नक्सली समस्या का समाधान क्या है ? Solution of Naxalite Problem in hindi सरकार द्वारा उठाये गये कदम

Solution of Naxalite Problem in hindi नक्सली समस्या का समाधान क्या है ? सरकार द्वारा उठाये गये कदम और योजनाएँ ?

नक्सली समस्या के समाधान हेतु सुझाव
(Suggestions to Find Solution of Naxallite Problem)
अल्पकालिक/रक्षात्मक समाधान (Short&term/Protective Solutions)
ऽ प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय पुलिस तंत्र का सशक्तीकरण।
ऽ पुलिस तंत्र एवं गुप्तचर व्यवस्था में सामंजस्य।
ऽ पुलिस एवं स्थानीय लोगों में सहयोग विकसित करना।
ऽ अर्द्धसैनिक बलों का समुचित उपयोग।
ऽ अर्द्धसैनिक बलों एवं पुलिस के बीच सामंजस्य तथा उन्हें अत्याधुनिक हथियारों की आपूर्ति।
लेकिन, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र आदि राज्यों में माओवादी केडरों ने इतनी गहरी जड़ें जमा ली हैं कि इसे केवल सुरक्षा बलों के सहारे अभियान चलाकर पूर्णतः समाप्त नहीं किया जा सकता। इसके लिए आवश्यक है कि इन कैडरों को समाज की मुख्यधारा में वापस लाने के लिए हर स्तर पर ठोस पहल की जाए। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अभाव, उपेक्षा, निर्धनता का दंश झेल रहे लोगों के लिए सरकारी स्तर पर सुविधाएँ उपलब्ध कराना प्राथमिकता सूची में शीर्ष पर होना चाहिए। हालाँकि माओवादी कैडरों के लिए आत्मसमर्पण की नई नीति अमल में लाई जा रही हैं, पर देखना यह होगा कि मुख्यधारा में इन कैडरों की वापसी की दिशा में यह कितना कारगर हो पाता है। इस नीति को सफल बनाने के लिए सार्थक सोच का होना भी बहुत आवश्यक है। जब कोई माओवादी आत्मसमर्पण करता है तो इसका अर्थ यह है कि वह समाज की मुख्यधारा में शामिल होना चाहता है। पर इसे बनाए रखने के लिए हर उस व्यक्ति को सरकारी स्तर पर ऐसी सुविधाएँ मिलनी चाहिए ताकि वह फिर माओवादी विचारधारा की ओर न जाए।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में यदि कुछ प्रभावी हो सकता है तो वह है विकास। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अभियान चलाकर विकास कार्यक्रमों पर बल देना अपरिहार्य है तभी नक्सल विचारधारा से लोगों को दूर रखने में कुछ सफलता मिल सकती है।
हाल ही में इस चर्चा ने जोर पकड़ लिया है कि आतंकवाद की तुलना में नक्सलवाद कहीं बड़ा खतरा है। नक्सलवाद के रूप में आज ऐसे संगठनों से जूझना पड़ रहा है जो हिंसा के बल पर शासन और विधि व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं। बीते दिनों नक्सलियों के खिलाफ प्रभावी अभियान चलाने एवं सीमावर्ती क्षेत्रों में आपसी समन्वय एवं सहयोग से इन्हें नक्सल मुक्त कराने को लेकर ठोस पहल की गई। लेकिन इसके सार्थक परिणाम आते नहीं दिख रहे।
माओवादियों की मंशा शुरू से ही बंदूक के बल पर समानांतर सत्ता कायम करने की रही है और पिछड़े क्षेत्रों में ऐसा करने में इन्हें काफी सफलता भी मिली है। प्रभावित क्षेत्रों में इनके समर्थक हैं। विचारधारा के स्तर पर इनकी सक्रियता ऐसी है कि लोग भ्रमवश कैडरों से जुड़ते चले जाते हैं। इन हालातों में लोगों को इससे प्रभावित होने से रोकने के लिए और प्रयास किए जाने चाहिएँ। मात्र समस्या की थाह लेने भर से ही उसका निदान होने वाला नहीं है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की समस्याओं का समाधान सरल नहीं है। इसके लिए सतत कार्यक्रम योजनाबद्ध विधि से चलाने होंगे।
