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Categories: chemistry

यांत्रिक वितरण विधि , विद्युत परिक्षेपण (ब्रेडिंग आर्क विधि) , पेप्टीकरण विधि (वियोज्य) , विद्युत अपोहन (Electrodialysis)

कोलाइडो को बनाने की विधियाँ : द्रव स्नेही कोलाइडो को सामान्य विधियों जैसे परिक्षिप्त प्रावस्था को परिक्षेपण माध्यम में घुलकर आसानी से बनाया जा सकता है।
लेकिन द्रव विरोधी कोलाइडो को बनाने के लिए विशिष्ट विधियाँ काम में ली जाती है क्योंकि इन कोलाइडो की परिक्षिप्त प्रावस्था व परिक्षेपण माध्यम के मध्य आकर्षण बल नहीं होता अत: इन कोलाइडो को बनाने की विशिष्ट विधियाँ निम्न है –
i. परिक्षेपण विधियाँ
ii. संघनन विधियाँ
i. परिक्षेपण विधियाँ : इन विधियों में पदार्थ के बड़े कणों को तोड़कर कोलाइडी आकार के कणों में परिवर्तित किया जाता है।
ii. संघनन विधियाँ : इन विधियों में पदार्थ के छोटे कणों को सयोजित करके कोलाइडी आकार के कणों में परिवर्तित किया जाता है।

परिक्षेपण विधियों के प्रकार

1. यांत्रिक वितरण विधि : इस विधि में जिस पदार्थ का कोलाइडी विलयन बनाना हो उसे बारीक पीसकर परिक्षेपण माध्यम में घोलकर पहले निलंबन तैयार करते है , अब इस निलम्बन को कोलाइडी चक्की में ऊपर से डाला जाता है।  इस कोलाइडी चक्की में दो धात्विक चक्र लगे होते है जो पट्टो की सहायता से एक दुसरे के विपरीत दिशा में घूमते है।
इस निलम्बन को कोलाइडी चक्की में डालने से इसके कण चक्की द्वारा पीसकर कोलाइडी आकार के कणों में परिवर्तित हो जाते है , इस प्रकार कोलाइड का निर्माण होता है।
उदाहरण : पेंट , वार्निश , मरहम , दांतों की क्रीम आदि कोलाइड का विलयन इस विधि द्वारा बनाया जाता है।

2. विद्युत परिक्षेपण (ब्रेडिंग आर्क विधि) : इस विधि द्वारा सोना , चाँदी , प्लेटिनम आदि धातुओ के कोलाइडी विलयन बनाये जाते है।
इस विधि में जिस धातु का कोलाइडी विलयन बनाना हो उस धातु के दो पतले इलेक्ट्रोड लेकर उन्हें एक पात्र में रखे परिक्षेपण माध्यम में डुबो देते है।

अब इस पात्र को हिमकारी मिश्रण में रख देते है।
विद्युत धारा प्रवाहित करने पर इलेक्ट्रोडो के सिरों पर विद्युत आर्क उत्पन्न होता है , इससे धातु की वाष्प बनती है।  यह वाष्प ऊपर की ओर उठती है लेकिन परिक्षेपण माध्यम ठंडा होने के कारण यह धातु की वाष्प पुन: संघनित होकर छोटे छोटे कोलाइडी कणों का निर्माण करती है तथा यह कोलाइडी कण परिक्षेपण माध्यम में घुलकर कोलाइडी विलयन बनाते है।
इस विधि कोलाइडी विलयन को स्थायित्व प्रदान करने के लिए परिक्षेपण माध्यम में थोडा KOH (विद्युत अपघट्य) मिलाया जाता है।
3. पेप्टीकरण विधि (वियोज्य विधि) : ताजा बने अवक्षेप को विद्युत अपघट्य की कम मात्रा की उपस्थिति में परिक्षेपण माध्यम में मिलाकर कोलाइडी विलयन तैयार करने की विधि , पेप्टिकरण विधि कहलाती है।
इसमें ताजा बने अवक्षेप पर ऐसे विद्युत अपघट्य को मिलाया जाता है जिसमे अवक्षेप के समान आयन उपस्थित हो , विद्युत अपघट्य के यह समान आयन अवक्षेप की सतह पर अधिशोषित हो जाते है तथा इन समान आयनों में प्रतिकर्षण के कारण यह अवक्षेप टूटकर छोटे छोटे कोलाइडी कणों में बदल जाता है तथा यह कोलाइडी कण परिक्षेपण माध्यम में घुलकर कोलाइडी विलयन बनाते है।
इस विधि में प्रयुक्त विद्युत अपघट्य को पेप्टीकर्मक कहते है।
उदाहरण : फैरिक हाइड्रोक्साइड [Fe(OH)3] के ताजा बने अवक्षेप पर FeCl3 विद्युत अपघट्य डालने से फेरिक हाइड्रोक्साइड का धनात्मक कोलाइडी विलयन बनता है।

