इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी या इलेक्ट्रॉन बंधुता , इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी को प्रभावित करने वाले कारक , अनुप्रयोग 

इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी या इलेक्ट्रॉन बंधुता : किसी गैसीय उदासीन परमाणु के बाह्यतम कोश में इलेक्ट्रॉन जोड़ने पर जो ऊर्जा बाहर निकलती है उसे इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी या इलेक्ट्रॉन बन्धुता कहते है इसे egH से व्यक्त करते है।
नोट : 1. उष्माशोषी तंत्र के लिए H का मान धनात्मक जबकि उष्माक्षेपी तंत्र के लिए H का मान ऋणात्मक होता है।
△H = Hp – HR
यहाँ Hp = क्रियाकारक की एन्थैल्पी
HR = उत्पाद की एन्थैल्पी
नोट 2 : जब कोई तत्व पहला इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है तो ऊर्जा बाहर निकलती है इसे प्रथम इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी कहते है , इसका मान ऋणात्मक होता है।
नोट 3 : जब कोई तत्व दूसरा इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है तो ऋणात्मक और इलेक्ट्रॉन के मध्य प्रतिकर्षण होता है इस प्रतिकर्षण प्रभाव को ख़त्म करने के लिए कुछ अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है , इसे द्वितीय इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी कहते है तथा इसका मान धनात्मक होता है।
X + e = X + ऊर्जा (ऊष्माक्षेपी)

X + e+ उर्जा = X2- (ऊष्माशोषी)

इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी को प्रभावित करने वाले कारक

