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भारत भूटान संबंध (India-Bhutan Relations)

भूटान: एक परिचय (Bhutan : An Introduction)

ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Perspective)
भारत के पड़ोस में स्थित भूटान एक स्थलरुद्ध (स्ंदक स्वबामक) एवं पर्वतीय देश है, जिसके साथ भारत के ठोस संबंध ऐतिहासिक कालक्रम में रहे हैं। भूटान के प्राचीन इतिहास की बहुत ही कम जानकारी है। पुरातात्विक साक्ष्यों से ज्ञात होता है कि भूटान सम्भवतः ई. पू. 2000 में बसा था। बौद्ध धर्म यहाँ सम्भवतः दूसरी शताब्दी में आया था। यद्यपि परम्परागत रूप से ऐसा माना जाता है कि 8वीं सदी में भारतीय संत एवं गुरू पदमसम्भव (Padma Sambhava) जिन्हें गुरू रिम्पोचे (Guru Rimpochey) भी कहा जाता है, के भूटान आगमन पर इस देश में बौद्ध धर्म ने पहले से प्रचलित धार्मिक पद्धति का स्थान ले लिया। गुरू रिम्पोचे भटानी इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति है जिन्हें “द्वितीय बुद्ध (Second, Buddha) के रूप में मान्यता प्राप्त है।
16वीं शताब्दी से पूर्व अनेक वशज एवं परिवार भूटान की विभिन्न घाटियों में शासन करते थे। वे आपस में एवं तिब्बत के साथ लड़ते रहते थे। इस स्थिति में उस समय परिवर्तन आया जब 1616 ई. में नगाँवांग नमायाल (Ngawang-Namgyal) का आगमन हुआ। वे तिब्बत के द्रुकपा (क्तनाचं) बौद्ध भिक्षु थे। उन्होंने सम्पूर्ण क्षेत्र को शिक्षा दी और स्वयं को ‘शबद्रुग रिम्पोचे (Shabdrung Rimpochey) की उपाधि से भूटन के धार्मिक शासक के रूप में स्थापित कर लिया। उन्होनंे प्रतिद्वन्दी लामा और तिब्बती बलो को लड़ाई में पछाड़ दिया और दक्षिणी घाटी की एक एकीकृत देश डुक यूल (Land of the Thunder äagon) के नाम से रूपान्तरित कर दिया। भूटान को ‘डुक यूल’ भी कहा जाता है। उन्होंने भूटान के सभी लोगों के लिए एक ही राजधर्म ‘द्रुकपा कांग्यू’ (drukpa Kagyu) की स्थापना की। उनके द्वारा स्ािापित राजनैतिक प्रणाली बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भिक काल तक ही चली 1705 ई. में शबदु्रंग के निधन की घोषणा के बाद 200 वर्षों तक आंतरिक संघर्ष एवं राजनैतिक प्रतिद्वद्विता चलती रही। उसी समय तिब्बत और कूच बिहार के शासको के बीच भी संघर्ष चल रहा था। ब्रिटिश (ईस्ट इण्डिया कम्पनी) कूच बिहार और भूटान के बीच चल रहे संघर्ष के बीच में कूद पड़े और बाद में भूटान के साथ कुछ लड़ाईयाँ भी लड़ी और भूटान के कुछ क्षेत्र अपने क्षेत्र में मिला दिया।
यह अस्थिरता 1907 तक चलती रही, जब तक उग्येन वांगचुक (Ugyen Wangchock) को भूटान के मुख्य लामाओं द्वारा सर्वानुमति से भूटान का वंशानुगत शासक नहीं चुन लिया गया। भारत को ब्रिटिश सरकार द्वारा उन्हें इसी रूप में मान्यता प्रदान कर दी गयी। अतः प्रथम राजा का राज्याभिषेक 1907 में हुआ। और तभी से वागचुक राजवश की शुरुआत हुई। अगले चार दशकों में उन्होंने और उनके उत्तराधिकारी महाराजा जिग्मे वांगचुक (Jigme wangchuck) ने सम्पूर्ण भूटान को सीधे राजतंत्र के नियंत्रण में रखा। 1947 में स्वाधीनता प्राप्ति के समय भारत ने भूटान को एक प्रभुतासंपन्न देश के रूप में मान्यता प्रदान कर दी थी। भारत ने भूटान की सीमा से लगे लगभग 82 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जिसे ब्रिटिश शासन द्वारा अपने साथ मिला लिया गया था, को भी वापस कर दिया था।
भूटान के तृतीय महाराजा जिग्मे दोरजी वांग्चुक (Jigme Dorji Wangchuck) को आधुनिक भूटान का जनक माना जाता है क्योंकि उन्होंने अनेक विकास योजनाओं की शुरुआत की थी। 1971 में भूटान को औपचारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र में सम्मिलित किया गया था। चैथे महाराजा जिग्मे सिग्मे वांग्चुक (Jigme Singye Wangchuk) का राज्याभिषेक जुलाई 1972 में हुआ था। उन्होंने विशेष रूप से भूटान की संस्कृति और पर्यावरण के संरक्षण पर केन्द्रित ‘नियंत्रित विकास की नीति’ को जारी रखा। उनके आर्थिक स्वावलंबन के आदर्शों में ‘सकल राष्ट्रीय खुशहाली’ (Gross National Happiness) बहुत ही चर्चित रहा है। उसके बाद उन्होंने अपने सिंहासन का त्याग कर उस पर युवराज को आसीन कर दिया था। शाही युवराज जिग्मे खेसर नमग्याल वांगचुक (Jigme Khesar Namgyel Wangchuk) ने दिसम्बर 2006 में चतुर्थ महाराजा द्वारा राजसिंहासन त्यागने पर राजा के दायित्वों को ग्रहण किया। उनका औपचारिक राज्याभिषेक 6 नवम्बर, 2008 को किया गया।

