सत्यनिष्ठा की परिभाषा क्या है ? Integrity in hindi definition | सत्यनिष्ठा का अर्थ क्या है , उदाहरण , महत्व

सत्यनिष्ठा का अर्थ क्या है , उदाहरण , महत्व और ईमानदारी में अंतर सत्यनिष्ठा की परिभाषा क्या है ? Integrity in hindi definition ?
अभिरुचि अथवा अभिवृत्ति (Aptitude)

अभिरुचि अथवा अभिवृत्ति का संबंध व्यक्ति की योग्यता व निपुणता से है। किसी व्यक्ति विशेष की अभिरुचि के मापन से यह पता लगाया जा सकता है कि किसी क्षेत्र अथवा कार्य विशेष में व्यक्ति के कार्य निष्पादन की क्षमता कैसी है। अर्थात् यदि व्यक्ति को किसी खास कार्य के लिए उपयुक्त माहौल और प्रशिक्षण दिया जाए तो उस कार्य के निष्पादन में उसका प्रदर्शन कैसा रहेगा। किसी व्यक्ति की अभिरुचि की माप शारीरिक व मानसिक दोनों स्तरों पर की जा सकती है।
अभिरुचि को किसी कार्य विशेष के प्रति रुझान के रूप में भी परिभाषित किया जाता है। यहां रुझान से यह पता चलता कि व्यक्ति किसी कार्य क्षेत्र में कितनी तेजी और सहजता से कार्य निष्पादन में सक्षम है। वस्तुतः किसी व्यक्ति की अभिरुचि के ज्ञात होने पर हम यह जान पाते हैं कि उसकी कार्य क्षमता भविष्य में कैसी होगी?

मनोवृत्ति और अभिरुचि (Attitude and Aptitude)

मनोवृत्ति किसी विशिष्ट व्यक्ति या वस्तु के प्रति विशेष रूपों में व्यवहार करने की प्रवृत्ति है। किसी व्यक्ति की मनोवृत्ति का संबंध उसके ज्ञान, उसकी मनोदशा एवं उसकी सामाजिक परिस्थिति से भी होता है। मनोवृत्ति के मुकाबले अभिरुचि एक भिन्न अवधारणा है जिसका संबंध किसी व्यक्ति की योग्यता व कुशलता से होता है। यह योग्यता जन्मजात भी हो सकती है या फिर इसे प्रशिक्षण द्वारा हासिल भी किया जा सकता है। अभिरुचि की माप से किसी व्यक्ति के कार्य निष्पादन करने की क्षमता का पता चलता है अर्थात् उसके बारे में पूर्वकथन किया जा सकता है कि किसी क्षेत्र विशेष में उसकी कार्य-क्षमता कैसी होगी। अगर किसी व्यक्ति की अभिरुचि भाषा में है तो वह अन्य लोगांे की अपेक्षा शीघ्रता से भाषा सीख सकता है।
मनोवृत्ति तथा अभिरुचि में एक मुख्य अंतर यह भी है कि मनोवृत्ति का संबंध जहां व्यक्ति के चरित्र से होता है, वहीं अभिरुचि किसी व्यक्ति की मेधाविता (Talent) का परिचायक है। अतः मनोवृति अपेक्षाकृत अधिक स्थायी हो सकता है जबकि अभिरुचि में बदलाव लाया जा सकता है या फिर उसे विकसित किया जा सकता है।
मनोवृत्ति तथा अभिरुचि के फर्क को लोक प्रशासन के क्षेत्र में निम्न उदाहरण के द्वारा समझा जा सकता है- एक प्रशासक किसी समस्या को हल करने में काफी सक्षम हो सकता है (जो उसकी अभिरुचि का परिचायक है) परन्तु जहां निर्णय लेने की बात हो वहां उसकी प्रवृत्ति टालमटोल करने वाली हो सकती है (जो उसकी मनोवृत्ति का परिचायक है)। पुनः साम्प्रदायिक मुद्दों का हल निकालने में एक प्रशासक कशल साबित हो सकता है (अभिरुचि) परन्त ऐसा भी हो सकता है कि अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति उसकी मनोवृत्ति नकारात्मक हो (मनोवृत्ति) और यह उसके संपूर्ण निर्णय को प्रभावित कर सकता है।

