प्रकाश विद्युत प्रभाव (photoelectric effect in hindi) , कॉम्पटन प्रभाव (compton effect in hindi)

(photoelectric effect in hindi) प्रकाश विद्युत प्रभाव : जब किसी उचित तरंग दैर्ध्य के प्रकाश विकिरणों को धातु की सतह पर डाला जाता है तो धातु की सतह से electrons उत्सर्जित होने लगते है इसे प्रकाश विद्युत प्रभाव कहते है।

अधिकांश धातुएँ पराबैंगनी क्षेत्र में यह प्रभाव दर्शाती है।

प्रकाश विद्युत प्रभाव की क्वांटम यांत्रिकी व्याख्या

माना एक v आवृति का फोटोन जिसकी ऊर्जा hv है , धातु की सतह से टकराता है तो यह फोटोन धातु की सतह पर या उसके नीचे के electron को hv ऊर्जा स्थानान्तरित कर देता है।  इस प्रकार अवशोषित ऊर्जा में से कुछ ऊर्जा जो देहली ऊर्जा के बराबर होती है , electron को धातु की सतह से हटाने में खर्च हो जाती है जिसे कार्यफलन (Ф) से दर्शाते है। शेष ऊर्जा निष्कासित electron की गतिज ऊर्जा (KE) के रूप में होती है।  अत: फोटोन द्वारा स्थानांतरित ऊर्जा
E = कार्यफलन + गतिज ऊर्जा
E = Ф + KE
hv = hv0 + mv2/2
mv2/2 = hv – hv0
mv2/2 = h(v – v0)

KE = h(v
– v0)

 यहाँ m = electron का द्रव्यमान
v = electron का वेग
Ф = देहली ऊर्जा या कार्य फलन
गतिज ऊर्जा एवं फोटोन की आवृति में आरेख खीचने पर यह चित्रानुसार ग्राफ प्राप्त होता है

कॉम्पटन प्रभाव (compton effect in hindi)

जब एक उच्च ऊर्जा वाला फोटोन कण किसी परमाणु के आन्तरिक electron से टकराता है तो यह कण (फोटोन) अपनी कुछ ऊर्जा उसे दे देता है।  फलस्वरूप प्रकिर्णित फोटोन कम ऊर्जा के साथ बाहर निकलता है।  इस प्रकार प्रकिर्णित फोटोन की आवृति कम होगी अर्थात तरंग दैर्ध्य अधिक होगी , इसे कॉम्पटन प्रभाव कहते है।
चित्र में x किरणों का फोटोन (hv) , विराम अवस्था (v = 0) में रखे एक electron से टकराता है।
फोटोन की ऊर्जा hv है जबकि electron की ऊर्जा m0c2 है।
यहाँ
m= विराम अवस्था में electron का द्रव्यमान है।
c = प्रकाश का वेग
टक्कर के कारण फोटोन अपनी ऊर्जा का कुछ अंश electron को दे देता है , फलस्वरूप फोटोन की ऊर्जा का मान घटकर hv’ हो जाता है , ऊर्जा प्राप्त करके electron उत्तेजित होकर सतह से बाहर निकल जाता है।
माना electron की ऊर्जा अर्थात गतिशील electron की ऊर्जा mc2 व संवेग mv हो जाता है।
यहाँ
m = गतिशील e का द्रव्यमान है जो x अक्ष के साथ ϴ कोण बनाता है , प्रकिर्णित फोटोन x अक्ष के साथ θ कोण बनाता है।
टक्करों को पूर्णत: प्रत्यास्थ मानते हुए ऊर्जा तथा संवेग संरक्षण नियमों को लागू किया जाता है।
अत:
चक्कर से पूर्व फोटोन तथा e की ऊर्जा = टक्कर के बाद दोनों की ऊर्जा
m0c2 +  hv = hv’ + mc2
संवेग संरक्षण नियमानुसार
टक्कर से पूर्व संवेग = टक्कर के बाद संवेग