नक्सल प्रभावित राज्यों में उठाए जाने वाले सभी कदमों की जिम्मेदारी राज्य सरकार को भी लेनी चाहिए। जब राज्य सरकारें माओवादी संगठनों से निपटने में सक्षम होंगी तभी बेकाबू हो चुके नक्सलवाद पर लगाम लगाने में सफलता मिल सकती है।
इसके अतिरिक्त, नक्सलवाद को केवल कानून-व्यवस्था के दृष्टिकोण से देखना उचित नहीं है। इस समस्या से निपटने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। खनिज एवं वन संपदा संपन्न आदिवासी क्षेत्रों में नक्सलवाद के पनपने का मूल कारण इनका पिछड़ापन और विकास का अभाव है। नक्सल विचारधारा को मानने वाले लोकतंत्र, संवैधानिक मूल्यों, राजनीतिक व्यवस्था को नहीं मानते। वर्तमान में माओवाद की समस्या दो तरीके से चुनौती पेश कर रही है। पहला विचारधारा के स्तर पर और दूसरा अपराध के स्तर पर जिसमें जबरन धन उगाही अपहरण और हत्याएँ करना आदि शामिल है। आज नक्सली कई स्थानों पर विकास योजनाओं में बाधा बनते हैं और इसके बदले जबरन उगाही करते हैं। अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए वे हिंसक रास्ता अपना रहे हैं। ऐसे में आवश्यकता इन्हें मुख्यधारा में वापस लाने की है। ऐसा करने से ही इस गंभीर समस्या से निपटने में मदद मिल पाएगी।

दीर्घकालिक समाधान (Long term Solutions)
ऽ भौगोलिक परिस्थिति के अनुरूप समस्याओं को परिभाषित करना।
ऽ केंद्र-राज्य के बीच बेहतर सामंजस्या।
ऽ अवसरंचनात्मक विकास पर विशेष बल।
ऽ पिछड़े क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहन।
ऽ आदिवासी अधिकारों की सुरक्षा।
ऽ भूमि सुधार एवं भूमि अधिकारों की सुरक्षा।
ऽ खाद्य सुरक्षा और शिक्षा को प्रोत्साहन।
ऽ भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों को प्रभावी बनाना।
ऽ गहन वार्ता को प्रोत्साहन।
ऽ ग्राम रक्षा समितियों की स्थापना एवं प्रशिक्षण।

नक्सली समस्या के समाधान हेतु सरकार द्वारा उठाये गये कदम
(Steps taken by the Government to Solve the Naxalite Problem)
केंद्र सरकार ने नक्सली समस्या के समाधान के लिए द्विआयामी रणनीति अपनाई है नक्सलियों के विरूद्ध निरंतर कार्रवाई और जनजातीय क्षेत्रों में विकासात्मक कार्यों को बढ़ावा देना। इनमें सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाना नक्सल प्रभावित जिलों में विभिन्न विकासात्मक नियमों मे ढील देना और 82 चुनिंदा जनजातीय एवं पिछड़े जिलों में एकीकृत कार्य योजना शामिल है। सरकार यह सुनिश्चित करने के प्रयास मे है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रो में रह रहे लोग शांति एवं सुरक्षा के वातावरण में रहकर सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ उठा सके।
सरकार नक्सली समस्या से निपटने के लिए गंभीर और कटिबद्ध है। इसका लिए केंद्र में आन्तरिक सुरक्षा विभाग में नक्सल प्रबंधन प्रभाग का गठन किया गया है।

नक्सल प्रबंधन प्रभाग की योजनाएँ (Schemes of Naxal Management Division)