एक अच्छे प्रशासक के गुण (Attributes of a Good Administrator)
पाल एपल्बी ने अपनी रिपार्ट (1961) ‘‘लोक कल्याणकारी राज्य में लोक प्रशासन‘‘ में एक अच्छे प्रशासक के निम्नलिखित गुण बताए है-
ऽ उत्तरदायित्व ग्रहण करने की तत्परता।
ऽ अधिक से अधिक समस्याओं से जूझने की क्षमता में वृद्धि के लिए निरंतर प्रयासरत रहना।
ऽ कार्य सेवा के प्रति विशेष झुकाव
ऽ एक अच्छा श्रोता
ऽ लोक संबंध बनाने में सक्षमता
ऽ संगठनात्मक क्षमता के निर्माण द्वारा स्वयं के कौशल विकास की क्षमता।
ऽ अपने संस्थागत संसाधनों के इस्तेमाल की क्षमता।
ऽ स्वहित के लिए अपनी शक्ति व प्राधिकार के प्रयोग से परहेज रखना।
ऽ विवादास्पद मुद्दों से संबंधी रिपोर्ट को सहजता से स्वीकार करना।
ऽ एक योग्य टीम वर्कर।
ऽ योग्य नेतृत्व प्रदान करने में सक्षम।

सत्यनिष्ठा (Integrity)
सत्यनिष्ठा का संबंध उच्च नैतिक सिद्धांतों से है। नीतिशास्त्र में सत्यनिष्ठा का अर्थ है सद्गुण, सच्चाई, ईमानदारी एवं कत्र्तव्यनिष्ठा से परिपूर्ण चरित्र। लोक प्रशासन तथा सार्वजनिक पदों से जुड़े
व्यक्ति के लिए सत्यनिष्ठ होना अति आवश्यक है। इसलिए जनसाधारण से जुड़े हर पक्ष के लिए लोक प्रशासन की सभी शाखाओं में सत्यनिष्ठा एवं ईमानदारी जैसे मूल्यों पर विशेष बल दिया जाना चाहिए। सत्यनिष्ठा की अवधारणा वित्तीय ईमानदारी तक ही सीमित नहीं बल्कि यह एक व्यापक अवधारणा है। लोक सेवकों के सत्यनिष्ठ होने का अर्थ यह भी है कि उनका चरित्र ऐसा हो जिससे लोगों में सार्वजनिक पदों के प्रति विश्वास जगे। भ्रष्टाचार के दो पहलू हैः
ऽ संगठन अथवा संस्था की नींव ही भ्रष्टाचार पर टिकी हो।
ऽ संस्था से जुड़े लोग भ्रष्ट हों।
वर्तमान में यह जरूरी हो गया है कि लोक सेवा से जुड़े व्यक्ति ईमानदारी व निष्पक्षता से कार्य करे तथा एक उच्च गुणवत्ता वाली सेवा प्रदान करने में सक्षम हों। सत्यनिष्ठता के साथ जवाबदेयता जैसे मूल्यों पर अमल करने पर ही लोकसेवकों की सत्यनिष्ठा का मूल्यांकन संभव है।

