अधातु किसे कहते है अधातु (भौतिक गुण) की परिभाषा क्या है , what is non metal in chemistry in hindi

what is non metal in chemistry in hindi , nonmetals meaning in hindi अधातु (भौतिक गुण) , अधातु किसे कहते है परिभाषा क्या है , उदाहरण नाम :-
इससे पहले के article मे ,धातु के भौतिक गुणों  को discuss किया था अब आगे के article मे अधातु के भौतिक गुणों को discuss करेगे |अधातु :
1.अधातु मे धातु की तरह  धात्विक चमक नहीं होती है | लेकिन कुछ अपवाद जरुरु होते है जैसे आयोडीन  (I) मे धात्विक चमक होती है |
सबसे पहले अधातु ओं-आयोडीन  (I), कार्बन (C) और ब्रोमिन (Br)के नुमेने को एक परखनली मे  एक्रत्रित करेगे ।
उसके बाद इन नमूने को अच्छी तरह से observe करेगे ।
इस  प्रयोग मे ,
आयोडीन  (I) का चूर्ण काला चमकीला होता है |
कार्बन (C) का चूर्ण काला होता है जिसमे कोई भी चमक नहीं होती है |
ब्रोमिन (Br) का रंग लाल होता है इसमे भी कोई चमक नहीं होती है |
ये प्रयोग सिद्ध करता है की अधातु मे धातु की तरह  धात्विक चमक नहीं होती है |आघातवर्ध्य
जब किसी तत्वों को पीटकर पटले शीट मे convert किया जा सकता है तब इस गुण को आघातवर्ध्य कहते है | अधातु मेआघातवर्ध्य का गुण  नहीं होता है | क्योकि अधिकाश अधातु गैस और द्रव रूप मे पाया जाता है लेकिन आघातवर्ध्य का गुण नहीं होने पर भी अधातु  को कई सारे दैनिक application मे use किया जा सकता है |तन्यता
तत्वों  को खीच कर पटले तार मे बदला जा सकता है इसे तन्यता  का गुण कहते है | अधातु मे तन्यता  का गुण नहीं होता है |इसलिए   इलेक्ट्रिक वायर मे जिसमे al और cu के लम्बे लम्बे तार होते है | लेकिन नासा प्रोयोग मे कार्बन से al और cu के लम्बे लम्बे तार से replace करने के लिए शोध चल रहा है | क्योकि कार्बन अधातु है लेकिन इसमें विद्युत् को प्रहाव करना का गुण है | इसके लावा अध्तु से कभी कभी ही बर्तन नहीं बनाया जाता है क्योकि जब अधातु की अभिकिया वातावरण मे उपस्थीत ऑक्सीजन और नाइट्रोजन से होती है तब ये विषेले प्रदाथ बनता है |

उर्जा सचार
सभी अधातु मे उर्जा को प्रहाव करना का गुण नहीं पाया जाता है |लेकिन कुछ अध्तु मे विधुत को फ्लो करना का गुण होता है क्योकि इसमें सभी इलेक्ट्रान का सयोजन नहीं होता है इसमें कुछ इलेक्ट्रान मुक्त अवस्था मे होता है जो की विधुत के प्रहाव के लिए उत्तरदायी होता है |
और अधातु मे ऊष्मा उर्जा का बिलकुल नहीं होता है | क्योकिअधातु मे कोई भी मुक्त आयन नहीं होता है |

कठोरता
सभी अधातु की कठोरता बहुत ही कम होती है क्योकि अधातु मुख्य गैस और द्रव रूप मे पाई जाती है | लेकिन कुछ अधातु के अपररूप बहुत ही कठोर होते है उदाहरन के लिए कार्बन का अपररूप हिरा विश्व का सबसे ज्यादा कठोर अधातु होता है | इसलिए इसका use,ग्लास को काटने के लिए भी किया जाता है |

ध्वानिक (सोनोरस)
इस गुण का मतलब है जब दो दो से अधिक तत्वों को आपस मे टकरा जाता है तब इसमें से ध्वनी उत्पन्न होती है | अधातु मे  ध्वानिक (सोनोरस) का गुण नहीं पाया जाता है | इसलिए अधातु का उपयोग कवल chemical reaction मे किया जाता है | किसी भौतिक // दैनिक जीवन मे नहीं किया जाता है |

