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Categories: chemistry

संकुलन क्षमता क्या है , कैसे ज्ञात करते है , संकुलन क्षमता किसे कहते हैं , सूत्र (packing efficiency in hindi)

(packing efficiency in hindi) संकुलन क्षमता क्या है , कैसे ज्ञात करते है , संकुलन क्षमता किसे कहते हैं , सूत्र
परिभाषा : भले ही अवयवी कण कैसे भी किसी क्रिस्टल जालक में निबिड़ संकुलित रहे लेकिन फिर भी कुछ न कुछ क्रिस्टल के अवयवी कणों के मध्य रिक्त स्थान या रिक्ति रह जाती है , अर्थात क्रिस्टल के सम्पूर्ण आयतन को केवल अवयवी कणों द्वारा नहीं घेरा जा सकता है , इसमें कुछ आयतन में रिक्ति भी होती है अर्थात क्रिस्टल का कुछ आयतन ऐसा भी होता है जिसमें अवयवी कण नहीं होते है जो रिक्ति या छिद्र कहलाती है।
“किसी क्रिस्टल में उपस्थित अवयवी कण , क्रिस्टल जालक के कुल आयतन का जितना आयतन घेरते है , इसे ही क्रिस्टल जालक की संकुलन क्षमता कहते है। ”
अर्थात किसी एकक कोष्ठिका में उपस्थित अवयवी कणों द्वारा घेरा गया आयतन और एकक कोष्ठिका का कुल आयतन के अनुपात को संकुलन अंश कहते है और यदि संकुलन अंश को 100 से गुणा कर दिया जाए तो संकुलन क्षमता आ जाती है।
संकुलन अंश या क्षमता = क्रिस्टल जालक में उपस्थित अवयवी कणों का आयतन / क्रिस्टल जालक का कुल आयतन
या
संकुलन क्षमता = अवयवी कणों द्वारा एकक कोष्ठिका का घेरा गया आयतन / एकक कोष्ठिका का कुल आयतन
% संकुलन क्षमता = (क्रिस्टल जालक में उपस्थित अवयवी कणों का आयतन / क्रिस्टल जालक का कुल आयतन ) x 100
या
% संकुलन क्षमता = (क्रिस्टल जालक में उपस्थित अवयवी कणों का आयतन / क्रिस्टल जालक का कुल आयतन ) 100

1. फलक केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका (fcc की संकुलन दक्षता) : इसकी संकुलन दक्षता 74% होती है अर्थात फलक केंद्रित घनीय एकक कोष्ठिका में अवयवी कणों द्वारा घेरा गया आयतन 74% होता है तथा 26% आयतन रिक्त होता है। अत: फलक केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका की संकुलन दक्षता 74% होती है।
2. अंत: केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका (BCC की संकुलन दक्षता) : इसकी संकुलन दक्षता 68% होती है अर्थात अंत: केन्द्रीय घनीय एकक कोष्ठिका के 68% आयतन में अवयवी कण रहते है बाकी 32% आयतन रिक्त रहता है।  अर्थात BCC संरचना में अवयवी कणों द्वारा घेरा गया आयतन कुल आयतन का 68% होता है।
3. सरल घनीय एकक कोष्ठिका (simple cubic unit cell) : इसकी संकुलन दक्षता 52.4% होती है अर्थात सरल घनीय एकक कोष्ठिका के कुल आयतन के 52.4% आयतन को अवयवी कणों द्वारा घेरा जाता है।
4. षट्कोणीय निबिड़ संकुलन संरचना (HCP की संकुलन दक्षता) : षट्कोणीय निबिड़ संकुलन संरचना की संकुलन दक्षता 74% होती है अर्थात इसके कुल आयतन के 74% भाग में अवयवी कण जैसे परमाणु , अणु या आयन उपस्थित रहते है बाकी 26% भाग रिक्त रहता है।

संकुलन क्षमता (packing efficiency) : क्रिस्टल जालक में अवयवी कण निबिड़ संकुलित अवस्था में रहते है। उस अवस्था में भी बहुत से मुक्त स्थान या रिक्तियाँ या छिद्र बचे रहते है। अर्थात क्रिस्टल जालक का सम्पूर्ण स्थान अवयवी कणों द्वारा नहीं घेरा जाता है। 

“किसी क्रिस्टल जालक में उपस्थित कण क्रिस्टल जालक के कुल आयतन का जितना भाग घेरते है , उसे क्रिस्टल जालक की संकुलन क्षमता (packing efficiency) कहलाती है। “

संकुलन क्षमता = (क्रिस्टल जालक में उपस्थित कणों (गोलों) का आयतन)/(क्रिस्टल जालक का कुल आयतन)

% संकुलन क्षमता = 100 x (क्रिस्टल जालक में उपस्थित कणों (गोलों) का आयतन)/(क्रिस्टल जालक का कुल आयतन)