निष्पक्षता (Impartiality)
किसी मुद्दे के गुण-दोष के आधार पर निष्पक्ष रूप से निर्णय लेना और अलग-अलग राजनीतिक दलों से बनी सरकारों के लिए उच्च एवं समान सेवा भावना के साथ अपना कार्य-निष्पादन करना ही निष्पक्षता है।
निष्पक्ष होने का अर्थ यह है कि लोक सेवक किसी राजनीतिक संगठन का सदस्य होने तथा किसी भी राजनीतिक आंदोलन या कार्य में भाग लेने या उसे किसी प्रकार की सहायता देने के लिए स्वतंत्र नहीं है। अर्थात् इन सभी गतिविधियों का इनके लिए निषेध किया गया है। ये सरकार की किसी नीति या फिर नीतियों के प्रति भी पक्ष या विपक्ष में अपना पूर्वग्रह प्रकट करने के लिए स्वतंत्र नहीं है। लोक सेवकों को किसी भी रिपोर्ट के विश्लेषण में केवल औपचारिक वक्तव्य ही देना चाहिए तथा विकल्पों के चुनाव में भी सावधानी बरतनी चाहिए तथा उनके निर्णयों के लिए स्पष्ट प्रमाण भी होने चाहिए ताकि निर्णय का औचित्य सिद्ध हो। मंत्रियों द्वारा लिए गए निर्णय भले ही लोक सेवकों द्वारा दी गई अनुशंसाओं से संगत न हो फिर भी लोक सेवक इन निर्णयों को कार्यान्वित करने के लिए बाध्य है। लोक सेवकों के लिए निर्धारित ये सभी बाध्यताएं उनकी निष्पक्षता की शर्त है। वस्तुतः निष्पक्ष लोक सेवा प्रत्येक सरकार को स्थायित्व प्रदान करती है भले ही सरकार किसी भी राजनीतिक दल द्वारा बनाया जाए।

राजनीतिक संरक्षण

राजनीतिक समर्थन के बदले किसी व्यक्ति या व्यक्ति समूह को किसी प्रकार का लाभ या विशेषाधिकार प्रदान करना उसे राजनीतिक संरक्षण देना कहलाता है। अगर बात सार्वजनिक पद पर आसीन किसी सरकारी कर्मचारी (लोक सेवक) की हो तो यद्यपि कि वह व्यकितगत रूप से अपनी क्षमता तथा योग्यता के आधार पर किसी खास लाभ या विशेषाधिकार के योग्य है परन्तु ये सारे लाभ उसे यदि राजनीतिक समर्थन के बदले में मुहैया कराया जाए तो इसका मतलब यह है कि उसे राजनीतिक संरक्षण दिया जा रहा है।
यहां लाभ, सुविधा तथा विशेषाधिकार के अन्तर्गत कई चीजें शामिल की जा सकती हैं, जैसे कि अवैध रूप से किसी कार्य के लिए कांट्रेक्ट देना, ग्रान्ट देने में वरीयता प्रदान करना तथा किसी बोर्ड या आयोग में सदस्यता प्रदान करने के क्रम में अनावश्यक रूप से वरीयता देना आदि। आमतौर पर राजनीतिक संरक्षण का अर्थ इस बात से लिया जाता है कि सिविल सेवा से जुड़े किसी व्यक्ति को अनावश्यक रूप से प्रमोशन दिया गया हो या फिर नियुक्ति के दौरान ही योग्यता को दरकिनार कर उसे वरीयता दी गयी हो। वर्तमान में भारत में जो द्रष्टव्य है वह यह है कि भारतीय मंत्रीगण यह प्रयास करते हैं कि किसी तरह अपने साथ जानकार प्रशासकों को लाएं ताकि उन पर भरोसा किया जा सके। स्वयं लोकसेवक के अपने उद्देश्य उनको प्रेरित करते हैं और वह शीघ्र पदोन्नतियों, सेवानिवृत्ति आदि की दृष्टि से मंत्री के अनुगामी बन जाएं।

पक्षपात और अन्धभक्ति (Partisanship)

पक्षपात और अंधभक्ति का अभिप्राय है किसी राजनीतिक दल, व्यक्ति अथवा आन्दोलन का पक्ष लेकर उसका समर्थन करना। सामान्य अर्थों में अंधभक्ति इस बात को इंगित करता है कि किसी विशेष राजनीतिक दल या दलों का पूर्वाग्रह के आधार पर समर्थन या फिर विरोध प्रकट किया जा रहा है। सिविल सेवा के अंदर अंधभक्ति एक आम बात हो गई है जहां लोक सेवक किसी दल विशेष के लिए एक एजेन्ट की तरह कार्य करने लगते हैं परन्तु वृहत्त परिप्रेक्ष्य में पक्षपात और अंधभक्ति का अर्थ यह भी है कि किसी हित समूह अथवा आंदोलन को अपना समर्थन तथा सहयोग दिया जा रहा हो। भले ही वह हित समूह या आंदोलन किसी भी राजनीतिक दल विशेष से नहीं जुड़ा हो।