राज्य पुलिस का आधुनिकीकरणः पुलिस आधुनिकीकरण की योजना के अंतर्गत राज्यों को अपने पुलिस बलों को आधुनिक हथियारों, नवीनतम संचार उपकरणों, सचलता तथा अन्य अवसंरचना के संबंध में आधुनिक बनाने के लिए निधियाँ प्रदान की जाती हैं। वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों को संवेदनशील पुलिस थानों और चैकियों को पहचान करने तथा इस योजना के अंतर्गत उनकी किलेबंदी करने को भी कहा गया है। तथापि, कुछ राज्यों की इस योजना के कल राज्यों की इस योजना के अंतर्गत निधियों के उपयोग के स्तर में सुधार करने की जरूरत है।
सुरक्षा संबंधी व्ययः ऑपरेशनल जरूरतों से जुड़े आवतो व्यय के साथ- साथ संबंधित राज्य सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के अन्तर्गत आत्मसमर्पण करने वाले वामपंथी उग्रवादी काडरों पर होने वाले व्यय, सामुदायिक पुलिस व्यवस्था। ग्राम रक्षा समितियों द्वारा सुरक्षा-अवसंरचना और प्रचार सामग्री के लिए सहायता प्रदान की जाती है।
विशेष अवसंरचना संबंधी योजनाः वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में विशेष अवसंरचना संबंधी योजना के अन्तर्गत 500 करोड़ रुपए 11वीं योजना में आवंटित की गई थी ताकि महत्वपूर्ण अवसंरचना संबंधी ऐसी कमियों को पूरा किया जा सके जिन्हें मौजूदा योजनाओं में शामिल नहीं किया जा सकता। ये दुर्गम क्षेत्रों में मौजूदा सड़कोंध्मार्गों का उन्नयन करके पुलिसध्सुरक्षा बलों के लिए सचलता की आवश्यकताओं, दूरवर्ती और आंतरिक क्षेत्रों में रणनीतिक स्थानों पर सुरक्षित कैम्पिंग ग्राउन्ड्स और हेलीपैड की व्यवस्था करने, सुभेद्य क्षेत्रों में स्थित पुलिस थानों/चैकियों की सुरक्षा बढ़ाने के उपायों आदि से संबंधित हो सकती हैं।
आतंकवादी और साम्प्रदायिक हिंसा के पीड़ितों/उनके परिवार-जनों के लिए केन्द्रीय सहायताः इस योजना का वृहद उद्देश्य आतंकवादी, साम्प्रदायिक और नक्सली हिंसा के पीड़ितों के परिवारों की सहायता करना है। इस योजना के अन्तर्गत प्रभावित परिवार को किसी विशेष घटना में एक परिवार में हुई मौतों की संख्या पर विचार किए बिना, 3 लाख रुपये की राशि प्रदान की जाती है। तथापि, यदि किसी परिवार के आजीविका कमाने वाले तथा परिवार के मुखिया की अलग-अलग घटनाओं/अवसरों पर मृत्यु होती है। अथवा वे स्थायी रूप से अशक्त होते हैं तो वह परिवार ऐसे प्रत्येक अवसर पर सहायता प्राप्त करने का अधिकारी होगा। इस योजना के अंतर्गत नक्सली हिंसा के पीड़ित होने के कारण लाभभोगियों को दी जाने वाली सहायता. सुरक्षा संबंधी व्यय की योजना के अंतर्गत प्रदान किए गए एक लाख रुपए के अनुग्रह भुगतान के अतिरिक्त है।

सरकार का दृष्टिकोण (Government’s View)
सरकार का दृष्टिकोण सुरक्षा, विकास, प्रशासन तथा जन-अवबोधन आदि के माध्यम से वामपंथी उग्रवाद से समग्र रूप से निपटने का है। इस दशकों पुरानी समस्या से निपटने के लिए संबंधित राज्य सरकारों के साथ उच्च स्तरों पर विचार-विमर्श तथा बातचीत करने के बाद यह उचित समझा गया है कि अपेक्षाकृत अधिक प्रभावित क्षेत्रों को लक्ष्य बनाकर एकीकृत दृष्टिकोण अपनाए जाने से परिणाम सामने आएंगे। इसे ध्यान में रखते हए, वामपंथी उग्रवादी हिंसा के विस्तार तथा प्रवृत्तियों का विस्तृत विश्लेषण किया गया है तथा नौ राज्यों के सर्वाधिक प्रभावित 35 जिलों को चुना गया है जिन पर नियोजन तथा विकास-योजनाओं के कार्यान्वयन एवं निगरानी के दृष्टिकोण से विशेष ध्यान दिया जाएगा।
‘पुलिस‘ और ‘लोक व्यवस्था‘ राज्य का विषय होने से कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के संबंध में कार्रवाई करना राज्य सरकारों का क्षेत्राधिकार है। केन्द्र सरकार भी स्थिति की गहन निगरानी करती है और राज्यों के प्रयासों में उनकी अनेक प्रकार से सहायता करती है। इनमें ठोस कार्रवाई के लिए केन्द्रीय अर्द्ध सैनिक बल तथा कमांडो बटालियन (कोबरा) उपलब्ध करानाय इंडिया रिजर्व बटालियनों को स्वीकृति, विद्रोह-रोधी तथा आतंकवादी-रोधी स्कूलों की स्थापनाय राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण की योजना के अंतर्गत राज्य पुलिस तथा उनके आसूचना तंत्र का आधुनिकीकरण एवं उन्नयनय सुरक्षा संबंधी व्यय योजना के अन्तर्गत सुरक्षा संबंधी व्यय की प्रतिभूर्तिय वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में विशेष अवसंरचना संबंधी योजना के अंतर्गत महत्त्वपूर्ण अवसंरचना संबंधी कमियों को दूर करनाय रक्षा मंत्रालय, केन्द्रीय पुलिस संगठनों तथा पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के माध्यम से राज्य पुलिस के प्रशिक्षण में सहायताय सूचना का आदान-प्रदानय अन्तर-राज्य समन्वय को सुलभ बनानाय राज्य के भीतर तथा दूसरे राज्यों के साथ राज्य के विशेष समन्वित संयुक्त अभियानों में सहायता करना सामुदायिक पुलिस व्यवस्था तथा नागरिक कार्यों में सहायता करना तथा विभिन्न केन्द्रीय मंत्रालयों को अनेक योजनाओं के माध्यम से विकास कार्यों में सहायता करना शामिल है।

समीक्षा और निगरानी तंत्र (Review and Motioning System)
वामपंथी उग्रवाद की स्थिती से संबंधित विभिन्न आयामों तथा उनसे निपटने के लिए आवश्यक उपायों के संबंध में अनेक समीक्षा तथा निगरानी तंत्र स्थापित किए गए हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
ऽ राजनैतिक सुरक्षा तथा विकास के मोर्चा पर वामपंधी उग्रवाद की समस्या से निपटने के लिए एक समन्वित नीति बनाने तथा विशिष्ट उपाय करने के लिए केन्द्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को स्थायी समिति।
ऽ वामपंथी उग्रवाद की समस्या से एकीकृत तरीके से निपटने के दृष्टिकोण की दिशा में मंत्रिमंडलीय सचिव की अध्यक्षता में एक समीक्षा दल (जिसे पहले कार्यबल कहा जाता था) का गठन किया गया है जो विभिन्न विकास और सुरक्षा संबंधी उपायों के लिए किए गए समन्वित प्रयासों की समीक्षा करता है।
ऽ संबंधित राज्य सरकारों के प्रयासों की समीक्षा तथा समन्वय के लिए केंद्रीय गृह सचिव को अध्यक्षता में एक समन्वय केन्द्र जिसमें मुख्य सचिव तथा पुलिस महानिदेशक राज्य सरकारों को प्रतिनिधित्व करते हैं।
ऽ वामपंथी उग्रवादियों की गतिविधियों से निपटने के लिए आवश्यक प्रचालन उपायों पर विचार-विमर्श करने तथा विभिन्न राज्यों के प्राधिकारियों के बीच आवश्यकतानुसार समन्वय बनाने के लिए आसूचना एजेंसियों केन्द्रीय अर्द्ध सैनिक बलों तथा राज्य पुलिस बलों के वरिष्ठ अधिकारियों को मिलाकर गृह मंत्रालय के विशेष सचिव आन्तरिक सुरक्षा) की अध्यक्षता में कार्यबल।
