यूरेनियम का उपयोग क्या है , कैसा होता है , इलेक्ट्रॉनिक विन्यास किसे कहते है ? कीमत इन इंडिया |
(uranium meaning in hindi) यूरेनियम :
परमाण्वीय संख्या (atomic number) = 92
परमाण्वीय भार (atomic weight) = 238.03
युरेनियम अंर्तसंक्रमण तत्वों की एक्टिनाइड श्रेणी में चौथे नंबर का तत्व है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नलिखित होता है –
U(92) = 1s2 , 2s2 2p6 , 3s2 3p6 3d10 , 4s2 4p6 4d10 4f14 , 5s2 5p6 5d10 5f3 , 6s2 6p6 6d1 , 7s2
प्रकृति में यूरेनियम मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता , संयुक्त अवस्था में यह विरल खनिजों में पाया जाता है। इसके प्रमुख खनिज निम्नलिखित है –
(i) पिच ब्लेण्ड अथवा यूरेनीनाइट जिसमें यूरेनियम , U3O8(UO2.2UO3) अथवा युरेनियम यूरेनेट U(UO4)2 के रूप में पाया जाता है। इसमें 75-90% तक यूरेनियम ऑक्साइड होता है तथा यह भारत , ऑस्ट्रेलिया , बोहीमिया , हंगरी , नॉर्वे और पूर्वी अफ्रीका आदि में पाया जाता है।
(ii) कार्नोटाइट K2O.2UO3.V2O5.3H2O पोटेशियम यूरेनिल ऑर्थो वैनेडेट और कैल्सियम कार्नोटाइट CaO.2UO3.V2O5.3H2O में यह रेडियम के साथ पाया जाता है। यह बिहार के जादूगुडा खदानों में मिलता है।
(iii) एन्टूनाइट K(UO2)PO4.8H2O पोटेशियम यूरेनिल ऑर्थोफास्फेट जो काँगो में पाया जाता है।
धातुकर्म (Metallurgy) : इसके प्रमुख अयस्क पिच ब्लेण्ड और कोर्नोटाइट है जिनसे युरेनियम का निष्कर्षण किया जाता है।
(i) पिच ब्लेण्ड से : पिच ब्लेंड से पहले यूरेनियम ऑक्साइड बनाते है। इसके लिए दो प्रकार की विधियों का उपयोग किया जाता है :
(a) अम्ल पाचन प्रक्रम : सर्वप्रथम पिचब्लेण्ड से रेत मिट्टी आदि को दूर करने के लिए अयस्क का गुरुत्व विधि से सांद्रण करते है। सांद्रित अयस्क का वायु की अधिकता में भर्जन करते है जिससे S , As , Sb आदि की अशुद्धियाँ वाष्पशील ऑक्साइड बनाकर निकल जाती है।
भर्जित अयस्क को MnO2 ऑक्सीकारक की उपस्थिति में तनु H2SO4 के साथ 24 घंटे तक पचाने पर Ba , Pb , Ra आदि की अशुद्धियाँ सल्फेट के रूप में अवक्षेपित होकर निकल जाती है जबकि सल्फेट के रूप में यूरेनियम विलयन में चला जाता है .इसमें सोडियम कार्बोनेट डालने पर यह सोडियम यूरेनाइल कार्बोनेट बना लेता है।
2U3O8 + 6H2SO4 + ½ O2 → 3UO2.SO4 + 3H2O
UO2.SO4 + 3Na2CO3 → Na4UO2(CO3)3 + Na2SO4
इस विलयन को एचसीएल के साथ उदासीन करवाया जाता है जिससे यह विघटित होकर यूरेनाइल क्लोराइड बना लेता है। फिर इसमें H2S गैस को प्रवाहित किया जाता है जिससे Pb , Cu आदि अशिद्धियाँ सल्फाइडो के रूप में अवक्षेपित हो जाती है जिन्हें छानकर पृथक कर लिया जाता है। विलयन को अमोनियम हाइड्रोक्साइड के साथ उदासीन करके फिर सान्द्र किया जाता है। अमोनियम डाइयूरेनेट के क्रिस्टल प्राप्त होते है जो वायु में तीव्र गर्म करने पर यूरेनियम ऑक्साइड बना लेते है।
Na4UO2(CO3)3 + 6HCl → UO2Cl2 + 4NaCl + 3H2O + 3CO2
2UO2Cl2 + 6NH4OH → (NH4)2U2O7 + 4NH4Cl + 3H2O
3(NH4)2U2O7 → 2U3O8 + 6NH3 + 3H2O + O2
अमोनियम हाइड्रोक्साइड के स्थान पर अमोनियम कार्बोनेट भी प्रयुक्त किया जा सकता है , इससे अमोनियम यूरेनाइल कार्बोनेट बनता है जो तीव्र गर्म करने पर ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है।
UO2Cl2 + 3(NH4)2CO3 → (NH4)4UO2(CO3)3 + 2NH4Cl
6(NH4)4UO2(CO3)3 → 24NH3 + 2U3O8 + 18CO2 + 12H2O + O2
(b) क्षार पाचन प्रक्रम : इस प्रक्रम में भर्जित अयस्क को Na2CO3-NaHCO3 मिश्रण के साथ पचाया जाता है जिससे विलयशील सोडियम यूरेनाइल कार्बोनेट बनता है जो NaOH के साथ अभिकृत करने पर सोडियम डाइयूरेनेट का अवक्षेप बनाता है।
U3O8 + 3Na2CO3 + 6NaHCO3 + ½ O2 → 3Na4UO2(CO3)3 + 3H2O
2Na4UO2(CO3)3 + 6NaOH → Na2U2O7 + 6Na2CO3 + 3H2O
इस अवक्षेप को तनु H2SO4 में घोलकर विलयन को अमोनीकृत करते है , बने हुए अमोनियम डाइयूरेनेट को तीव्र गर्म करने से यूरेनियम ऑक्साइड बन जाता है।
Na2U2O7 + H2SO4 → H2U2O7 + Na2SO4
H2U2O7 + 2NH4OH → (NH4)2U2O7 + 2H2O
3(NH4)2U2O7 → 2U3O8 + 6NH3 + 3H2O + O2
उपर्युक्त में से किसी भी विधि द्वारा बना हुआ यूरेनियम ऑक्साइड अपचयन द्वारा यूरेनियम धातु मुक्त करता है। अपचयन कार्बन द्वारा विद्युत भट्टी में किया जा सकता है।
U3O8 + 8C → 3U + 8CO
अथवा Mg , Ca या एलुमिनियम (एलुमीनो थर्मिक प्रक्रम) के द्वारा कराया जा सकता है।
3U3O8 + 16Al → 9U + 8Al2O3
(ii) कार्नोटाइट से : कार्नोटाइट में युरेनियम के साथ Ba , V , Fe , Al , Ra आदि धातुएँ होती है। अयस्क को 100 डिग्री सेल्सियस पर भाप से सान्द्र HNO3 के साथ गर्म करते है। लगभग पूरा अयस्क घुल जाता है जिसे छानकर NaOH के साथ उदासीन करते है तथा फिर उसे BaCl2 और H2SO4 के साथ अभिकृत करते है। Ba , Ra आदि के सल्फेट अवक्षेपित हो जाते है जिन्हें छानकर पृथक कर लिया जाता है। छनित को Na2CO3 के साथ उबालते है। जब Fe , Al आदि के कार्बोनेट अवक्षेपित हो जाते है जिन्हें छानकर पृथक कर लेते है। छनित में यूरेनियम और वैनेडियम के कार्बोनेट लवण होते है , HNO3 के साथ उदासीन करके विलयन को NaOH के साथ अभिकृत करते है जिससे सोडियम डाइयूरेनेट अवक्षेपित हो जाता है।
Na4UO2(CO3)3 + 6HNO3 → UO2(NO3)2 + 4NaNO2 + 3H2O + 3CO2
2UO2(NO3)2 + 6NaOH → Na2U2O7 + 4NaNO3 + 3H2O
Na2U2O7 से ऊपर लिखी विधि के अनुसार यूरेनियम प्राप्त कर लिया जाता है।
यूरेनियम के गुण (properties of uranium)
- यह धातु निकल जैसी दिखती है , शुद्ध धातु श्वेत होती है , परन्तु नाइट्राइडो की अशुद्धि से यह पिली दिखाइ देती है। यह धातु आघातवर्धनीय होती है। तथा स्टील की तुलना में मुलायम होती है।
कार्बन के साथ मिश्रित होने पर यह कठोर और भंगुर हो जाती है।
- 160 डिग्री सेल्सियस तक गर्म करने पर , यह जल उठती है , क्लोरिन में 150 डिग्री सेल्सियस पर और फ्लुओरीन में कमरे के ताप पर ही जलने लगती है। उच्च ताप पर यह आयोडीन , सल्फर वाष्प और नाइट्रोजन में भी जलती है।
- यह सामान्य ताप पर धीरे धीरे और उच्च ताप पर तेजी से जल को अपघटित कर देती है।
U + 2H2O → UO2 + 2H2
यह मुक्त हुई हाइड्रोजन यूरेनियम से क्रिया करके उसका हाइड्राइड बना देती है।
2U + 3H2 ⇌ 2UH3
- यह उच्च ताप पर अमोनिया से क्रिया करके नाइट्रोजन देता है।
2U + 2NH3 → 2UH3 + N2
- यह सान्द्र एचसीएल से क्रिया करके हाइड्रोजन मुक्त करता है :
U + 4HCl → UCl4 + 2H2
- यह सान्द्र H2SO4से क्रिया करके SO2मुक्त करता है , जबकि क्षारों के साथ इसकी कोई क्रिया नहीं होती।
- यह मर्करी , सिल्वर , कॉपर और टिन को उनके विलयनों से विस्थापित कर देता है।
- प्रकाश की उपस्थिति में यह विस्फुरदिति दर्शाता है।
- युरेनियम एक रेडियो सक्रीय तत्व है जिसके विघटन की पूरी एक श्रेणी है , इसके तीन समस्थानिक होते है –
U238 , U235 और U234
- उच्च ताप पर यह नाइट्रोजन और कार्बन आदि तत्वों के साथ संयोग करके द्विअंगी यौगिक क्रमशः नाइट्राइड और कार्बाइड बनाता है।
3U + 2N2 → U3N4
U + 2C → UC2
यूरेनियम का उपयोग (uses of uranium)
यह आवर्त सारणी का अंतिम प्राकृतिक तत्व है , इसके बाद वाले ट्रांसयूरेनियम तत्व नाभिकीय अभिक्रियाओं में बनते है। इसके प्रमुख उपयोग निम्नलिखित है –
- नाभिकीय रिएक्टरों में नाभिकीय ऊर्जा के स्रोत के रूप में।
- यूरेनियम के यौगिकों का उपयोग सिरैमिक उद्योग में कांच और पौट्री को पिला और नारंगी रंग की चमकीली सतह प्रदान करने में किया जाता है।
- तापदीप्त लैम्प बनाने में इसके ऑक्साइड UO2का उपयोग किया जाता है।
- यूरेनियम के मिश्रधातु स्वत: ज्वलनशील होते है।
- लकड़ी , रेशम और कैलीको प्रिंटिंग में युरेनियम यौगिकों का उपयोग मार्डेन्ट के रूप में होता है।
- हैबर विधि द्वारा अमोनिया के संश्लेषण निर्माण में इस धातु और इसके कार्बाइड का उपयोग उत्प्रेरक के रूप में होता है।
- इसका फोटोग्राफी में भी उपयोग होता है। फोटो नेगेटिव को गहरा करने में यूरेनियम एसिटेट या यूरेनियम नाइट्रेट का उपयोग किया जाता है।
- रबर में युरेनियम बोरेट को मिलाने पर रबर की स्थिति अच्छी हो जाती है , वह दिखता सुन्दर है , इसकी मजबूती और ऑक्सीकरण के प्रति प्रतिरोधकता बढती है।
- कई यूरेनियम यौगिकों का औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है।
- विश्लेषणात्मक रसायन में यूरेनियम का बहुत उपयोग होता है।
उदाहरण –
- HNO3 , H2CrO4 आदि के परोक्ष अनुमापन में यूरेनस सल्फेट का उपयोग होता है।
- फास्फेट और आर्सीनेट के आयनात्मक अनुमान में यूरेनाइल नाइट्रेट को अभिकर्मक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।
- सोडियम के परिक्षण में यूरेनाइल एसिटेट का उपयोग होता है।