निष्पक्षता और अन्तरफदारी के लाभ
लोक सेवकों अर्थात् सार्वजनिक पदों पर आसीन अधिकारियों व कर्मचारियों की निष्पक्षता और अन्तरफदारी एक लोकतांत्रिक सरकार निम्न प्रकार से जवाबदेह बनाती है-
ऽ इससे सरकार को उद्देश्यपरक बनाने में मदद मिलती है तथा मंत्रियों को उचित सलाह मिल पाती है जिससे उन्हें जनसाधारण के लिए नीतियों तथा योजनाओं के निर्माण में सहूलियत होती है।
ऽ मंत्रियों को यथातथ्य सूचनाएं मिल पाती है जिससे संसद और आम जनता के प्रति वे जवाबदेह बन सके।
ऽ आम नागरिक को कुशल व प्रभावी ढंग से सेवाएं मिल पाती हैं।
ऽ योजनाओं व संसाधनों का समुचित और प्रभावी ढंग से प्रबंधन हो पाता है।
ऽ कानून सम्मत निर्णयों का सफल व प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित हो पाता है।
ऽ सिविल सेवा का लोकतांत्रिकरण हो पाता है जिससे कानून व संविधान में समयानुकूल परिवर्तन संभव हो पाता है।

राजनीतिक तटस्थता (Political Neutrality)

राजनीतिक तटस्थता का अर्थ यह है कि एक लोक सेवक अपने सार्वजनिक जीवन में राजनीतिक विचार या धारणाओं से पूर्ण मुक्त रहे। राजनीतिक तटस्थता के मायने यह भी हैं कि सिविल सेवकों के निर्णय और कार्य तत्कालीन सरकार की नीतियों और उन मानकों को परिलक्षित करे जिसकी समुदाय सरकारी सेवकों के रूप में उनसे उम्मीद करता है अर्थात् सिविल सेवकों द्वारा सरकार को बिना किसी राजनीतिक पूर्वाग्रह के उचित सलाह देनी चाहिए साथ ही सरकार के निर्णयों को कत्र्तव्यनिष्ठा के साथ कार्यान्वित करना चाहिए भले ही ये निर्णय सिविल सेवकों द्वारा दिए गए परामर्श से संगत हो या न हो।
राजनीतिक निष्पक्षता पर विशेष जोर देने का कारण यह है कि –
ऽ इससे आम नागरिकों में सिविल सेवकों के प्रति विश्वास पैदा हो और उन्हें यह भी लगे कि प्रशासकों के कार्य राजनीतिक प्रभाव से मुक्त हैं।
ऽ इससे मंत्रियों में भी यह विश्वास पैदा होता है कि उनके निर्णय व आदेश निष्ठापूर्वक कार्यान्वित किए जाएंगे अर्थात सिविल सेवकों द्वारा अपने कार्य-निष्पादन में उनके व्यक्तिगत राजनीतिक रुझान या सिद्धान्त आड़े नहीं आएगा।
ऽ इससे सिविल सेवकों के कार्यों का मूल्यांकन तथा उनकी पदोन्नति आदि के किसी राजनीतिक हित से प्रभावित होने की संभावना न्यूनतम हो सकती है।
हालांकि पूर्णरूप से तटस्थ होना शायद संभव न हो खासकर वहां जहां सार्वजनिक मामलों की बात होती है परंतु प्रशासकों द्वारा इस प्रकार के प्रयास अवश्य किए जाने चाहिए कि उनके अधिकारिक निर्णय निर्माण में सार्वजनिक हित को प्राथमिकता मिले। वस्तुतः प्रशासकों को सार्वजनिक हित और जनसाधारण की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। पुनः उनसे इस बात की भी उम्मीद की जाती है कि वे उस परिस्थिति में हस्तक्षेप करे जहां उन्हें लगे कि सार्वजनिक हित की अनदेखी की जा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *