हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता का सिद्धांत क्या है , heisenberg uncertainty principle in hindi

(heisenberg uncertainty principle in hindi ) हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता का सिद्धांत : इस सिद्धान्त के अनुसार किसी क्षण किसी सूक्ष्म कण जैसे electron , proton आदि की स्थिति एवं संवेग दोनों के मान को एक साथ सही सही ज्ञात करना संभव नहीं है।
स्थिति एवं संवेग दोनों में अनिश्चितता के गुणनफल का मान h/4π के समान अथवा इससे अधिक होता है।
x.≥ h/4π
यहाँ
x = कण की x अक्ष के सापेक्ष स्थिति में अनिश्चितता
p = संवेग में अनिश्चितता
यदि कण की स्थिति में अनिश्चितता को कम किया जाए तो संवेग की अनिश्चितता बढ़ जाती है क्योंकि दोनों के गुणनफल का मान h/4π के बराबर होता है।
संवेग p = mv होता है अत:
x. m△v  =  h/4π
x.△v  =  h/m4π

अनिश्चितता सिद्धांत की व्युत्पत्ति

माना की एक electron किसी क्षण बिन्दु o पर स्थित है , जिसे x किरण सूक्ष्मदर्शी द्वारा प्रेक्षित किया गया है।  जिसकी ध्रुवण शक्ति (विभेदन क्षमता) x को निम्न सूत्र द्वारा दर्शाया जा सकता है।
x = λ’/2sinα
यहाँ x = electron की स्थिति ज्ञात करने में अनिश्चितता
α = सूक्ष्मदर्शी में प्रवेश करने वाले फोटोन का x अक्ष के साथ कोण
λ’ = सूक्ष्मदर्शी में प्रवेश करने वाले फोटोन की तरंग दैर्ध्य
माना फोटोन जिसकी तरंग दैर्ध्य λ’ है , electron से टकराता है।  electron से टकराकर फोटोन विवर्तित होकर op या oy से सूक्ष्मदर्शी में प्रवेश करता है।

यदि विवर्तित फोटोन की तरंग दैर्ध्य λ’ , आघूर्ण h/λ’ हो तो इसके लिए निम्न समीकरण दी जा सकती है –
1. यदि फोटोन op की दिशा में विवर्तित हो तो उसका आघूर्ण होगा –
h/λ’  + hsinα/λ’
2. यदि फोटोन oy दिशा में विवर्तित हो तो उसका आघूर्ण होगा
h/λ’  –  hsinα/λ’
अत: आघूर्ण की अनिश्चितता p का मान
p = op – oy
p = (h/λ’  + hsinα/λ’ ) – (h/λ’  –  hsinα/λ’)
p = 2hsinα/λ’
अत: x.p = (2hsinα/λ’) . (λ’/2sinα)
हल करने पर 
x.p = h 
किसी भी वास्तविक आकलन में कम से कम संभावित मान से तो त्रुटी कुछ अधिक ही होती है। 
अत: x.≥ h
हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता का सिद्धांत केवल सूक्ष्म कणों पर लागू होता है।  बड़े कणों जैसे क्रिकेट की गेंद आदि पर यह सिद्धांत लागू नहीं होता क्योंकि इनके द्रव्यमान m का मान अधिक होने से h/m का मान कम हो जाता है जिससे अनिश्चितता में भी कमी हो जाती है।