FeCl3 ⇌ Fe3+ + 3Cl

Fe(OH)3 + Fe3+ → Fe(OH)3Fe3+

संघनन विधियों के प्रकार

इनके प्रकार निम्न है –
1. अपचयन : इस विधि द्वारा Ag , Au , Pt आदि धातुओ के कोलाइडी विलयन बनाये जाते है , इसके लिए HCHO , H2O2 , SnCl2 व टैनिक अम्ल अपचायक के रूप में काम आते है।
उदाहरण :
PtCl2 + HCHO + HOH → Pt + HCOOH + 2HCl
2AuCl3 + 3HCHO + 3HOH → 2Au + 3HCOOH + 6HCl
2HAuCl4 + 2H2O2 → 2Au + 8HCl + 3O2
2AuCl3 + 3SnCl2 → 2Au + 2SnCl4

AgCl + टैनिक अम्ल Ag

2. ऑक्सीकरण : इस विधि द्वारा S , Se , I2 आदि अधातुओ के कोलाइडी विलयन बनाये जाते है।
उदाहरण :
SO2 + 2H2S → 3S + 2H2O
H2S + 2HNO3 → S + 2NO2 + 2H2O
Na2S2O3 + 2HCl → S + SO2 + 2NaCl + H2O
SHI + HIO3 → 3I2 + 3H2O

2H2Se + O2 → Se + 2H2O
3. द्विक अपघटन / उभय अपघटन : इस विधि द्वारा धातु सल्फाइड जैसे As2S3 , CdS , HgS कोलाइड व AgX के कोलाइड बनाये जाते है।
उदाहरण :

As2O3 + 3H2S → As2S3 + 3H2O
Hg(CN)2 + H2S → HgS + 2HCN
CdO + H2S → CdS + H2O
AgNO3 + KX → AgX + KNO3

[X = Br , I ]
4. जल अपघटन : इस विधि द्वारा धातु हाइड्राइड जैसे Fe(OH)3 , Al(OH)3 , Cr(OH)3 के कोलाइड बना लेते है।

FeCl3 + 3HOH → Fe(OH)3 + 3HCl
AlCl3 + 3HOH → Al(OH)3 + 3HCl

CrCl3 + 3HOH →
Cr(OH)3 + 3HCl

5. विलायक विनिमय विधि : इस विधि द्वारा सल्फर , फास्फोरस व रेजिन के कोलाइड बनाये जाते है , यह पदार्थ जल की अपेक्षा एल्कोहोल में अधिक घुलनशील होते है अत: इन पदार्थो के एल्कोहोलिक विलयन की क्रिया जल के आधिक्य से करवाते है।  इस क्रिया में पदार्थ के कण एल्कोहल से निकलकर जल में स्थानांतरित हो जाते है तथा यह पदार्थ के कण संगुणन द्वारा जलीय कोलाइड बनाते है।
6. पदार्थ की वाष्प का द्रव में संघनन : इस विधि द्वारा सल्फर एवं मर्करी (Hg) के कोलाइड बनाये जाते है , इस विधि में उबलते हुए पदार्थ की वाष्प को द्रव विलायक में प्रवाहित किया जाता है इससे पदार्थ के कण संघनित होकर कोलाइड का निर्माण करते है।