गलानक
अधातु की गलनाक बहुत कम  होता है और सभी अधातु का गलनाक अलग अलग होता है | और ज्यादातर अधातु गैस और द्रव रूप मे पाया जाता है इसलिए इन सभी का  गलनाक को define करना जरुरी नहीं होता है अतः जो भी मुख्य अधातु है उसका गलनाक निन्म है :
सबसा ज्यादा गलनाक इरीडियम और ऑस्मियम  का होता है जिसकी value 2466 degree centigate होती है | क्योकि इसका आयतन सबसा ज्यादा होता है |
कार्बन  का गलनाक 3550 degree centigate  है |
इयोदीन का गलनाक113.7 degree centigate  है |
ब्रोमिन  का गलनाक -7.2  degree centigate  है | जो की अधातु मे सबसे कम गल्नाक है |
टंगस्टन  का गलनाक degree centigate  है |
lead का गलनाक 3422  degree centigate  है |

भौतिक रूप
अधिकाश अधातु कमरे के तापमान  पर गैस और द्रव रूप मे  होता है | केवल एक धातु कार्बन  (C) को छोड़कर | क्योकि  कार्बन  (C) कमरे के तापमान पर ठोस  होता है |

आयतन
अधातु का आयतन  धातु का आयतन कम  होता है | आयतन का मतलब है किसी निश्चित space मे उपस्थित मे धातु के आयनों की सख्या | अतः सभी अधातु के लिए आयतन का कम  होने का मतलब है किसी  निश्चित space मे उपस्थित मे अधातु के आयनों की सख्या की कम होती है  और इस अययन के बीच space भी ज्यादा होता है | इसके कारन इसमें मे रासायनिक आबंद बहुत कम है |

अब इस article मे 109 तत्वों मे से धातु की लिस्ट है जिसमे इसका परमाणु क्रमाक और प्रतीक भी है

धातु  :
3 Li Lithium
4 Be Beryllium
11 Na Sodium
12 Mg Magnesium
13 Al Aluminum
19 K Potassium
20 Ca Calcium
21 Sc Scandium
22 Ti Titanium
23 V Vanadium
24 Cr Chromium
25 Mn Manganese
26 Fe Iron
27 Co Cobalt
28 Ni Nickel
29 Cu Copper
30 Zn Zinc
31 Ga Gallium
37 Rb Rubidium
38 Sr Strontium
39 Y Yttrium
40 Zr Zirconium
41 Nb Niobium
42 Mo Molybdenum
43 Tc Technetium
44 Ru Ruthenium
45 Rh Rhodium
46 Pd Palladium
47 Ag Silver
48 Cd Cadmium
49 In Indium
50 Sn Tin
55 Cs Cesium
56 Ba Barium
57 La Lanthanum
58 Ce Cerium
59 Pr Praseodymium
60 Nd Neodymium
61 Pm Promethium
62 Sm Samarium
63 Eu Europium
64 Gd Gadolinium
65 Tb Terbium
66 Dy Dysprosium
67 Ho Holmium
68 Er Erbium
69 Tm Thulium
70 Yb Ytterbium
71 Lu Lutetium
72 Hf Hafnium
73 Ta Tantalum
74 W Tungsten
75 Re Rhenium
76 Os Osmium
77 Ir Iridium
78 Pt Platinum
79 Au Gold
80 Hg Mercury
81 Tl Thallium
82 Pb Lead
83 Bi Bismuth
84 Po Polonium
87 Fr Francium
88 Ra Radium
89 Ac Actinium
90 Th Thorium
91 Pa Protactinium
92 U Uranium
93 Np Neptunium
94 Pu Plutonium
95 Am Americium
96 Cm Curium
97 Bk Berkelium
98 Cf Californium
99 Es Einsteinium
100 Fm Fermium
101 Md Mendelevium
102 No Nobelium
103 Lr Lawrencium
104 Rf Rutherfordium
105 Db Dubnium
106 Sg Seaborgium
107 Bh Bohrium
108 Hs Hassium
109 Mt Meitnerium
110 Ds Darmstadtium
111 Rg Roentgenium
112 Cn Copernicium
113 Nh Nihonium
114 Fl Flerovium
115 Mc Moscovium
116 Lv Livermorium

