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n वीं कक्षा की त्रिज्या (rn) , n वीं कक्षा में इलेक्ट्रोन का वेग (Vn) , कुल ऊर्जा , आवृत्ति , कोणीय वेग radius of electron in nth orbit
radius of electron in nth orbit in hindi , n वीं कक्षा की त्रिज्या (rn) , n वीं कक्षा में इलेक्ट्रोन का वेग (Vn) , कुल ऊर्जा , आवृत्ति , कोणीय वेग :-
बोर का परमाणु मॉडल (bohr’s atomic model) : निल्स बोर नामक वैज्ञानिक ने हाइड्रोजन परमाणु एवं उसके सदृश्य आयनों ( He+ , Li2+ आदि ) के लिए परमाणु मॉडल प्रस्तुत किया। परमाणु मॉडल के लिए निम्न तीन परिकल्पनाएँ दी –
प्रथम परिकल्पना : परमाणु में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर स्थायी वृत्ताकार कक्षाओ में चक्कर लगाता है। स्थायी वृत्ताकार कक्षा में चक्कर लगाने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल नाभिक व इलेक्ट्रोन के मध्य लगने वाले विद्युत आकर्षण बल द्वारा प्रधान किया जाता है।
अर्थात
mv2/r = kze2/r2
द्वितीय परिकल्पना : इस परिकल्पना के अनुसार परमाणु में इलेक्ट्रोन नाभिक के चारों ओर केवल उन्ही स्थायी कक्षाओ में चक्कर लगाते है जिनके लिए कोणीय संवेग का मान h/2π का पूर्ण गुणज हो।
अर्थात
mvr = nh/2π
तृतीय परिकल्पना : इस परिकल्पना के अनुसार परमाणु में इलेक्ट्रॉन स्थायी वृत्ताकार कक्षा में चक्कर लगाते हुए विद्युत चुम्बकीय तरंगों का उत्सर्जन या अवशोषण नहीं करते है। परन्तु जब इलेक्ट्रॉन उच्च कक्षा से निम्न कक्षा या निम्न कक्षा से उच्च कक्षा में संक्रमण करते है तो विद्युत चुम्बकीय तरंग का उत्सर्जन या अवशोषण करते है।
उत्सर्जित या अवशोषित विद्युत चुम्बकीय तरंग की ऊर्जा संक्रमित कक्षाओं की उर्जाओं के अंतराल के बराबर होती है जो एक फोटोन की ऊर्जा के तुल्य होती है।
अर्थात
ΔE = En2 – En1
या
hv = En2 – En1
यहाँ
En2 = उच्च कक्षा की ऊर्जा
En1 = निम्न कक्षा की ऊर्जा
n वीं कक्षा की त्रिज्या (rn)
बोर की प्रथम परिकल्पना के अनुसार परमाणु में इलेक्ट्रॉन स्थायी वृत्ताकार कक्षा में चक्कर लगाते है तथा स्थायी वृत्ताकार कक्षा में चक्कर लगाने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल नाभिक इलेक्ट्रॉन के मध्य लगने वाले विद्युत आकर्षण बल द्वारा प्रदान किया जाता है अर्थात –
mvn2/rn = Kze2/rn2
चूँकि
K = 1/4πE0
अत:
mvn2/rn = ze2/4πE0 rn2 समीकरण-1
बोर की द्वितीय परिकल्पना के अनुसार परमाणु में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारो ओर केवल उन्ही स्थायी वृत्ताकार कक्षाओ के चक्कर लगाते है , जिनके लिए कोणीय संवेग का मान h/2π का पूर्ण गुणज हो।
अर्थात
mvnrn = nh/2π
Vn = nh/2πmrn समीकरण-2
समीकरण-2 का मान समीकरण-1 में रखने पर –
n2h2/πmrn = ze2/E0
rn = n2(h2E0)/πme2/z
यहाँ
n= 6.62 x 10-34 J.sec
E0 = 8.85 x 10-12 c2/Nm2
m= 9.1 x 10-31 Kg
e= 1.6 x 10-19 C
मान रखकर हल करने पर –
rn = 0.529 n2/Z एंग्सट्रम
हाइड्रोजन परमाणु की पहली , दूसरी व तीसरी कक्षा के त्रिजाओ का अनुपात क्रमशः 1:4:9 होता है।
हाइड्रोजन परमाणु He+ व Li2+ आयनों की पहली कक्षा की त्रिजाओं का अनुपात क्रमशः 1 : 1/2 : 1/3 या 6 : 3 : 2 होगा।
n वीं कक्षा में इलेक्ट्रोन का वेग (Vn)
बोर की द्वितीय परिकल्पना से –
mvnrn = nh/2π
Vn = nh/2πmrn समीकरण-1
n वीं कक्षा की त्रिज्या –
rn = n2(h2E0)/πme2z समीकरण-2
समीकरण-2 का मान समीकरण-1 में रखने पर –
Vn = Z/n (e2/2nE0)
यहाँ
h= 6.62 x 10-34 J.sec
E0 = 8.85 x 10-12 c2/Nm2
e= 1.6 x 10-19 C
मान रखकर हल करने पर –
V = 2.18 x 106 x Z/n मीटर/सेकंड
हाइड्रोजन परमाणु की पहली , दूसरी व तीसरी कक्षा में इलेक्ट्रोन के वेग का अनुपात क्रमशः 1:1/2:1/3 या 6:3:2 होगा।
हाइड्रोजन परमाणु He+ व Li2+ आयनों की पहली कक्षा की त्रिजाओं का अनुपात क्रमशः ?
n वीं कक्षा में इलेक्ट्रोन की कुल ऊर्जा
जब कोई इलेक्ट्रोन वृताकार कक्षा में चक्कर लगाता है तो उसकी कुल ऊर्जा उसकी गतिज व स्थितिज उर्जा के योग के बराबर होती है।
En = K.En + P.En समीकरण-1
n वीं कक्षा में इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा –
K.En = mvn2/2 समीकरण-2
n वीं कक्षा में इलेक्ट्रॉन का वेग –
Vn = Z/n (e2/2nE0) समीकरण-3
समीकरण-3 का मान समीकरण-2 में रखने पर –
K.En = Z2me4/8n2h2E02 समीकरण-4
n वीं कक्षा में इलेक्ट्रॉन की स्थितिज ऊर्जा –
P.En = K(+ze)(-e)/rn
चूँकि PE = kq1q2/r12
P.En = -ze2/4πE0rn समीकरण-5
rn = n2(h2E0)/πme2z समीकरण-6
समीकरण-6 का मान समीकरण-5 में रखने पर –
P.En = -Z2me4/4n2h2E02 समीकरण-7
समीकरण-4 व समीकरण-7 का मान समीकरण-1 में रखने पर –
En = Z2me4/8n2h2E02 + (-ze2/4πE0rn)
En = -z2me2/n28h2E02
यहाँ
n= 6.62 x 10-34 J.sec
E0 = 8.85 x 10-12 c2/Nm2
m= 9.1 x 10-31 Kg
e= 1.6 x 10-19 C
मान रखकर हल करने पर –
En = -13.6 (Z2/n2) ev
n वीं कक्षा में इलेक्ट्रोन की आवृत्ति (fn)
किसी इलेक्ट्रॉन द्वारा वृत्ताकार कक्षा में प्रति सेकंड लगाये गए चक्करों की संख्या इलेक्ट्रॉन की आवृति कहलाती है। अर्थात इलेक्ट्रोन की आवृत्ति –
fn = 1/T समीकरण-1
वृत्ताकार पथ पर एक चक्कर पूरा करने में लगा समय , आवृत काल कहलाता है।
आवर्त काल T = 2πrn/vn समीकरण-2
समीकरण-2 का मान समीकरण-1 में रखने पर –
fn = Vn/2πrn समीकरण-3
n वीं कक्षा की त्रिज्या –
rn = n2(h2E0)/πme2z समीकरण-4
n वीं कक्षा में इलेक्ट्रॉन का वेग –
Vn = Z/n (e2/2nE0) समीकरण-5
समीकरण-4 व समीकरण-5 का मान समीकरण 3 में रखने पर –
fn = z2me4/n34h3E02
यहाँ
n= 6.62 x 10-34 J.sec
E0 = 8.85 x 10-12 c2/Nm2
m= 9.1 x 10-31 Kg
e= 1.6 x 10-19 C
मान रखकर हल करने पर –
fn = 6.5 x 1015 x z2/n3 हर्ट्ज़
n वीं कक्षा में इलेक्ट्रोन का कोणीय वेग
रेखीय वेग व कोणीय वेग के मध्य सम्बन्ध से –
Vn = wnrn
Wn = Vn/rn समीकरण-1
n वीं कक्षा में इलेक्ट्रॉन का वेग –
Vn = Z/n (e2/2nE0) समीकरण-2
n वीं कक्षा की त्रिज्या –
rn = n2(h2E0)/πme2z समीकरण-3
समीकरण-2 व समीकरण-3 का मान समीकरण-1 में रखने पर –
Wn = z2πme4/n32h3E02
यहाँ
n= 6.62 x 10-34 J.sec
E0 = 8.85 x 10-12 c2/Nm2
m= 9.1 x 10-31 Kg
e= 1.6 x 10-19 C
मान रखकर हल करने पर –
Wn = 41.2 x 105 x Z2/n3 रेडियन/सेकंड
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