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Categories: chemistry

अष्टक नियम , आयनिक बंध , सहसंयोजक बंध , उपसहसंयोजक बंध , अष्टक नियम के अपवाद

अष्टक नियम : वे परमाणु जिनके बाह्यतम कोश में आठ इलेक्ट्रॉन होते है वे अधिक स्थायी होते है तथा रासायनिक रूप से अक्रिय होते है अर्थात क्रिया नहीं करते है।
उदाहरण : उत्कृष्ट या अक्रिय गैसें।
वे परमाणु जिनके बाह्यतम कोश में आठ से कम इलेक्ट्रॉन होते है , वे इलेक्ट्रॉन लेकर या देकर या साझा करके अष्टक नियम की पालना करते है तथा तीन प्रकार के बंध बनाते है जो निम्न है –

1. आयनिक बंध

दो भिन्न विद्युत ऋणता वाले परमाणुओं के मध्य इलेक्ट्रॉन के पूर्ण स्थानांतरण से बने बन्ध को आयनिक बंध कहते है।

जो परमाणु इलेक्ट्रॉन त्यागता है , उस पर धनावेश तथा जो परमाणु इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है उस पर ऋणावेश होता है।
इस प्रकार से बने धनायन व ऋणायन के मध्य प्रबल विद्युत आकर्षण बल होता है।
उदाहरण : NaCl Na+ + Cl

आयनिक बंध की शर्तें

  1. ऊर्ध्वपातन ऊर्जा का मान कम होना चाहिए। उदाहरण :   Na+ (s) + ऊर्ध्वपातन ऊर्जा → Na (g)
  2. आयनन विभव या आयनन ऊर्जा या आयनन एन्थैल्पी का मान कम होना चाहिए। उदाहरण :  Na (g)
    + आयनन एन्थैल्पी Na+
  3. अधातु परमाणु की वियोजन ऊर्जा कम होनी चाहिए। उदाहरण : ½ Cl2 + वियोजन ऊर्जा Cl (परमाणु)
  4. अधातु परमाणु की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान अधिक होना चाहिए जिससे ऋणायन आसानी से बने। उदाहरण : Cl + e → Cl-1 + ऊर्जा
    (इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी)
  5. एक मोल ऋणायन व एक मोल धनायन के पास पास आने पर जो ऊर्जा बाहर निकलती है उसे जालक ऊर्जा कहते है। उदाहरण : Na+ + Cl → NaCl + जालक ऊर्जा

जालक का मान जितना अधिक होता है , आयनों के मध्य आकर्षण बल भी उतना ही अधिक होता है।

नोट 1 : पद 4 और 5 से प्राप्त ऊर्जा का मान पद 1 , 2 व 3 में दी गयी ऊर्जा के कुल मान से अधिक होता है।
नोट 2 : पहले व दुसरे वर्ग के तत्व 16 व 17 वें वर्ग के तत्वों से मिलकर आयनिक बंध का निर्माण करते है।

2. सहसंयोजक बंध

परमाणुओं के बाह्यतम कोश अयुग्मित इलेक्ट्रॉन के साझे से बने बंध को सहसंयोजक बन्ध कहते है।
उदाहरण : 1. जब परमाणु एक एक इलेक्ट्रॉन का साझा करता है तब उनके मध्य एकल बंध बनता है।
इसे एक रेखा से व्यक्त करते है।
उदाहरण : 2. जब परमाणु 2-2 इलेक्ट्रॉन का साझा करता है यब उनके मध्य द्विबंध बनता है इसे दो रेखाओं से दर्शाते है।
उदाहरण 3 : जब परमाणु 3-3 इलेक्ट्रॉन का साझा करता है तब उनके मध्य त्रिबंध बनता है , इसे 3 रेखाओं से व्यक्त करते है।

सहसंयोजक बंध के प्रकार

सहसंयोजक बंध दो प्रकार के होते है –
i. अध्रुवीय सहसंयोजक बंध : जब सहसंयोजक बंध दो समान विद्युत ऋणता वाले परमाणुओं के मध्य इलेक्ट्रॉन के साझे से बनता है तब इसे अध्रुवीय सह संयोजक बंध कहते है।
इस बन्ध के इलेक्ट्रॉन दोनों परमाणुओं के मध्य में रहते है तथा किसी भी परमाणु पर कोई आवेश नहीं पाया जाता है।
उदाहरण : Cl2 , O2 , N2 आदि।
ii. ध्रुवीय सहसंयोजक बंध : जब सहसंयोजक बंध दो भिन्न भिन्न विद्युत ऋणता वाले परमाणुओं के मध्य इलेक्ट्रॉन के साझे से बनता है तो इसे ध्रुवीय सहसंयोजक बन्ध कहते है।
इस बंध के इलेक्ट्रॉन अधिक विद्युत ऋणी परमाणु की ओर चले जाते है जिससे उस परमाणु पर आंशिक ऋणावेश आ जाता है तथा दुसरे परमाणु पर आंशिक धनावेश आ जाता है।
उदाहरण : NH3 , HCl आदि।

3. उपसहसंयोजक बंध

जब बन्ध निर्माण में दोनों इलेक्ट्रॉन एक ही परमाणु द्वारा दिए जाते है तो बना बन्ध उप सहसंयोजक बंध कहलाता है।
बंध के दोनों इलेक्ट्रॉनो पर दोनों परमाणुओं का अधिकार होता है , इस बंध को तीर के निशान (→) से दिखाते है।
तीर की नोक पाने वाले परमाणु की तरफ होती है।
बंध निर्माण में जो परमाणु इलेक्ट्रॉन देता है उसे दाता परमाणु और जो परमाणु इलेक्ट्रॉन लेता है या ग्रहण करता है उसे ग्राही कहते है।
तीर का निशान दाता से ग्राही की ओर होता है , दाता परमाणु के पास कम से कम एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म (lone pair of electron) होना चाहिए तथा ग्राही परमाणु के पास कम से कम एक रिक्त कक्षक होना चाहिए।
उप सह संयोजक बंध को ‘डेटिव बंध’ (Dativ bond) भी कहते है।

अष्टक नियम के अपवाद

  • 13 वें वर्ग के हैलाइड [AlCl3 , BCl3 , BF3] आदि में केन्द्रीय परमाणु के बाह्यतम कोश में 8 के स्थान पर 6 इलेक्ट्रॉन होते है इन्हें इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक भी कहते है।
  • कुछ यौगिकों के केन्द्रीय परमाणु के बाह्यतम कोश में 8 से अधिक इलेक्ट्रॉन होते है अर्थात इसमें अष्टक का प्रसार होता है। उदाहरण PCl5
    , SF6 , IF7
    आदि।
  • वे यौगिक जिनमें जिनमें विषम संख्या में सहसंयोजक बंध होते है , वे अष्टक का पालन नहीं करते है।  उदाहरण : NO ,
    NO2
    आदि।
  • संक्रमण तत्वों के यौगिकों के आयन के बाह्यतम कोश में 8 से लेकर 18 तक इलेक्ट्रॉन होते है।  उदाहरण : आदि। उदाहरण : Mno
    Mn2+ + O2-
    Mn = 18[Ar] 3d5 4S2

    Mn2+ = 18[Ar] 3d5 आदि।

नोट : अष्टक नियम की संरचनाओं को लुईस या लुईस रोसेल संरचनाएं कहते है।
tags in English : octet rule in hindi ?
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