ऽ वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित सामाजिक आर्थिक विकास के लिए विकास योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन की निगरानी हेतु विकास-मंत्रालयों तथा योजना आयोग के अधिकारियों को शामिल करके एक अन्तर-मंत्रालय दल का गठन।

सरकार की नई पहलें (New Initiatives by Government)
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की समय-समय पर होने वाली विभिन्न बैठकों में वामपंथी उग्रवाद के बढ़ते खतरे को रोकने के लिए प्रभावित राज्यों को और अधिक सहायता उपलब्ध करवाने हेतु अनेक निर्णय लिए गए। इन निर्णयों के अनुसरण में, अन्य बातों के साथ-साथ, निम्नलिखित नई पहले भी की गई हैं-
1. वामपंथी उग्रवादी हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड तथा ओडिशा राज्यों में से प्रत्येक में एकीकृत कमान की स्थापना। इस एकीकृत कमान में सिविल प्रशासन का प्रतिनिधित्व करने वाले सिविल अधिकारियों के अतिरिक्त सुरक्षा प्रतिष्ठानों के अधिकारी भी शामिल होंगे तथा यह कमान सावधानीपूर्वक सुनियोजित नक्सल-रोधी अभियानों का संचालन करेगी।
2. वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ तथा ओडिशा राज्यों में स्थापित कमान एवं नियंत्रण ढाँचे की पुनर्संरचना की गई है तथा इन राज्यों में से प्रत्येक में वहाँ तैनात केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल का एक महानिरीक्षक उस राज्य में तैनात महानिरीक्षक (नक्सलरोधी कार्रवाई) के साथ गहन समन्वय बनाकर कार्य करेगा।
3. केन्द्र सरकार ने वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों में 2 करोड़ रुपये प्रति थाने की दर से 400 किलेबंद पुलिस थानों के निर्माण/सुदृढीकरण में राज्य सरकारों की सहायता करने की एक नई योजना शुरू की है जिसमें मौजूदा आवंटन के अतिरिक्त केन्द्र और राज्य के हिस्से का अनुपात 80ः20 होगा।
4. केन्द्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश तथा महाराष्ट्र राज्यों में आसूचना तंत्र के सुदृढीकरण तथा नक्सल-रोधी कार्रवाईयाँ चलाने हेतु सुरक्षा बलों को वृहत्तर सहायता देने के रूप में 12,000 अतिरिक्त विशेष पुलिस अधिकारियों की स्वीकृति दी है।
5. केन्द्र सरकार के स्तर पर एक अधिकार प्राप्त अधिकारी दल का गठन किया गया है जो वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित विकास के लिए स्थानीय आवश्यकताओं एवं स्थितियों के आलोक में विभिन्न विकास कार्यक्रमों तथा फ्लैगशिप योजनाओं के क्रियान्वयन संबंधी मौजूदा अनुदेशों में संशोधन/सुधार करने का कार्य करेगा।
6. वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों से पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार) अधिनियम, 1996 के उपबंधों को प्राथमिकता के आधार पर प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने का अनुरोध किया गया है जिनमें लघु वन-उत्पादों के अधिकार विशिष्ट रूप से ग्राम सभाओं को सौंपे गए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *