(angular velocity in hindi) कोणीय वेग क्या है , परिभाषा , मात्रक , विमा सूत्र , किसे कहते है : जब कोई वस्तु घूर्णन गति करती है तो गति होने के कारण उसमे कोणीय विस्थापन उत्पन्न होता है।
“वस्तु में समय के साथ कोणीय विस्थापन में परिवर्तन की दर को उस वस्तु का कोणीय वेग कहते है। ”
जब कोई वस्तु किसी वृत्तीय पथ पर गति करती है या घूर्णन करती है तो उसका वेग का मान की वह कितनी तेज और वेग से गति कर रही है इसका मान कोणीय वेग के रूप में मापन किया जाता है।
उदाहरण : जैसे जब कोई रेसर वृत्तीय पथ पर रेस करता है आदि।
यह रेखीय वेग जितना अधिक काम में नही आता है क्यूंकि रेखीय वेग हमारे जीवन में अधिक देखने को मिलता है इसलिए रेखीय वेग का उपयोग ज्यादा होता है।
कोणीय वेग का उपयोग कम होता है क्यूंकि यह तभी लागू होता है जब कोई वस्तु एक वृत्तीय पथ पर गति कर रहा हो। कोणीय वेग को सामान्यतया w से प्रदर्शित किया जाता है।
माना कोई पिण्ड किसी वृत्तीय पथ पर या घूर्णन गति कर रहा है , यह पिंड t समय में θ कोणीय विस्थापन तय करता है तो उस पिण्ड का कोणीय वेग का मान निम्न सूत्र द्वारा दिया जाता है –
w = कोणीय विस्थापन/समय
w = θ/t
तात्क्षणिक कोणीय वेग : किसी क्षण पर किसी पिण्ड का कोणीय वेग का मान तात्क्षणिक कोणीय वेग कहलाता है।
औसत कोणीय वेग : यदि किसी पिण्ड कोणीय वेग अलग अलग है तो एक निश्चित समयांतराल के लिए उसके द्वारा तय की गयी कुल कोणीय विस्थापन और कुल समय के अनुपात को औसत कोणीय वेग कहा जाता है।
यदि कोई पिण्ड 2π कोणीय विस्थापन को T समय में तय करता है तो इस पिण्ड का औसत कोणीय वेग का मान निम्न होगा –
औसत कोणीय वेग = 2π / T
कोणीय वेग का मात्रक रेडियन/सेकंड होता है , यह एक अक्षीय सदिश होता है और इसकी दिशा घूर्णन तल के लम्बवत होती है।
कोणीय वेग की दिशा को दाएँ हाथ के पेंच के नियम से ज्ञात किया जाता है।
दिशा ज्ञात करने का तरीका –
यदि कोई पिण्ड दक्षिणावर्त दिशा में घूम रहा है तो इसके कोणीय वेग की दिशा कागज़ के तल के लम्बवत निचे की तरह होती है।
इसी प्रकार यदि पिण्ड वामावर्त दिशा में घूम रहा हो तो कोणीय वेग की दिशा कागज़ के तल के लम्बवत ऊपर की तरह होती है।
कोणीय वेग का मापन जिस यन्त्र की सहायता से किया जाता है उसे “टेकामीटर” कहते है।
कोणीय वेग (Angular velocity)
घूर्णन गति कर रही वस्तु (कण) के कोणीय विस्थापन में समय के साथ परिवर्तन की दर को कोणीय वेग कहते है।
यदि घूर्णन गति करते किसी कण का Δt समय में कोणीय विस्थापन Δʘ हो , तब कण का कोणीय वेग –
w = कोणीय वेग/समयांतराल
w = Δʘ/Δt
कण का औसत कोणीय वेग – यदि कण का परिक्रमण काल T हो तो कण का औसत कोणीय त्वरण ,
w = 2π/T
w = 2πn
यहाँ n = 1/T आवृत्ति है।
इसका मात्रक रेडियन/सेकंड है।
यह एक अक्षीय सदिश है जिसकी दिशा घूर्णन तल के लम्बवत होती है और इसकी दिशा दायें हाथ के पेंच के नियम से दी जा सकती है।
यदि कण दक्षिणावर्त दिशा में घूम रहा है तो कोणीय वेग की दिशा कागज के तल के लम्बवत नीचे की ओर होगी।
यदि कण वामावर्त दिशा में घूम रहा है तो कोणीय वेग की दिशा कागज के तल के लम्बवत ऊपर की ओर होगी।
कोणीय वेग का मापन “टेकामीटर” की सहायता से करते है।
कोणीय वेग और रेखीय वेग में सम्बन्ध
यदि घूर्णन गति करते कण का रेखीय वेग v , कोणीय वेग w और कण का स्थिति सदिश r हो तब –
v = w x r
या
अदिश रूप में v = rw
प्रश्न : 6 किलोग्राम का एक पहिया 300 चक्कर प्रति मिनट की दर से गति कर रहा है , पहिये का कोणीय वेग ज्ञात करो ?
उत्तर : m = 6 किग्रा
n = 300/60 = 5 चक्कर/सेकंड
कोणीय वेग , w = 2πn
w = 2 x 3.14 x 5 = 31.4 रेडियन/सेकंड
प्रश्न : यदि किसी वृत्ताकार पथ पर गति करते कण का कोणीय विस्थापन Θ = 1.5t + 2t2 से दिया जाए तो t = 2 सेकंड में कण का कोणीय वेग ज्ञात करो ?
उत्तर : कोणीय विस्थापन Θ = 1.5t + 2t2
dθ/dt = 1.5 + 4t
(dθ/dt)t = 2 सेकंड = 1.5 + 4×2
कोणीय वेग (w) = 1.5 + 8 = 9.5 रेडियन/सेकंड
प्रश्न : एक पहिया विराम से घूमते हुए 5 सेकंड में 120 चक्कर/मिनट का कोणीय वेग अर्जित कर लेता है , पहिये का कोणीय त्वरण कितना होगा ?
उत्तर : w1 = 0
n = 120 चक्कर/मिनट = 120/60 = 2 चक्कर/सेकंड
W2 = 2πn = 2 x 3.14 x 2 = 12.56 रेडियन/सेकंड
कोणीय त्वरण (α) = W2 – w1 /t = 12.56 – 1/5
= 2.51 रेडियन/सेकंड2
प्रश्न : एक कार के पहिए का कोणीय वेग 10 सेकंड में 1200 चक्कर/मिनट से बढ़कर 4500 चक्कर/मिनट हो जाता है। इस समयान्तराल में पहिये द्वारा लगाये कुल चक्करों की संख्या ज्ञात कीजिये |
उत्तर : w0 = 1200 चक्कर/मिनट = 1200/60 = 20 चक्कर/सेकंड
= 40π रेडियन/सेकंड
w = 4500 चक्कर/मिनट
= 4500/60 = 75 चक्कर/सेकंड
w = 150π रेडियन/सेकंड
कोणीय गति के समीकरण से ,
w = w0 + αt
150π = 40π + α x 10
α = 110π/10
= 11π रेडियन/सेकंड2
लेकिन कोणीय विस्थापन θ = w0t + αt2/2
= 40π x 10 + 11π x (10)2/2
= 400 π + 550π
= 950π
चक्करों की संख्या (n) = θ/2π = 950π/2π = 475
प्रश्न : एक कार जो विरामावस्था में है , 4 रेडियन/सेकंड2 के कोणीय त्वरण से त्वरित होती है। कितने समय में 800 चक्कर/मिनट का कोणीय वेग प्राप्त कर लेगी ? इतने समय में प्रत्येक पहिये का कोणीय विस्थापन कितना होगा ?
उत्तर : w0 = 0 , α = 4 रेडियन/सेकंड2
w = 800 चक्कर/मिनट = 800/60 = 40/3 = चक्कर/सेकंड
= 40 x 2π /3 रेडियन/चक्कर = 80π /3 रेडियन/चक्कर
कोणीय गति के समीकरण के अनुसार –
w = w0 + αt से
80π /3 = 0 + 4t
t = 20π /3
t = 20 x 3.14 /3 = 21 सेकंड
कोणीय विस्थापन
w2 = w02 + 2αθ
(80π/3)2 = 0 + 2 x 4 x θ
θ = 6400π2/9×8 = 877 रेडियन
प्रश्न : एक कॉकरोच जिसका द्रव्यमान m है , किसी m द्रव्यमान की चकती जिसकी त्रिज्या R है , की परिधि पर गति करना प्रारंभ करता है तो चकती का कोणीय वेग क्या होगा ?
उत्तर :
0 + 0 = mvR + mR2w/2
w = (-)2mv/MR ऋणात्मक कोणीय वेग विपरीत दिशा व्यक्त करता है।
प्रश्न : एक घूर्णी मंच जिसका जडत्व आघूर्ण I1 है , कोणीय वेग w1 से घूम रहा है। इसके केंद्र पर m द्रव्यमान का एक व्यक्ति खड़ा है। यदि व्यक्ति केंद्र से r दूरी पर चलता है तो घूर्णन टेबल का कोणीय वेग क्या होगा ?
उत्तर : I1w1 = (I1 + mr2)w2
w2 = I1w/I1+mr2
प्रश्न : एक क्षैतिज चकती केंद्र से पारित उर्ध्वाधर अक्ष के सापेक्ष 100 चक्कर/मिनट की दर से घूर्णन कर रही है। 20 ग्राम का मोम का टुकड़ा अक्ष से 5 सेंटीमीटर की दूरी पर चकती पर गिरता है और चिपक जाता है। यदि चकती का दी गयी अक्ष के सापेक्ष जडत्व आघूर्ण 2 x 10-4 किग्रा-मी.2 है तो चकती के घूर्णन की नयी आवृति ज्ञात करो ?
उत्तर : चकती का जड़त्व आघूर्ण I1 = 2 x 10-4 किग्रा-मी2
मोम के टुकड़े के जडत्व आघूर्ण I2 = 20 x 10-3 x (0.05)2 = 0.5 x 10-4 किग्रा-मी2
माना कि चकती का प्रारंभिक कोणीय वेग w = 2πn है और चकती तथा मोम के टुकड़े का अंतिम कोणीय वेग w’ = 2πn’ है।
तो कोणीय संवेग के नियम से
I1w = (I1 + I2)w’
या
I1 x 2πn = (I1 + I2) 2πn’
अत: 2 x 10-4 x 100 = (2 x 10-4 + 0.5 x 10-4) x n’
अत: n’ = 2 x 102/2.5 = 80 चक्कर/मिनट
प्रश्न :एक ठोस बेलन का द्रव्यमान m और त्रिज्या R है , यह अक्ष पर w रेडियन/सेकंड कोणीय वेग से बिना घर्षण के घूम रहा है , m द्रव्यमान का कण v वेग से टकरा कर बेलन के किनारे पर चिपकाया जाता है , तो बेलन का कोणीय वेग द्रव्यमान चिपकने से कोणीय संवेग और प्रारंभ में अंतिम और प्रारंभिक गतिज ऊर्जा का मान क्या होगा ?
उत्तर : सिलेण्डर का प्रारंभिक संवेग = Iw
कण का प्रारंभिक संवेग = mvR
चिपकाने से पहले कोणीय संवेग J1 = Iw + mvR
चिपकाने के बाद कोणीय संवेग J2 = (I + mR2)w’
यदि τ = 0 तो J1 = J2
कोणीय वेग w‘ = Iw + mvR/I + mR2
w’ = mvR/I+mR2
निकाय की प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा = Iw2/2 + mv2/2
निकाय की अंतिम गतिज ऊर्जा = (I+mR2)w2/2
प्रश्न : यदि द्रव्यमान को नियत रखते हुए पृथ्वी की त्रिज्या आधी कर दी जाए तो दिन की अवधि कितनी हो जाएगी ?
उत्तर : I1 x w1 = I2w2
चूँकि 2MR2/5 x 2π/T1 = 2M/5 (R/2)22π/T2
अत: T1 = 24 Hr
T2 = 6 hr