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(black body radiation in hindi) कृष्णिका विकिरण : यदि कोई वस्तु उस पर आपतित सभी तरंग दैर्ध्यो के विकिरणों का अवशोषण कर लेती है तो उसे आदर्श कृष्णिका कहते है।
अवशोषण गुणांक (a) = वस्तु द्वारा अवशोषित विकिरण की मात्रा / आपतित विकिरण की मात्रा
अवशोषण गुणांक (a) = वस्तु द्वारा अवशोषित विकिरण की मात्रा / आपतित विकिरण की मात्रा
- आदर्श कृष्णिका के लिए अवशोषण गुणांक a = 1 होता है।
- जब कृष्णिका को उच्च ताप पर गर्म किया जाता है तो यह अवशोषित सभी विकिरणों को उत्सर्जन करती है। (अच्छा अवशोषक अच्छा उत्सर्जक भी होता है। ) इस प्रक्रम को विकिरण कहते है।
अर्थात कृष्णिका से या अन्य किसी गर्म वस्तु से ऊष्मा ऊर्जा जिस प्रक्रम में निकलती है उसे विकिरण कहते है , ये विकिरण ऊर्जा का एक स्पेक्ट्रम बनाती है जो कृष्णिका के ताप पर निर्भर करती है।
निश्चित ताप पर उत्सर्जित ऊर्जा एवं तरंग दैर्ध्य के मध्य आरेख चित्रानुसार प्राप्त होता है –
इन आरेखों से निम्न बाते स्पष्ट होती है –
- एक निश्चित ताप पर सभी तरंग दैर्ध्यो के लिए उत्सर्जित विकिरणों की तीव्रता समान नहीं होती है।
- परम ताप T में वृद्धि से वक्र का शिखर निम्न तरंग दैर्ध्य की ओर विस्थापित हो जाता है। इसे वीन का विस्थापन नियम कहते है।
- किसी तरंग दैर्ध्य के लिए ताप में वृद्धि के साथ उत्सर्जित विकिरणों की तीव्रता के मान में वृद्धि होती है।
- प्रत्येक ताप पर उत्सर्जित विकिरणों की तीव्रता का मान एक तरंग दैर्ध्य λmax के लिए अधिकतम होता है।
- उत्सर्जित विकिरणों की तीव्रता का अधिकतम मान Em ∝ Ts इसे वीन का विकिरण नियम कहते है।
प्लांक का क्वांटम सिद्धांत (planck quantum theory of black body radiation)
इस सिद्धान्त का प्रतिपादन मैक्स प्लान्क ने किया था।
इसके अनुसार कृष्णिका या अन्य गर्म वस्तु से विकिरणों का उत्सर्जन लगातार नहीं होकर असंतत होता है।
अर्थात विकिरणों के रूप में उर्जा का उत्सर्जन पैकेट्स के रूप में होता है जिन्हें फोटोन या क्वांटम कहते है।
प्रत्येक फोटोन या क्वान्टम की ऊर्जा विकिरण की आवृति v के समानुपाती होती है।
अर्थात
E ∝ v
E = hv
यह एक फोटोन की ऊर्जा है।
यहाँ
E = फोटोन की ऊर्जा
h = प्लांक स्थिरांक (6.62 x 10-34 m2 kg/s)
v = विकिरण की आवृति
bahut hi saral shabdon me bataya hai
thanks