पाठ 11 :
अन्तराष्ट्रीय व्यापार के पक्ष
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की हानियाँ
अन्तराष्ट्रीय व्यापार संगणन
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रकार
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रकार –
1. द्विपारिवर्तक : दो देशो के मध्य व्यापार करना।
2. बहुपारिवर्तक : दो देशों से अधिक देशो के मध्य व्यापार करना।
उदाहरण : दो देश भारत-USA मध्य।
दक्षेय : द – दक्षिणी
क्षे – क्षेत्रीय
य – सहयोग संगठन
दक्षेस –
8 देशो से SAADC मिलकर व्यापार।
- भारत
- श्रीलंका
- भूटान
- नेपाल
- पाकिस्तान
- बांग्लादेश
- अफगानिस्तान
- मालद्विप
हानियाँ :
- प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक विदोहन।
- देश का एकागी विकास
- विदेशी निर्भरता
- विदेशी प्रतियोगिता का प्रतिकूल प्रभाव
- राजनीतिक दासता
प्रश्न : अन्तराष्ट्रीय व्यापार के प्रकार , हानियाँ व अन्तर्राष्ट्रीय संघठनो पर विस्तृत लेख लिखिए।
उत्तर : अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रकार : अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के दो प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है –
1. द्वि पाशर्विक व्यापार : द्विपाशर्विक व्यापार दो देशो के द्वारा एक-दुसरे के साथ किया जाता है। आपस में निर्दिष्ट वस्तुओ का व्यापार करने के के लिए वे सहमती करते है।
2. बहु पाशर्विक व्यापार : जैसे कि शब्द से स्पष्ट होता है कि बहु पाशर्विक व्यापार कोई भी देश बहुत से व्यापारिक देशो के साथ व्यापार कर सकता है।
हानियाँ
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को सामान्यतया लाभदायक ही माना जाता है किन्तु इससे कई प्रकार की हानियाँ भी होती है , इससे उत्पन्न होने वाली कुछ प्रमुख हानियाँ निम्नलिखित है –
1. प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक विदोहन : विदेशो को निर्यात करके अधिकाधिक मुद्रा कमाने के उद्देश्य से पदार्थ शक्ति संसाधनों आदि का अत्यधिक विदोहन किया जाता है , जिससे वे शीघ्र ही समाप्त हो जाते है।
2. देश का एकांगी विकास : विशिष्टीकरण तथा श्रम विभाजन के आधार पर होने वाले विदेशी व्यापार से प्रत्येक देश केवल उन्ही वस्तुओ का उत्पादन करता है . जिसे वह अन्य देशो की तुलना में निम्नतम पर तैयार कर देता है। 3. विदेशी निर्भरता : अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से अन्य देशो की एक-दूसरे से निर्भरता बढ़ जाती है और स्वावलंबन की भावना तथा आर्थिक स्थिति कमजोर पड़ जाती है।
4. विदेशी प्रतियोगिता का प्रतिकूल प्रभाव : अपेक्षाकृत सस्ती विदेशी वस्तुओ के आयात से देश के अनेक उद्योगों के लिए खतरा उत्पन्न हो जाता है।
5. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापारिक संगठन : गेट विश्व का सबसे पहला और विशाल अन्तर्राष्ट्रीय समझौता था जिस पर 30 अक्टूबर 1947 को 96 देशो ने हस्ताक्षर किये थे , यह समझौता 1 जनव री 1948 को लागू हो गया यह एक बहुपक्षीय अन्तर्राष्ट्रीय संधि थी जो विश्व व्यापार के लगभग 80 प्रतिशत को समाहित करती थी अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की आचार संहिता युक्त यह व्यापार उदारीकरण की कार्य पद्दति वाली एक संस्था की जिनसे अनुबंध करने वाले विश्व के विभिन्न देशो को अपनी व्यापार समस्या पर बातचीत करने तथा उसका हल ढूंडने के लिए समय समय पर एक होने के लिए एक मंच प्राप्त किया।
ASEAN (आसियान) : Association of Southeast Asian Nations (दक्षिणी पूर्वी एशियाई देशो का संघठन)
- म्यांमार
- थाईलैंड
- मलेशिया
- इंडोनेशिया
- बम्बई
- कम्बोडिया
- लाओश
- वियतनाम
- सिंगापुर
- फिलिपिन्स
पर्यावरणीय समस्यायें व समाधान :-
(मानवीय या सांस्कृतिक) :
प्रश्न : पर्यावरण समस्याएं किसे कहते है ? विश्व के सन्दर्भ में मानवीय क्रियाकलाप द्वारा जनित समस्याएं का वर्णन करो ?
उत्तर : पर्यावरण समस्याएँ : इन्ही सबके कारण हर रोज नयी आंधियो सामने आ रही है , भोजन श्रृखला वर बढ़ता दबाव , मौसम तंत्र में आंशिक परिवर्तन फसल चक्र में परिवर्तन , अम्लीय वर्षा , ग्रीन हाउस प्रभाव , ओजोन परत क्षरण , बंजर भूमि प्रदुषण मरुस्थलीकरण जैसी अनेक पर्यावरणीय या उससे जनित समस्या है।
विश्व के सन्दर्भ में मानव क्रियाकलाप :
पर्यावरण प्रदूषण , अम्लीय वर्षा , ओजोन परत -क्षरण , ग्रीन हाउस प्रभाव जैसे पर्यावरणीय समस्याओं के महत्वपूर्ण पक्षों से मानव समस्या को समाप्त करने पर खड़ी है। इन समस्याओ से सम्पूर्ण विश्व जूझ रहा है , बचाने के रास्ते भी तलाशे जा रहे है।
पर्यावरणीय समस्याएं व समाधान
वायुमंडल : वायु प्रदुषण के कई हानिकारक तत्व है जैसे – सीसा।
कार्बनिक तत्व , ओजोन परत के क्षय , क्लोरोफ्लोरो कार्बन CFC , ग्रीन हाउस गैस – CO2 , CH4-नाइट्स ऑक्साइड , SF6 -क्लोरोफोर्म कार्बन HCC
वायुमण्डल में सामान्य गैस :
21% – ऑक्सीजन
78% – नाइट्रोजन
0.34 आर्गन
0.3 कार्बन डाई ऑक्साइड
वैश्विक तापन :
जल प्रदूषण : जल कि सामान्य स्थिति से हानिकारक तत्वों की मात्रा का बढ़ना ही जल प्रदुषण कहते है।
अम्लीय वर्षा –
SO2 + H2O → H2SO4
NO2 + H2O →HNO3
इससे इमारतो पर दाग व काला-काला हो जाता है , यह इमारतो की सुन्दरता नष्ट करता है।