क्षेत्रफल और जनसंख्या: (Area and Population)
भूटान के पास 38,394 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र है और इसकी जनसंख्या लगभग 7 लाख है। स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास के साथ भूटान की जीवन संभावना में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और यह 1984 के 47.5 वर्ष से बढ़कर 2010 में लगभग 66 वर्ष हो गयी है।
उत्तरी भूटान में ऊँची पर्वत श्रृंखलायें हैं जो बर्फ से ढकी रहती हैं। इन श्रृंखलाओं में पर्वत चोटियाँ 7300 मीटर तक ऊँची हैं। इसके अतिरिक्त ब्लैक माउन्टेन है जो उत्तर से दक्षिण की ओर भूटान को भौगोलिक और भाषाई दोनों रूपों में दो भागों में विभाजित करती है। मध्य भूटान में सुन्दर घाटियाँ हैं जिनकी ऊँचाई 1880 मीटर से 2400 मीटर तक हैं।

पारिस्थितिकी (Ecology)
भूटान की पारिस्थितिकी प्रणाली वस्तुतः अपने मौलिक रूप में विद्यमान है। भूटान विविधतापूर्ण प्राकृतिक सौन्दर्य, वन्य प्राणियों और पौधों की विभिन्न प्रजातियों से सम्पन्न प्राकृतिक स्थल है। भूटान के कानून के अनुसार भूटान में 60 प्रतिशत वन क्षेत्र हमेशा के लिए बना रहेगा। वर्तमान में इसका 72.5 प्रतिशत भाग वनाच्छादित है और 5000 से अधिक पौधों की विभिन्न प्रजातियाँ यहाँ विद्यमान हैं।

प्राकृतिक संसाधन (Natural Resources)
भूटान के पास लकड़ी (Timber), स्लेट खडिया मिट्टी, डोलोमाइट काला शीशा ताँबा चूना पत्थर, कोयला और टंगस्टन आदि का विपुल भण्डार है। भूटान में पन बिजली विकास की पर्याप्त संभावनायें विद्यमान है। तीव्र गति से बहती गहरी सकरी नदियाँ (जो हिमालय के पिघले हुएं बर्फ के पानी का वहन करती हैं) जल विद्युत ऊर्जा की अपार क्षमता अपने अंदर समेटे हुए हैं। यहाँ की 72.5 प्रतिशत वनाच्छादित भूमि भी. जैव विविधता की दृष्टि से एक प्रमुख, प्राकृतिक संसाधन है।

धर्म (Religion)
भूटान में अधिकांश लोग महायान बौद्ध हैं जो द्रुपका काग्यू बौद्ध सम्प्रदाय के हैं। नेपाली मूल के लोग जो प्रमुख रूप से दक्षिणी भूटान के गर्म और नम दुआर (क्नंते) क्षेत्र में बसे हैं, उसमें हिन्दुत्व का पूर्ण वर्चस्व है। केन्द्रीय बौद्ध मठ प्रमुख संगठन है जिसमें 5000 बौद्ध भिक्षु सम्मिलित हैं। इनका प्रमुख एक निर्वाचित अब्बात (Abbot) होता है जो राष्ट्र का धर्माध्यक्ष है। इन सभी परम्पराओं को भूटान के धार्मिक नृत्य समारोह जिन्हें त्श्चेच (Tschechu) कहा जाता है में देखा जा सकता है।

संविधान और शासन प्रणाली (Constitution and Government system)
परम्परागत रूप से भूटान के राजतंत्र में सम्पूर्ण शक्तियाँ निहित थी फिर भी तृतीय भूटान नरेश जिग्मे दोरजी वांगचुक ने गतिशील कदम बढ़ाकर देश की राजनैतिक संरचना को उदार बनाते हुए देश के कार्यभार के संचालन में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक संस्था स्थापित करने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्होंने सन् 1953 में, ‘तशोग्दु (Tshogdu)’ अथवा राष्ट्रीय सभा (संसद) की स्थापना की।
संवैधानिक प्रगति के उद्देश्य से चतुर्थ महाराजा ने 2001 में प्रथम संविधान के मसौदे को तैयार करने के लिए एक संविधान मसौदा समिति का गठन किया था। प्रधान न्यायाधीश लियोंपो को संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष नियुक्ति किया गया था। संविधान के मसौदे को संपूर्ण राष्ट्र में वितरित किया गया और 26 मार्च, 2005 को इण्टरनेट पर डाला गया। संविधान मसौदे के अंतिम स्वरूप को 1 अगस्त, 2007 को सार्वजनिक किया गया था।
भूटान में सरकार की प्रणाली लोकतांत्रिक-संवैधानिक राजतंत्र (Democratic-Constitutional Monarchy) है। विधायी शक्तियाँ संसद में निहित हैं जिसमें- महाराजा, एक राष्ट्रीय सभा और एक राष्ट्रीय परिषद हैं। राष्ट्रीय सभा में 47 सदस्य हैं। राष्ट्रीय परिषद में 25 सदस्य होते हैं। चुनावों के प्राथमिक दौर का आयोजन दो प्रमुख राजनैतिक दलों को चयनित करने के लिए किया गया था। दो राजनैतिक दल जिन्हें प्राथमिक दौर में सबसे अधिक मत प्राप्त हुए थे, को निर्वाचन क्षेत्र पर आधारित आम चुनाव लड़ने के लिए पात्र माना गया।
निर्वाचन क्षेत्रों पर आधारित संसद के चुनावों का आयोजन 24 मार्च, 2008 को किया गया था। चूँकि मैदान में मात्र दो राजनैतिक दल थे, एक ‘पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी’ (People’s Democratic Party – PDP) और दूसरा ‘डुक फ्युन्सम त्शोगपा’ (äuk Phuensum Tshogpa – DPT) जिसे भूटान पीस एण्ड प्रॉसपेरिटी पार्टी (Bhutan Peace and Prosperity Party) भी कहा जाता है। डुक फ्युन्सम तशोगपा (क्च्ज्) 43 सीटों पर विजयी हुई। यह राजतंत्र समर्थक पार्टी है। इस चुनाव के माध्यम से भूटान ने लोकतंत्र की ओर अपना कदम बढ़ाया है। चुनाव के पश्चात् ल्योनपो जिग्मे थिनले (Lyonpo Jigme Thinley) प्रधानमंत्री बने। संविधान मसौदे पर सभी 20 जनपदों में सार्वजनिक माध्यम से बहस करायी गयी थी। मई 2008 में नई संसद के संयुक्त सत्र में संविधान पर चर्चायें करायी गयीं और 18 जुलाई, 2008 को उस पर हस्ताक्षर किये गये। जुलाई 2008 में एक नया संविधान लागू हुआ। सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार (Universal Sffurage) को नये संविधान में लागू किया गया। भूटान में राजा (Monarch) राजप्रमुख (Head of State) होता है जबकि प्रधानमंत्री शासन प्रमुख (Head of Government) होता है। मंत्रिपरिषद् की नियुक्ति राजा द्वारा की जाती है जिसे संसद द्वारा अनुमोदित किया जाता है। नेशनल असेम्बली को यह अधिकार प्राप्त है कि वह दो-तिहाई बहुमत से राजा को पद से हटा सके।

अर्थव्यवस्था (Economy)
भूटान में कृषि क्षेत्र लगभग 40 प्रतिशत से ज्यादा लोगों को रोजगार देकर उन्हें जीवकोपार्जन का साधन प्रदान करता है। इसका सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 18 प्रतिशत का योगदान है। कृषि कार्य अभी भी श्रमिकों पर आश्रित है। पशुपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण घटक है। अभी हाल के वर्षों तक भूटान की अर्थव्यवस्था में औद्योगिक क्षेत्र की भूमिका अपेक्षाकृत कम थी। उद्योग तुलनात्मक रूप से अभी भी कम विकसित हैं। अर्थव्यवस्था का मौद्रीकरण अभी तक सीमित है और भारतीय रुपया वहाँ पर प्रचलित है। ‘भूटान के शाही मुद्रा प्राधिकरण’ (Royal Monetary Authority of Bhutan) की स्थापना 1982 में केन्द्रीय बैंकिंग सेवा प्रदान करने के लिए की गयी थी।
विद्युत और ऊर्जा आधारित उत्पादों, सीमेंट और कैल्शियम कार्बाइड आदि के निर्यात ने ढाँचागत आर्थिक परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त किया है। कृषि की तुलना में जलविद्युत उत्पादन एवं खनन (Mining) आदि की त्वरित वृद्धि से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की संरचना में उल्लेखनीय परिवर्तन आया हैं।

विदेशी संबंध (External ffAairs)
1962 में कोलम्बो योजना में सम्मिलित होने के साथ ही भूटान ने सदियों से चल आ रहे एकान्त वास से उबरना शुरू किया है। भूटान 1971 में संयुक्त राष्ट्र संघ, 1973 में निर्गुट सम्मेलन और 1985 में सार्क में सम्मिलित हुआ। भूटान के राजनयिक सम्बन्ध 38 देशों और यूरोपीय संघ के साथ हैं। यद्यपि इसके औपचारिक राजनयिक सम्बन्ध संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के किसी भी स्थायी सदस्य देश के साथ नही हैं। 2012 में भूटान ने चीन से औपचारिक तौर पर अपने राजनयिक संबंध (क्पचसवउंजपबए जपमे) स्थापित करने की बात कही है। भूटान एवं चीन के बीच सरकार के स्तर पर हुई प्रथम बैठक (रियो$़20 सम्मेलन, ब्राजील) के दौरान यह इच्छा व्यक्त की गई है।
यद्यपि भारत लगातार भूटान का सबसे बड़ा विकास भागीदार बना हुआ है परन्तु भूटान संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) तथा अन्य बहुराष्ट्रीय अभिकरणों जैसे यूनीसेफ विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), आई बी आर डी. और एशियाई विकास बैंक (ADB) इत्यादि से भी सहायता प्राप्त कर रहा है। इसके साथ ही जापान, डेन्मार्क, ऑस्ट्रेलिया, यू के, स्विटजरलैण्ड, ऑस्ट्रिया और नीदरलैण्ड इत्यादि भी इसे सहायता प्रदान कर रहे है। भूटान 1981 में अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व बैंक का सदस्य बना था। भूटान में विश्व व्यापार संगठन (ॅज्व्) को सदस्यता हेतु प्रार्थना पत्र दिया है और बिम्सटेक (BIMSTEC) में सदस्य के रूप में शामिल हो गया है। यह विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय खेल संगठनों का भी सदस्य है।

भारत के साथ सम्बन्ध (Relations with India)
भारत और भूटान के बीच 1949 में एक मैत्री संधि हुई थी जिसके अंतर्गत भारत इस बात पर सहमत हुआ कि विदेश नीति के मामलों में वह भूटान की मदद करेगा। 2007 में अद्यतन (Updated) भारत-भूटान संधि न केवल समकालीन मैत्री को प्रदर्शित करती है अपितु 21वीं सदी में विकास की आधारशिला भी रखती है। अन्य प्रावधानों के साथ-साथ यह सन्धि सतत शान्ति और मैत्री, मुक्त व्यापार एवं वाणिज्य तथा एक दूसरे के नागरिकों को समान न्याय आदि भी प्रदान करती है। भूटान के साथ भारत के राजनैतिक सम्बन्ध वर्षों से प्रगाढ़ हैं और इनकी पहचान परस्पर आत्मीयतापूर्ण विश्वास, आपसी समझ-बूझ तथा आर्थिक विकास के अनेक क्षेत्रों में चल रहे निरन्तर सहयोग विशेष रूप से पारस्परिक लाभ हेतु जलविद्युत ऊर्जा (Hydropower) आदि से की जा सकती है।

भूटान में विकास कार्य और भारतीय सहयोग (Development Works in Bhutan and Indian Assistance)
भूटान का विकास 1960 के दशक में भारतीय सहायता से शुरू हुआ था। अभी तक भूटान को नौ पंचवर्षीय योजनायें पूरी हो चुकी हैं। उनमें से दो का सम्पूर्ण वित्तीय पोषण भारत द्वारा किया गया था। भारत सरकार से भूटान की जल-विद्युत परियोजनाओं में सहायता प्रदान करने और 2020 तक कम से कम 10,000 मेगावाट ऊर्जा भूटान से क्रय करने के लिए सहमति व्यक्त की है। इस उद्देश्य से दोनों देशों के बीच जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण पर सहमति हुई है।

मानव संसाधन विकास सहायता (Human Resource Development Assistance)
भारत और भूटान के बीच शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में ठोस द्विपक्षीय सहयोग है। भारत, भूटान को विभिन्न क्षेत्रों में तकनीकी विशेषज्ञता और विशेषज्ञों की सेवायें प्रदान करता है। भारत सरकार भूटानी छात्रों को स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों स्तरों के पाठयक्रमों में भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रति वर्ष छात्रवृत्ति प्रदान करती है। प्रति वर्ष दस भूटानी छात्रों को भारत के सैनिक स्कूलों में प्रवेश दिया जाता है और उनके समस्त खर्चे का वहन भारत सरकार द्वारा किया जाता है। भारत ने प्रतिष्ठा प्राप्त भारतीय विश्वविद्यालयों एवं अन्य संस्थानों में अध्ययन के लिए भूटानी छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘नेहरू वॉगचुक छात्रवृत्ति योजना’ की शुरूआत की है। इसका क्रियान्वयन इसी शैक्षिक सत्र से शुरू हो गया है।

भारतीय समुदाय (Indian Community)
भूटान में रहने वाले विदेशियों की अनुमानित संख्या लगभग 37,000 है, जिसमें अधिकांश संख्या भारतीय नागरिकों की है। इनमें अधिकांश संख्या छोटे व्यापारियों और श्रमिकों की है। इसके अतिरिक्त भारत सरकार एवं राज्य सरकारों से अनेक लोग भूटान सरकार की सेवा में प्रतिनियुक्ति (Deputation) पर आते हैं।

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