दो शृंखला होती है जिन्हे रज्जुक कहते है।
  • दोनों रज्जुक एक दूसरे से हाइड्रोजन बंध द्वारा जुड़े होते है।
  • एक रज्जुक पर लगे प्यूरीन क्षार दूसरे रज्जुक पर लगे पिरिडिमिन क्षारों के ठीक सामने होते है यहाँ A , T के साथ द्वी हाइड्रोजन बंध द्वारा , G , C के साथ तीन हाइड्रोजन बंध द्वारा जुड़े होते है।
  • क्षार युग्म विशिष्टता के आधार पर एक रज्जुक पर लगे क्षारों का क्रम दूसरे रज्जुक पर लगे क्षारो के क्रम को निर्धारित करता है , अतः हम कह सकते है की दोनों रज्जुक एक दूसरे के समान तो नहीं होते परन्तु एक दूसरे के पूरक होते है।

RNA की संरचना :

  • RNA यह एक कुंडलित होता है , इसमें राइबोज शर्करा होती है इसमें थाइमिन क्षार नहीं होता ये तीन प्रकार के होते है।

m – RNA

r – RNA

T – RNA

न्यूक्लिक अम्ल का जैविक महत्व :

  • अनुवांशिक गुणों को एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में पहुंचाने में।
  • जीवों के विभिन्न प्रजातियों की पहचान में।
  • DNA में स्व प्रतिकरण का गुण पाया जाता है।
  • RNA प्रोटीन संश्लेषित में सहायक है परन्तु प्रोटीन संश्लेषण का सन्देश DNA में उपस्थित रहता है।

RNA तथा DNA में क्या अन्तर है ?

 RNA  DNA
 1. इसमें रज्जुक कुंडलित अवस्था में होता है  इसमें दो रज्जुक द्वीकुंडलित अवस्था में होते है।
 2. इसमें β-D-राइबोस शर्करा होती है।  इसमें β-D-2 डी ऑक्सी राइबोज़ शर्करा होती है।
 3. इसमें AGCU क्षार होते है।  इसमें ATCG क्षार होते है।
 4. यह प्रोटीन संश्लेषण का कार्य करता है  यह अनुवांशिक गुणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुँचाता है
 5. यह मुख्यत कोशिका द्रव्य में पाया जाता है  यह केन्द्रक में पाया जाता है।
 6. इसमें स्व प्रतिकरण का गुण नहीं होता  इसमें स्व प्रतिकरण का गुण पाया जाता है।
 7. ये तीन प्रकार के होते है  यह एक ही प्रकार का होता है।

एन्जाइम :

गोलिकाकार प्रोटीन के बने हुए वे कार्बनिक पदार्थ जो जैव रासायनिक क्रियाओं में उत्प्रेरक का काम करते है उन्हें एंजाइम कहते है , इनके नाम का अंत में प्राय लगाया जाता है।