धातु की परिभाषा क्या है , धातु (भौतिक गुण) किसे कहते है , इसके भौतिक गुण लिखिए metal physical properties

metal physical properties in hindi , metals in hindi धातु (भौतिक गुण) , धातु की परिभाषा क्या है , किसे कहते है , इसके भौतिक गुण लिखिए :-
इससे पहले के article मे , लवण को discuss किया था अब आगे के article मे धातु और अधातु को discuss करेगे | विज्ञानं मे अभी तक 109 प्रकार के तत्वों को खोजा गया है जिसमे मे से इन तत्वों के गुणों  के आधार तीन प्रकार मे बाटा गया है :
धातु :
1.धातु मे धात्विक चमक होती है | सभी धातु मे धात्विक चमक का होना जरुरी नहीं लेकिन अधिकाश  धातुयो मे धात्विक चमक होती है उदाहरन के लिए निन्म प्रयोग को consider किया जाता है |
सबसे पहले धातुओं-आयरन, कॉपर, ऐलुमिनियम, मैग्नीशियम, सोडियम, लेड, जिक तथा आसानी से मिलने वाली कुछ अन्य धातुओं के वस्तुयों को एक्रत्रित करेगे ।
इसके बाद  रेगमाल से रगड़कर प्रत्येक नमूने की सतह को साफ़ करते है |
उसके बाद इन नमूने को अच्छी तरह से check करेगे ।
इस  प्रयोग मे ,
आयरन, कॉपर, ऐलुमिनियम, मैग्नीशियम, सोडियम, लेड, जिक मे कोई भी चमक नहीं होती है |
लेकिन जब इन धातुओ के लवण और मिक्स्ड धातु को consider करगे तब इन धातु पर चमक होती है |
जिससे ये निष्कर्ष निकलता है की
असुध धातु  मे धात्विक चमक होती है बल्कि सुध धातु मे धात्विक चमक नही होती है |
आघातवर्ध्य
कुछ धातुओं को पीटकर पतली चादर बनाया जा सकता है। इस गुणधर्म को आघातवर्ध्यता कहते हैं। सोना तथा चाँदी सबसे अधिक आघातवर्ध्य धातुएँ हैं | इस गुण को समजने के लिए निन्म प्रयोग करता है :-
सबसे पहले आयरन, जिंक, लेड तथा कॉपर के टुकड़ेलेगे और इससे चार-पाँच बार हथौडे से पिटते है | इससे प्रयोग मे ,
आयरन की पतली शीट बन जाती है और जिंक और  लेड  का अकार बदल जाता है | जो की ये सिद्ध करता है की धातुओं मे आघातवर्ध्य का गुण होता है |
तन्यता
सभी धातु को खीच कर पटले तार मे बदला जा सकता है इसे तन्यता  का गुण कहते है | इससे समजने के लिए निन्म प्रयोग को consider करेगे | सोना सबसे अधिक तन्य धातु है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि एक ग्राम सोने से 2cm लंबा तार बनाया जा सकता है। आतः जब आप किसी सुनार केपास काम किया होगा तब आप ये observe कर सकते है  | इसके अलावा इलेक्ट्रिक वायर मे जिसमे al और cu के लम्बे लम्बे तार होते है | जिसका use विदुत को सचर मे किया जाता है |आघातवर्ध्यता तथा तन्यता के कारण धातुओं को हमारी आवश्यकता के अनुसार विभिन्न आकार दिए जा सकते हैं। इसलिए धातु को दैनिकजीवन मे सबसे ज्यादा use किया जाता है |AL और CU का  उपयोग खाना पकाने के बर्तन बनाने के लिए होता है क्योकि इस्ससे किसी भी आकार मे बदला जा सकता है | इसके अलावा निन्म भी रीज़न होता है |
उर्जा सचार
धातु मे उर्जा सचार का गुण भी होता है इसलिए विदुत को संचार करने के लिए al और cu के तार को use किया जाता है इसके अलावा इस धातु से बने बर्तन का use खाना पकाने मे किया जाता है क्योकि in धातु मे ऊष्मा उर्जा का संचार बहुत ज्यादा होता है |
कठोरता
धातुओ की कठोरता  के बारे मे कुछ साफ नहीं कहा जा सकता है क्योकि जहा पर आयरन, कॉपर ऐलुमिनियम तथा मैग्नीशियम  के टुकडो को चाकू से कटा नहीं जा सकता है यही पर सोडियम धातु के टुकड़े को चाकू से आसानी से कटा जा सकता है इसलिए कुछ धातु की आयरन, कॉपर ऐलुमिनियम तथा मैग्नीशियम  बहुत ज्यादा होती है औरकुछ धातु की आयरन, कॉपर ऐलुमिनियम तथा मैग्नीशियम  बहुत कम होती है | धातु के आयरन, कॉपर ऐलुमिनियम तथा मैग्नीशियम  को ध्यान मे रखते हुए जिस तार से आपके घर तक बिजली पहँुचती है उस पर पॉलिवाइनिल क्लोराइड  अथवा रबड़ जैसी सामग्री की परत चढ़ी होती है।
जो की AL और CU के तार को मजबूती भी देते है और इसके अलावा in तारो को बहरी वातावरण से बचता है |
ध्वानिक (सोनोरस)
इस गुण का मतलब है जब दो दो से अधिक धातु को आपस मे टकरा जाता है तब इसमें से ध्वनी उत्पन्न होती है | इसदूँ को ध्वानिक (सोनोरस) कहते है |उदाहरन के लिए स्कूल की घंटी जो की धातु कठोर दहतु से बनी होती है और जब इसे किसी लकड़ी के हथोड़े से कटकरा जाता है तब तिव्र आवाज निकलती है |
गलानक
धातुओ की गलनाक बहुत ज्यादा होता है और सभी धातु का गलनाक अलग अलग होता है | गलनाक का मतलब है वो minimum तापमान जिस पर धातु ठोस रूप से द्रव रूप मे आती है |
सबसा ज्यादा गलनाक लोहे का होता है जिसकी value 1453 degree centigate होती है |
कॉपर का गलनाक 1084 degree centigate  है |
एल्युमीनियम का गलनाक 1084 degree centigate  है |
सोने  का गलनाक 1064 degree centigate  है |
कैल्शियम  का गलनाक 842 degree centigate  है |
lead का गलनाक 320 degree centigate  है |
Mg का गलनाक 650 degree centigate  है |
ठोसता
सभी धातु कमरे के तापमान मे ठोस होता है | केवल एक धातु मरकरी (Hg) को छोड़कर | क्योकि  मरकरी (Hg) कमरे के तापमान पर liquid होता है |
आयतन
सभी धातु का आयतन बहुत ज्यादा होता है | आयतन का मतलब है किसी निश्चित space मे उपस्थित मे धातु के आयनों की सख्या | अतः सभी धातुओ के लिए आयतन का high होने का मतलब है किसी  निश्चित space मे उपस्थित मे धातु के आयनों की सख्या की बहुत ज्यादा होती है |
इस article मे धातु की भोतिक गुणों को discuss किया अब आगे के article मे धातु के रासायनिक गुणों को discuss करेगे |

