संयोजकता कोश इलेक्ट्रॉन युग्म प्रतिकर्षण सिद्धांत (VSEPR) (valence shell electron pair repulsion theory)

(valence shell electron pair repulsion theory) संयोजकता कोश इलेक्ट्रॉन युग्म प्रतिकर्षण सिद्धांत (VSEPR) : इस सिद्धान्त की खोज ‘गिलेस्पी व नाइहोम’ ने की थी।
किसी अणु की ज्यामिति एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म तथा बंधी इलेक्ट्रॉन युग्म की संख्या पर निर्भर करती है , ये एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म तथा बंधी इलेक्ट्रॉन युग्म इस प्रकार से व्यवस्थित होते है कि इनकी इनके मध्य प्रतिकर्षण कम से कम हो जिससे अणु में स्थायित्व अधिकतम आ सके।
इस सिद्धांत के मुख्य बिंदु निम्न है –
  1. यदि किसी अणु में सभी बंधी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित हो तथा एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म अनुपस्थित हो तो अणु की ज्यामिति सममित होती है अर्थात जिस प्रकार का संकरण होता है उसी प्रकार की ज्यामिति होती है।
संकरण
उदाहरण
बंधी इलेक्ट्रॉन
युग्म की संख्या
ज्यामिति
बंध कोण
Sp3
CH4
4
चतुष्फलकीय
109’ 28’
Sp2
BCl3
3
त्रिकोणमितिय समतल
120’
sp
BeCl2
2
रेखीय
180’
Sp3d
PCl5
5
त्रिकोणीय
द्विपिरेमिड
3 कोण 120’
2 कोण 90
Sp3d2
SF6
6
अष्टफलकीय
90’
2. यदि अणु के अन्दर बंधी इलेक्ट्रॉन युग्म के साथ साथ एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म भी उपस्थित होते है तो अणु की ज्यामिति विकृत हो जाती है क्योंकि एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म व बंधी इलेक्ट्रॉन युग्म के मध्य प्रतिकर्षण निम्न प्रकार कम से कम होता जाता है।
l.p.-l.p. > l.p.-B.p. > B.p.-B.p
संकरण
उदाहरण
बंधी इलेक्ट्रॉन
युग्म की संख्या
एकांकी इलेक्ट्रॉन
युग्म की संख्या
ज्यामिति
बंध कोण
Sp3
CH4
4
0
चतुष्फलकीय
1090 28’
Sp3
NH3
3
1
पिरेमिड
107’
Sp3
H2O
2
2
‘V’ आकार
104’ 5’
3. यदि केन्द्रीय परमाणु से जुड़े परमाणु की विद्युत ऋणता बढती जाती है तो B.p.-B.p प्रतिकर्षण कम होता जाता है जिससे बन्ध कोण भी कम होता जाता है।
उदाहरण : PI3 > PBr3 > PCl3
4. वे अणु जिनके केन्द्रीय परमाणु का बाह्यतम कोश पूर्ण रूप से भरा होता है उनमें B.p.-B.p. प्रतिकर्षण अधिक होता है।
उदाहरण : H2O > H2S
नोट : यदि l.p.-l.p. प्रतिकर्षण बढ़ता है तो बंध कोण के मन में कमी होता है तथा यदि B.p.-B.p. प्रतिकर्षण बढ़ता है तो बंध कोण के मान में वृद्धि होती है।
1. XeF2

54Xe = 36[Kr]
4d10 5s2 5p6 5d0

संकरण = Sp3d
ज्यामिति = रेखीय
2. ClF3

17Cl = 10[Ne] 3s2 3p5 3d0

संकरण = Sp3d
ज्यामिति = बंकित T
3. SF4

16S = 10[Ne] 3s2 3p4 3d0

संकरण = Sp3d
ज्यामिति = विकृत चतुष्फलकीय या ढेकुली
4. IF5            

53I = 36[Kr] 4d10 5s2 5p5 5d0

संकरण = Sp3d2
ज्यामिति = वर्गाकार पिरैमिड
5. XeF4

54Xe = 36[Kr] 4d10 5s2 5p6 5d0

संकरण = Sp3d2
ज्यामिति = वर्गाकार
6. XeF6

54Xe = 36[Kr] 4d10 5s2 5p6 5d0

संकरण = Sp3d
ज्यामिति = पञ्चभुजिय पिरेमिड या विकृत अष्टफलकीय