1. परमाणु आकार : वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु का आकार बढ़ता जाता है , इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृति कम होती जाती है अत: इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान कम होता जाता है।
अर्थात इलेक्ट्रॉन लब्धि का मान परमाणु क्रमांक के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
2. प्रभावी नाभिकीय आवेश : आवर्त में बाएं से दायें जाने पर प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता जाता है व परमाणु का आकार घटता जाता है , इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृति बढती जाती है अत: इलेक्ट्रॉन लब्धी एंथैल्पी बढती जाती है।
अर्थात इलेक्ट्रॉन लब्धि का मान प्रभावी नाभिकीय आवेश के समानुपाती होता है।
3. परिरक्षण प्रभाव : परिरक्षण प्रभाव का मान बढ़ने पर परमाणु का आकार बढ़ता जाता है , इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृति कम होती जाती है , अत: इलेक्ट्रॉन लब्धि का मान घटता जाता है।
अर्थात इलेक्ट्रॉन लब्धी एन्थैल्पी का मान परिरक्षण प्रभाव के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
4. अर्धपूरित व पूर्ण भरे कक्षकों का स्थायित्व : अर्धपूर्ण व पूर्ण भरे कक्षक अन्य कक्षकों की तुलना में अधिक स्थायी होते है , इनमें इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृति कम होती है अत: इलेक्ट्रॉन लब्धि एंथैल्पी का मान कम होता है।
प्रश्न 1 : कार्बन की इलेक्ट्रॉन लब्धि नाइट्रोजन से अधिक होती है क्यों ?
उत्तर : कार्बन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [He] 2s2 2p2 होता है , यह इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके अधिक स्थायी विन्यास प्राप्त करना चाहता है अत: कार्बन की इलेक्ट्रॉन लब्धि का मान अधिक होता है।
नाइट्रोजन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [He] 2s2 2p3 होता है , p कक्षक अर्धपूरित अवस्था में होने के कारण अधिक स्थायी होता है , इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृति कम होती है अत: नाइट्रोजन की इलेक्ट्रॉन लब्धी का मान भी कम होता है।
प्रश्न 2 : Si की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी p से अधिक होती है क्यूँ ?
उत्तर : si का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 10[Ne] 3s2 3p2 होता है , यह एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर अधिक स्थायी विन्यास प्राप्त करना चाहता है अत: si की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान अधिक होता है।
P का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 10[Ne] 3s2 3p3 होता है , p कक्षक अर्धपूरित अवस्था में होने के कारण अधिक स्थायी होता है।  इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृति कम होती है अत: p की इलेक्ट्रान लब्धि एन्थैल्पी का मान कम होता है।
प्रश्न 3 : क्लोरिन की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी , फ़्लोरिन से अधिक होती है क्यों ?
उत्तर : फ़्लोरिन का प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान अधिक होने के कारण इलेक्ट्रॉन का घनत्व अधिक होता है , आने वाला इलेक्ट्रॉन अधिक प्रतिकर्षित होता है , दुसरे शब्दों में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृति कम होती है अत: फ़्लोरिन की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान कम होता है। क्लोरिन का परमाणु का आकार अधिक होता है , इलेक्ट्रॉन का घनत्व कम होता है।  आने वाला इलेक्ट्रॉन कम प्रतिकर्षित होता है , दुसरे शब्दों में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृति अधिक होती है अत: क्लोरिन की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान अधिक होता है।
प्रश्न 4 : सल्फर की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान ऑक्सीजन से अधिक होता है , क्यों ?
उत्तर : ऑक्सीजन के लिए प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान अधिक होने के कारण इलेक्ट्रॉन का घनत्व अधिक होता है , आने वाला इलेक्ट्रॉन अधिक प्रतिकर्षित होता है , दुसरे शब्दों में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृति कम होती है अत: O (ऑक्सीजन) की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान कम होता है।
सल्फर (s) का परमाणु आकार बड़ा होता है , इलेक्ट्रॉन का घनत्व कम होता है , आने वाला इलेक्ट्रॉन कम प्रतिकर्षित होता है दुसरे शब्दों में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृति अधिक होती है अत: सल्फर की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान अधिक होता है।
प्रश्न 5 : फास्फोरस (p) की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान नाइट्रोजन (N) से अधिक होती है क्यों ?
उत्तर : नाइट्रोजन के लिए प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान अधिक होने के कारण इलेक्ट्रॉन का घनत्व अधिक होता है , आने वाला इलेक्ट्रॉन अधिक प्रतिकर्षित होता है , दुसरे शब्दों में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृति कम होती है अत: नाइट्रोजन की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान कम होता है।
फास्फोरस का परमाणु आकार अधिक होता है , इलेक्ट्रॉन का घनत्व कम होता है , आने वाला इलेक्ट्रॉन कम प्रतिकर्षित होता है , दुसरे शब्दों में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृति अधिक होती है अत: फास्फोरस की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान अधिक होता है।
प्रश्न 6 : एल्युमिनियम (Al) की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान बोरोन (B) से अधिक होता है क्यूँ ?
उत्तर : बोरोन के लिए प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान अधिक होने के कारण इलेक्ट्रान का घनत्व अधिक होता है , आने वाला electron अधिक प्रतिकर्षित होता है दुसरे शब्दों में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृति कम होती है अत: बोरोन की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान कम होता है।
एल्युमिनियम का परमाणु आकार बड़ा होता है , इलेक्ट्रान का घनत्व कम होता है , आने वाला इलेक्ट्रॉन कम प्रतिकर्षित होता है दुसरे शब्दों में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृति अधिक होती है अत: Al की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान अधिक होता है।
प्रश्न 7 : आवर्त सारणी में किस तत्व की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी सर्वाधिक होती है ?
उत्तर : क्लोरिन
प्रश्न 8 : Li की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी , Be से अधिक होती है क्यों ?
उत्तर : लिथियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2[He] 2s1 होता है , 2s कक्षक में एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की सम्भावना है जबकि बेरेलियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2[He] 2s2 होता है , इसमें आने वाला इलेक्ट्रॉन उच्च ऊर्जा के 2p कक्षक में जाता है जिसकी सम्भावना कम होती है अत: लिथियम की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान बेरेलियम से अधिक होता है।
प्रश्न 9 : क्षारीय धातुओं की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान क्षारीय मृदा धातुओं से अधिक होता है क्यों ?
उत्तर : क्षारीय धातुओं का बाह्यतम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns1 होता है इसमें एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की सम्भावना होती है।
जबकि क्षारीय मृदा धातुओं का बाह्यतम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास  ns2 होता है , इसमें आने वाला इलेक्ट्रॉन उच्च ऊर्जा के p कक्षक में जाता है जिसकी सम्भावना कम होती है अत: क्षारीय मृदा धातुओं से अधिक होती है।

इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी के अनुप्रयोग

1. ऑक्सीकारक क्षमता : जैसे जैसे तत्वों की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान बढ़ता जाता है वैसे वैसे ऑक्सीकारक क्षमता बढती जाती है।
अर्थात ऑक्सीकारक क्षमता , इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी के समानुपाती होता है।
2. तत्वों की अभिक्रियाशीलता : जिन तत्वों की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी के मान उच्च होता वे अधिक अभिक्रियाशील होते है , आवर्त सारणी में हैलोजन वर्ग के तत्वों की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी उच्च होती है अत: इनकी अभिक्रियाशीलता भी उच्च होती है।
3. बंध की प्रकृति : यदि दो तत्वों की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी के मान का अंतर ‘जालक ऊर्जा’ से कम होता है तो यौगिक की प्रकृति आयनिक होती है और इस अंतर का मान ‘जालक ऊर्जा’ से अधिक होने पर यौगिक की प्रकृति सहसंयोजक होती है।
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