कोलाइडी विलयन / कोलाइडो का शुद्धिकरण

कोलाइडी विलयन में विद्युत अपघट्य की अशुद्धियाँ उपस्थित होती है।  विद्युत अपघट्य की कम मात्रा कोलाइडी विलयन को स्थायित्व प्रदान करती है जबकि विद्युत अपघट्य की अधिक मात्रा से कोलाइड विलयन का स्कंदन हो जाता है।
अत: कोलाइडी विलयन में से विद्युत अपघट्य की अशुद्धियो को आवश्यक सीमा तक कम करना ही कोलाइडी विलयन का शुद्धिकरण कहलाता है , इसके शुद्धिकरण की विधियाँ निम्न है –
i. अपोहन (Dialysis)
ii. विद्युत अपोहन (Elctrodialysis)
iii. अतिसूक्ष्म निस्पंदन (ultramicro filutrating)
i. अपोहन (Dialysis) : यह विधि इस सिद्धांत पर आधारित है कि विद्युत अपघट्य की अशुद्धियाँ चर्मपत्र को पार कर जाती है लेकिन कोलाइडी कण चर्म पत्र को पार नहीं कर पाते है।
इस विधि में अशुद्ध कोलाइडी विलयन को एक चर्मपत्र की थैली में डालकर इसे बहते हुए जल में लटका देते है , इससे विद्युत अपघट्य की अशुद्धियाँ चर्मपत्र की थैली को पार करके जल में आ जाती है लेकिन कोलाइडी कण इस चर्मपत्र को पार नहीं कर पाते।  इस प्रकार कोलाइडी विलयन शुद्ध हो जाता है , इस विधि में प्रयुक्त उपकरण को अपोहक कहते है।
ii. विद्युत अपोहन (Electrodialysis) : अपोहन विधि द्वारा कोलाइडी विलयन का शुद्धिकरण मंद गति से होता है अत: यदि विद्युत अपघट्य की अशुद्धियाँ अधिक मात्रा में उपस्थित हो तो इन अशुद्धियो को दूर करने के लिए विद्युत अपोहन विधि काम में लेते है।
इस विधि में अशुद्ध कोलाइडी विलयन को एक चर्म पत्र की थैली में डालकर इसे बहते हुए जल में लटका देते है तथा इस थैली के दोनों ओर विपरीत आवेशित इलेक्ट्रोड लगा देते है।  विद्युत धारा प्रावाहित करने पर विद्युत अपघट्य की अशुद्धियाँ चर्मपत्र की थैली को पार करके तेजी से विपरीत आवेशित इलेक्ट्रोडो की ओर गमन करती है।  इस प्रकार कोलाइडी विलयन का शुद्धिकरण तीव्र गति से होता है।
iii. अतिसूक्ष्म निस्पंदन (ultramicro filutrating) : इस विधि में कोलाइडी विलयन को शुद्ध करने के लिए अतिसूक्ष्म निस्पंदक काम लेते है , इसे साधारण फ़िल्टर पेपर से तैयार किया जाता है।
इसके लिए साधारण फ़िल्टर पेपर को कोलोडीयन में से गुजारा जाता है।  यह कोलोडियन नाइट्रोसेल्युलोज का एल्कोहल व इथर के मिश्रण में बना 4% विलयन होता है।
अब इस फ़िल्टर पेपर को फार्मेल्डीहाइड (HCHO) में से गुजार कर सुखा लेते है इससे फ़िल्टर पेपर के छेद अतिसूक्ष्म हो जाते है , इसे ही अतिसूक्ष्म निस्पंदक कहते है।
अब अशुद्ध कोलाइडी विलयन को इस अतिसूक्ष्म निस्पंदन से छाना जाता है , विद्युत अपघट्य की अशुद्धियाँ इसे पार कर जाती है लेकिन कोलाइडी कण इसे पार नहीं कर पाते है , इस प्रकार कोलाइडी विलयन शुद्ध हो जाता है।
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