अधातु  :
1 H Hydrogen
2 He Helium
6 C Carbon
7 N Nitrogen
8 O Oxygen
9 F Fluorine
10 Ne Neon
15 P Phosphorus
16 S Sulfur
17 Cl Chlorine
18 Ar Argon
34 Se Selenium
35 Br Bromine
36 Kr Krypton
53 I Iodine
54 Xe Xenon
85 At Astatine
86 Rn Radon
117 Ts Tennessine
118 Og Oganesson

अधातुएँ

 प्रकृति में केवल 22 अधात्विक तत्व पाए जाते हैं, जिनमें 11 गैस, 1 द्रव तथा 10 ठोस हैं।

 भौतिक गुणः अधातुएँ सामान्यतः भंगुर होती हैं, अतः इससे तार या चादरें नहीं बनायी जा सकती, इन पर चमक नहीं होती तथा इनको पॉलिश नहीं किया जा सकता।

 अधातुएँ प्रायः विद्युत और ऊष्मा की कुचालक होती हैं। अधातुओं में स्वतंत्र इलेक्ट्रॉन नहीं होते। कार्बन का अपरूप इसका अपवाद है, यह विद्युत का अच्छा सुचालक है।

 रासायनिक गुणः अधातुएँ विद्युत ऋणात्मक होती हैं। ये इलेक्ट्रॉनों को आसानी से ग्रहण कर लेती हैं तथा ऋणात्मक आवेशयुक्त आयन बनाती हैं।

 ऑक्सीजन के साथ अभिक्रियाः अधातुएँ ऑक्सीजन बनाती हैं। इनमें से कुछ ऑक्साइड जल में घुलने के बाद बनाते हैं। अन्य ऑक्साइड जैसे-  आदि उदासीन होते हैं (अर्थात् वे लिटमस पेपर के साथ अम्लीय परीक्षण नहीं देते है।)

 अम्लों के साथ अभिक्रियाः धातुओं की भाँति, अधातुएँ अम्लों में हाइड्रोजन को पुनः स्थापित नहीं करती हैं। इस अभिक्रिया को संपन्न करने के लिए अम्ल के आयन के लिए इलेक्ट्रॉन उपलब्ध होने चाहिए क्योंकि अधातु इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण करती है, अतः वे आयन को इलेक्ट्रॉन उपलब्ध नहीं कर सकती हैं।

 क्लोरीन के साथ अभिक्रियाः क्लोरीन के साथ अधातुएँ सहसंयोजक आबन्ध वाले क्लोराइड बनाती हैं।

 हाइड्रोजन के साथ अभिक्रियाः अधातुएँ हाइड्रोजन के साथ संयोग कर हाइड्राइड बनाती हैं। उदाहरण के लिये आदि। ये हाइड्राइड इलेक्ट्रनों की साझेदारी से बनते हैं।

 सोडियम अथवा पोटेशियम हाइड्राॅक्साइड से अभिक्रियाः सोडियम या पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड के गर्म सांद्र घोल के साथ लाल फॉस्फोरस कोई अभिक्रिया नहीं करता है। इस अभिक्रिया में फॉस्फीन गैस उत्पन्न होती है। यह अत्यधिक दम घोटने वाली गैस है।

हाइड्रोजन

 हाइड्रोजन की परमाणु संख्या 1 तथा परमाणु द्रव्यमान 1.00797 होता है। इसकी खोज हेनरी कैवेंडिस ने 1766 में की थी।

 हाइड्रोजन आवर्त सारणी का एकमात्र ऐसा तत्व है, जिसके नाभिक में न्यूट्रॉन नहीं पाया जाता, इसके नाभिक में सिर्फ एक प्रोटॉन पाया जाता है। हाइड्रोजन को भविष्य का ईंधन कहा जाता है। हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक ज्ञात हैं – प्रोटियम, डयूटीरियम और ट्राइटियम।

 डयूटीरियम के ऑक्साइड को भारी जल कहते हैं। भारी जल की खोज 1932 ई. में यूरे और वाशबर्न ने की थी। साधारण जल के लगभग 6000 भागों में 9 भाग भारी जल का होता है।

 भारी जल के उपयोगः (प) न्यूट्रॉन मंदक के रूप में, (पप) ड्यूटीरियम तथा ड्यूटीरियम के यौगिक बनाने में, (पपप) ट्रेसर के रूप में, (पअ) आयनिक व अन-आयनिक हाइड्रोजन में विभेद करने में।