JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Categories: Biology

प्रकाश तंत्र – I , प्रकाश तंत्र – II , चक्रीय फास्फोरिलीकरण , अचक्रीय फास्फोरिलीकरण , अन्तर , Photosystem in hindi

पादप के हरित लवक में पाए जाने वाले प्रत्येक प्रकाश तंत्र के भीतर 300 से 400 वर्णको के समूह पाए जाते है।  प्रत्येक प्रकाश तन्त्र में उपस्थित वर्णकों के समूह में से एक वर्णक अभिक्रिया केंद्र की तरह कार्य करता है तथा उसके आसपास उपस्थित बाकी सभी वर्णक सहायक वर्णको का कार्य करते है तथा प्रकाश ऊर्जा को ग्रहण कर मुख्य वर्णक को स्थानांतरित करते है अत: इन सहायक वर्णको को एंटीना अणु के नाम से जानते है।
प्रकाश तंत्र – I (Photosystem-I in hindi) : पादपो में पाए जाने वाले इस प्रकाश तन्त्र के अन्तर्गत मुख्यत: क्लोरोफिल तथा केरिटीनोइड वर्णक के रूप में पाए जाते है व क्लोरोफिल विभिन्न प्रकार के प्रकाश तरंगदैधर्य का अवशोषण करते है।
क्लोरोफिल 700 अभिक्रिया केंद्र की तरह कार्य करता है तथा शेष वर्णक सहायक वर्णको की तरह कार्य करते है जिन्हें एंटीना अणु के नाम से भी जाना जाता है।  यह प्रकाश तंत्र स्ट्रोमा तथा ग्रेना दोनों भाग में पाया जाता है।
यह प्रकाश तंत्र चक्रीय तथा अचक्रीय फोस्फोरिलीकरण में भाग लेता है।
प्रकाश तंत्र – II : इस प्रकार के प्रकाश तन्त्र में वर्णकों के रूप में क्लोरोफिल – a , क्लोरोफिल – b , केरिटीनोइड , Pheophytin , Plastoquinone, lytochron b6 , cytochron f व plasto cyanine पाया जाता है।
उपरोक्त प्रकाश तंत्र में तरंग दैर्ध्य को अवशोषित करने के आधार पर क्लोरोफिल 650 से 680 तक के वर्णक पाए जाते है अर्थात इनके द्वारा 680 nm से अधिक प्रकाश तरंग दैर्ध्य वाले प्रकाश को अवशोषित नहीं किया जाता है।
इस प्रकाश तंत्र में क्लोरोफिल 680 अभिक्रिया केंद्र की तरह कार्य करता है , वही शेष वर्णक एन्टीना अणु की तरह कार्य करते है।
यह प्रकाश तन्त्र हरितलवक के ग्रेना भाग में पाया जाता है तथा इसके द्वारा केवल अचक्रीय फास्फोरिलीकरण संपन्न किया जाता है।

विभिन्न प्रकाश तंत्रों की क्रियाविधि

1. प्रकाश तंत्र – I की क्रियाविधि :
(i) चक्रीय फास्फोरिलीकरण : हरित लवक के Quantasoma भाग में पाए जाने वाले प्रकाश तंत्र – I में क्लोरोफिल 700 अभिक्रिया केंद्र की तरह कार्य करता है जिसके ऊर्जा अवशोषण के कारण सक्रियता उत्पन्न होती है तथा उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन विभिन्न इलेक्ट्रॉन ग्राहियो के द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है।
सर्वप्रथम आयरन सल्फर तत्पश्चात fridoxin के द्वारा , fridoxin से होते हुए साइटोक्रोम (C4
to b
6) तथा C4tob6 से C4f व C4f  से plasto cumine व plasto cumine से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन पुनः अभिक्रिया केंद्र पर पहुचता है तथा इलेक्ट्रॉन के उत्सर्जन से उत्पन्न हुए रिक्त स्थान पुनः भर दिया जाता है।  यह क्रिया चक्रीय फास्फोरिलीकरण कहलाती है।
चक्रीय फास्फोरिलीकरण की क्रिया हरितलवक के स्ट्रोमा भाग में संपन्न होती है तथा यह अभिक्रिया प्रकाश संश्लेषण की प्रकाशिक अभिक्रिया का एक भाग है।
(ii) अचक्रीय फास्फोरिलीकरण : प्रकाशिक अभिक्रिया की यह क्रिया हरितलवक  ग्रेना भाग में सम्पन्न होती है।
अचक्रीय फास्फोरिलीकरण के अंतर्गत प्रकाश तंत्र – I व प्रकाश तंत्र – II भाग लेता है।
अचक्रीय फास्फोरिलीकरण –

अचक्रीय फास्फोरिलीकरण की क्रिया के अंतर्गत PS-I व PS-II दोनों भाग लेते है।
PS-II के अभिक्रिया केन्द्र Chl. 680 के सक्रीय होने पर 2 इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन होता है जिन्हें प्राथमिक इलेक्ट्रॉन ग्राही के द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है।
इलेक्ट्रॉन के उत्सर्जन से अभिक्रिया केन्द्र ऑक्सीकृत होता है तथा जल के अणु का photolysis संपन्न करता है जिससे H+ , O2 , व 2e उत्सर्जित होते है।
उपरोक्त अभिक्रिया से उत्सर्जित 2e प्रकाश तंत्र – II (PS-II) के अभिक्रिया केंद्र में निर्मित हुए रिक्त स्थान को पुन: भरने का कार्य करते है जिसके कारण यह वर्णक पुन: सक्रीय से असक्रीय हो जाता है।
प्रकाश तंत्र – II से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन pheophy के द्वारा ग्रहण किये जाते है जिसे पुनः plastoquinone ग्रहण करता है।
Plastoquinone से इलेक्ट्रॉन साइटाक्रोम – b6 व साइटोक्रोम – f के द्वारा ग्रहण किये जाते है। C4tob6 या C4tof से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन plastocumin को स्थानांतरित कर दिए जाते है।
e के स्थानान्तरण के समय मुक्त ऊर्जा अधिक होने के कारण ADP से ATP का निर्माण होता है।
प्रकाश तंत्र-II के समान प्रकाश तन्त्र-I के अभिक्रिया केंद्र के सक्रीय होने पर 2e का उत्सर्जन होता है।  इन्हें आयरन सल्फर के द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है।  fes से पुनः उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन feridoxin के द्वारा ग्रहण कर लिए जाते है fd के द्वारा ग्रहण किये electron तथा जल के photolysis से उत्सर्जित H+ आयन सामूहिक रूप से NADPH को NADPH + H+ में परिवर्तित कर देते है।
प्रकाश तंत्र-I में इलेक्ट्रॉन के उत्सर्जन से उत्पन्न हुए रिक्त स्थान को प्रकाश-II से उत्सर्जित हुए electron के द्वारा भर दिया जाता है।
उपरोक्त क्रिया में ATP के निर्माण होने से तथा उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन के मूल स्थान पर नहीं पहुचने के कारण यह क्रिया अचक्रीय फोस्फोरिलीकरण कहलाती है।
अचक्रीय फास्फोरिलीकरण को z-स्कीम के नाम से भी जाना जाता है।
नोट : चक्रीय तथा अचक्रीय फास्फोरिलीकरण से उत्पन्न होने वाली ATP स्वांगीकरण शक्ति कहलाती है , वही निर्मित होने वाले NADPH + H+ अपचायक शक्ति के नाम से जाने जाते है।
उपरोक्त दोनों प्रकार की शक्ति कार्बन डाई ऑक्साइड के अपचयन हेतु ऊर्जा के स्रोत के रूप में अप्रकाशिक अभिक्रिया के दौरान उपयोग की जाती है।
प्रकाशिक अभिक्रिया के दौरान संपन्न होने वाली चक्रीय तथा अचक्रीय फास्फोरिलीकरण की क्रिया के मध्य पाया जाने वाला मुख्य अन्तर निम्न प्रकार से है –

चक्रीय फास्फोरिलीकरण
अचक्रीय फास्फोरिलीकरण
1. इसमें केवल PS-I भाग लेता है।
इसमें PS-I व II दोनों भाग लेते है।
2. इसमें जल का प्रकाशिक अपघटन नहीं होता है।
इसमें जल का प्रकाशिक अपघटन होता है।
3. इसमें ऑक्सीजन के अणु मुक्त नही होते है।
इसमें ऑक्सीजन के अणु मुक्त होते है।
4. NADPH + H+ का संश्लेषण नहीं होता है।
NADPH + H+ का संश्लेषण होता है।
Sbistudy

Recent Posts

द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन क्या हैं differential equations of second order and special functions in hindi

अध्याय - द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन (Differential Equations of Second Order…

2 days ago

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

5 days ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

7 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

1 week ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

1 week ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now