धाताएँ

 उन तत्वों को धातु कहा जाता है जो इलेक्ट्रॉनों का त्यागकर धनायन प्रदान करते हैं। धातुएं सामान्यतः चमकदार, अघातवर्ध्य एवं तन्य होती हैं तथा इनका घनत्व अधिक होता है।

 जिन खनिजों से धातुएँ अधिक मात्रा में प्राप्त की जा सकती हैं, उन्हें अयस्क कहा जाता हैय जैसे – लोहा, एल्युमीनियम, सोडियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम इत्यादि।

 अयस्क में मिले अशुद्ध पदार्थ को गैंग तथा गैंग को हटाने के लिए बाहर से मिलाए गए पदार्थ को फ्लक्स कहा जाता है।

 गैंग एवं फ्लक्स के मिलने से बने पदार्थ को धातुमल कहा जाता है।

धातुओं के भौतिक गुण

(प) अघातवर्ध्य (पप) तन्य (पपप) चमकदार

(पअ) अधिक घनत्व (अ) विद्युत सुचालक।

 सोना एवं चांदी सर्वाधिक तन्य धातुएं हैं। एक ग्राम सोने से 2 किमी. लम्बा तार बनाया जा सकता है।

 चांदी एवं तांबा विद्युत की सर्वोत्तम चालक है। पारा धातु है, किन्तु यह द्रव अवस्था में पाया जाता है। यह न तो तन्य है, न ही अघातवर्थ्य।

धातुओं के रासायनिक गुण

 धातुएँ, विभिन्न प्रकार की अधातुओं (सल्फर, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, क्लोरीन आदि) के साथ प्रतिक्रिया कर यौगिकों का निर्माण करती हैं।

 भूपर्पटी पर सबसे अधिक पायी जानेवाली धातु एल्युमीनियम है। इसके बाद क्रमशः लोहा, कैल्शियम, सोडियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम एवं टाईटेनियम पाए जाते हैं।

 समस्त धातुएँ ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करती हैं, किन्तु उनकी अभिक्रियाशीलता भिन्न-भिन्न है।

 अभिक्रियाशीलता क्रम में धातुएँ-पोटैशियम → बेरियम → कैल्शियम → सोडियम → मैग्नीशियम → एल्युमिनियम → जिंक → लोहा → निकिल → टीन → सीसा → हाइड्रोजन → तांबा → पारा → चांदी → सोना (सबसे कम से अधिक समय)।

 लोहा के प्रमुख अयस्क हैं – हेमेटाइट, मैग्नेटाइट, आयरन, पायराइटीन। लोहा हीमोग्लोबिन के रूप में मनुष्य के रक्त में पाया जाता है।

 लोहे के निष्कर्षण में वात भट्टी का प्रयोग किया जाता है। इसका निष्कर्षण मुख्यतः लाल हेमेटाइट के अयस्क से किया जाता है।

 लोहे की मुख्यतः तीन किस्में होती हैं- ढलवां लोहा, पिटवां लोहा एवं इस्पात। ढलवा लोहा सबसे निम्न कोटी का लोहा होता है। इसमें कार्बन की मात्रा सर्वाधिक (2.5ः) होती है।

 ढलवा लोहा में सिलिकॉन मैगनीज और फॉस्फोरस अशुद्धियों के रूप पाये जाते हैं।

 पिटवां लोहा अपेक्षाकृत शुद्ध लोहा होता है, इसमें कार्बन की मात्रा (0.12 – 0.25 प्रतिशत) होती है, चादर और तार इसी से बनाये जाते हैं।

 इस्पात लोहा एवं कार्बन का एक मिश्रधातु होता है। स्टेनलेस इस्पात का उपयोग बर्तन, ब्लेड, वाल्व आदि बनाने में होता है। यह कठोर होता है। इसमें क्रोमियम की मात्रा 15 प्रतिशत होती है।

 लोहे में जंग लगना रासायनिक परिवर्तन है, जंग लगने पर लोहे का भार बढ़ जाता है, इसमें जंग लगने वाला पदार्थ फोरसोफोरिक आॅक्साइड होता है।

 प्रकृति में चाँदी मुक्त एवं स्वतंत्र दोनों अवस्थाओं में पाया जाता है। चाँदी धातु का निष्कर्षण मुख्यतः अर्जेण्टाइट अयस्क से किया जाता है।

 चाँदी एक चमकदार नीलापन लिये हुए श्वेतत धातु है जो विद्युत एवं ऊष्मा का सुचालक होता है।

 चाँदी का उपयोग दर्पण बनाने के लिये शीशे पर पाॅलिश करने, सिक्के व आभूषण बनाने एवं दांतों को भरने में किया जाता है।

 कृत्रिम वर्षा कराने में चाँदी के यौगिक सिल्वर आयोडाइड का उपयोग किया जाता है।

 फोटोग्राफी में सिल्वर ब्रोमाइड का उपयोग होता है जो चाँदी का एक यौगिक है। फोटाक्रोमेटिक कांच बनाने में चाँदी के यौगिक सिल्वर क्लोराइड का उपयोग किया जाता है।

 मतदान के दौरान मतदाताओं की अंगुली पर निशानल लगाने वाली स्याही में सिल्वर नाइटेªट मिला जाता है।

धातुएं एवं उनके यौगिकों का उपयोग

यौगिक उपयोग

पारा थर्मामीटर बनाने में, अमलगम बनाने में, सिन्दूर बनाने में

मरक्यूरिक क्लोराइड कीटनाशक के रूप में, कैलोमल बनाने में

सोडियम बाइकार्बोनेट  बेकरी उद्योग में, अग्निशामक यंत्र में, प्रतिकारक के रूप में

मैग्नीशियम धातु मिश्रण बनाने में, प्लैश बल्ब बनाने में

मैग्नीशियम कार्बोनेट दवा बनाने में, दन्तमंजन बनाने में, जिप्सम साल्ट बनाने में

मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड चीनी उद्योग में मोलसिस से चीनी तैयार करने में

अनार्द्र मैग्नीशियम क्लोराइड रूई की सजावट में

कैल्शियम पैट्रोलियम से सल्फर हटाने में, अवकारक के रूप में

कैल्शियम ऑक्साइड ब्लीचिंग पाउडर बनाने में, गारे के रूप में

कैल्शियम कार्बोनेट टूथपेस्ट बनाने में, कार्बन डाइऑक्साइड बनाने में, चूना बनाने में

जिप्सम प्लास्टर ऑफ पेरिस बनाने में, अमोनियम सल्फेट बनाने में, सीमेन्ट

उद्योग में

प्लास्टर ऑफ पेरिस मूर्ति बनाने में, शल्य-चिकित्सा में पट्टी बांधने में

ब्लीचिंग पाउडर कीटाणुनाशक के रूप में, कागज तथा कपड़ों के विरंजन में

कॉपर बिजली का तार बनाने में, पीतल बनाने में

भारी जल न्यूक्लियर प्रतिक्रियाओं में, डयूटरेटेड यौगिक के निर्माण में

हाइड्रोक्लोरिक अम्ल क्लोरीन बनाने में, अम्लराज बनाने में, रंग बनाने में, क्लोराइड

लवण के निर्माण में

सल्फ्यूरिक अम्ल स्टोरेज बैटरी में, प्रयोगशाला में प्रतिकार के रूप में, रंग-उत्पादन

में, पेट्रोलियम के शुद्धिकरण में

अमोनिया आइसफैक्ट्री में, प्रतिकारक के रूप में, रेयॉन बनाने में

नाइट्रस ऑक्साइड शल्य-चिकित्सा में

प्रोड्सूर गैस भट्टी गर्म करने में, सस्ते ईंधन के रूप में, धातु निष्कर्षण में

वाटर गैस वैल्डिंग के कार्य में, निष्क्रिय वातावरण तैयार करने में

फिटकरी जल को शुद्ध करने में, औषधि-निर्माण में, चमड़े के उद्योग में, कपड़ों की रंगाई में

जिंक बैटरी बनाने में, हाइड्रोजन बनाने में

जिंक आॅक्साइड मलहम बनाने में, पोरसेलिन में चमक लाने में

जिंक सल्फाइड श्वेत पिगमेंट के रूप में

फेरस आॅक्साइड हरा कांच बनाने में, फेरस लवणों के निर्माण में

फेरिक आॅक्साइड जेवरात पॉलिश करने में, फेरिक लवणों के निर्माण में

काॅपर सल्फेट या नीला थोथा कीटाणुनाशक के रूप में, विद्युत सेलों में, कॉपर के शुद्धिकरण

में, रंग बनाने में

क्यूप्रिक आॅक्साइड पेट्रोलियम के शुद्धिकरण में, ब्लू तथा ग्रीन कांच के निर्माण में

क्यूप्रस आॅक्साइड लाल कांच के निर्माण में, पेस्टिसाइड के रूप में

क्लोरीन ब्लीचिंग पाउडर बनाने में, मस्टर्ड गैस बनाने में, टिंक्चर गैस बनाने में, कपड़ों एवं कागज को विरंजित करने में

ब्रोमीन रंग उद्योग में, औषधि बनाने में, टिंक्चर गैस बनाने में, प्रतिकारक

के रूप में

आयोडीन टिंक्चर आयोडीन बनाने में, रंग उद्योग में, कीटाणुनाशक के रूप

में, रंग उद्योग में

सल्फर कीटाणुनाशक के रूप में, बारूद बनाने में, औषधि के रूप में

फाॅस्फोरस लाल फॉस्फोरस दियासलाई बनाने में, चूहे मारने में, फॉस्फोरस

ब्रांज बनाने में

हाइड्रोजन अमोनिया के उत्पादन में, कार्बनिक यौगिक के निर्माण में, रॉकेट

ईंधन के रूप में

द्रव हाइड्रोजन रॉकेट ईंधन के रूप मे

प्रमुख धातुएँ एवं उनके आयस्क

धातुएँ अयस्क

सिल्वर रूबी सिल्वर पायरा गाईराईट

सोना काल्वे राइट, सिल्वेनाइट बेराइट

जिंक जिंक ब्लेंड, कैलेमाइन जिंकाइट

पारा सिनेबार

टिन केसीटेराइट

लैड गैलना

लोहा हेमाटाइट मैग्नेटाइट, लिमोनाइट, सिडेराइट, आयरन, पायराइट, कैल्कोपाइराइट

निकिल मिलेराइट

क्रोमियम क्रोमाइट पाइरोल्युसाइट सीलोमीलिन (मैग्नाइट)

सोडियम चिली साल्टपीटर, ट्रोना, बोरेक्स, साधारण नमक

एल्युमिनियम बॉक्साइट, कोरंडम, फेलस्पार, क्रोयोलाइट, ऐल्युनाइट, काओलीन

पोटेशियम लाइटर, कार्नेलाइट

मैग्नेशियम मैग्नेसाइट, डोलोमाइट, एप्सम लवण, कीसेराइट, कार्नेलाइट

कैल्शियम डोलोमाइट, कैल्साइट, जिप्सम, फ्लोरस्पार, कैल्शियम मैग्नेशियम सिलिकेट या एस्बेस्टस

तांबा क्यूप्राइट, कॉपर ग्लास, कॉपर पायराइट

प्रमुख मिश्र धातुएँ एवं उनके अवयव

मिश्र धातु अवयव

स्टील लोहा, कार्बन

स्टेनलेस स्टील लोहा, निकिल, क्रोमियम

पीतल तांबा, जिंक

कांसा तांबा, टिन

टांका (सोल्डर) सीसा, टिन

जर्मन सिल्वर तांबा, निकिल, जिंक

ड्यूरेलियम एल्युमिनियम, तांबा तथा मैग्नीशियम एवं लघु मात्रा में मैंगनीज