घनीय निबिड़ संकुलित संरचनाओं की संकुलन क्षमता की गणना

  1. फलक केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका (fcc) (packing efficiency of fcc) (face centered cubic): जैसा कि पहले बताया जा चूका है , इस संरचना में घन के कोनों के कण एक दुसरे को स्पर्श नहीं करते है , बल्कि फलक विकर्ण पर उपस्थित कण एक दुसरे को स्पर्श करते है।

एफसीसी एकक कोष्ठिका में कणों की संख्या = 8 x 1/8 + 6 x 1/2 = 4

यदि कणों को r त्रिज्या का गोला माना जाए तो

एक गोले का आयतन = 4πr3/3

चार गोलों का कुल आयतन = 4πr3/3 x 4

घनीय संरचना का कुल आयतन = a3

a = घन का किनारा है।

चित्र के अनुसार

AC = r + 2r + r = 4r

AC = 4r

और

अत:

AC = √AD2 + DC2

= √a2+a2 = √2a2

= √2.a

√2.a = 4r

अथवा

a = 4r/√2 = 2√2.r

घनीय संरचना का कुल आयतन = a3

= (2√2.r)3

संकुलन क्षमता = गोलों का कुल आयतन/घन का कुल आयतन

संकुलन क्षमता = [4πr3/3 x 4]/[(2√2.r)3]

= 0.74

संकुलन क्षमता = 0.74 अथवा 74%

अत: fcc संरचना में गोलों द्वारा घेरा गया कुल आयतन = 74%

2. अंत: केन्द्रीय घनीय एकक कोष्ठिका (bcc) (body centered cubic packing efficiency)

इस संरचना में घन के कोनों के कण (गोले) एक दूसरे को स्पर्श नहीं करते है .बल्कि काय विकर्ण पर स्थित गोले एक दूसरे को स्पर्श करते है।

bcc इकाई सेल में गोलों की (कणों) की संख्या = 8 x 1/8 + 1 = 2

यदि गोलों की त्रिज्या r हो तो

गोलों का कुल आयतन = 4πr3/3 x 2

काय विकर्ण BD की लम्बाई = 4r

समकोण त्रिभुज BCD में

BD = √CB2 + CD2

घन की भुजा (किनारा) = a हो तो

CB = √2a और CD = a

अत: BD = √2a2 + a2 = √3a2

अथवा BD = √3.a

चूँकि BD = 4r

अत: √3.a = 4r

अथवा

a =  4r/√3

घनीय संरचना का आयतन = a3

= (4r/√3)3

संकुलन क्षमता = गोलों का कुल आयतन/घन का आयतन

= [4πr3/3 x 2]/[(4r/√3)3]

संकुलन क्षमता = 0.68 या 68%

अत: bcc संरचना में गोलों द्वारा घेरा गया कुल आयतन = 68%

सरल घनीय एकक कोष्ठिका (simple cubic unit cell)

सरल घनीय एकक कोष्ठिका में घन के कोनों पर उपस्थित गोले एक दूसरे का स्पर्श करते है।

यदि a = घन का किनारा है

तथा r = गोलों की त्रिज्या हो तो a = 2r

सरल घनीय एक कोष्ठिका में उपस्थित गोलों की संख्या =  8 x 1/8 = 1

घन का आयतन = a3

(2r)3

संकुलन क्षमता = गोलों का कुल आयतन/घन का कुल आयतन

= [(4πr3/3)]/[((2r)3)] = 0.524

अथवा संकुलन क्षमता = 52.4%

अत: सरल घनीय एकक कोष्ठिका में गोलों द्वारा घेरा गया कुल आयतन = 52.4%

षट्कोणीय निबिड़ संकुलन (hcp) संरचना (hexagonal close packing efficiency)

माना कि प्रत्येक गोले की त्रिज्या r है।

एकक कोष्ठिका का आयतन = आधार x ऊँचाई

एक सम षट्कोण का आधार = 6 x (2r)2 √3/4 = 6 x √3.r2

एकक कोष्ठिका की ऊँचाई = 4r √2/3

अत: एकक कोष्ठिका का आयतन = 6√3.r2 x 4√2/3.r

= 24√2.r3

hcp एकक कोष्ठिका में परमाणुओं की संख्या = 12 x 1/6 + 2×1/2 + 3 = 6

6 परमाणुओं की आयतन = 6 x 4πr3/3 = 8πr3

संकुलन क्षमता = 8πr3/25√2r3 = π/3√2

= 0.74

अथवा = 74%

शुद्ध तत्वों की क्रिस्टल संरचना में परमाणुओं की त्रिज्या तथा निकटतम परमाणुओं की बीच की दूरी (d) में सम्बन्ध –

विभिन्न एकक कोष्ठिकाओं में परमाणु त्रिज्या (r) तथा निकटतम परमाणुओं के मध्य की दूरी (d) में सम्बन्ध सारणी में दिए गए है।

a = घन का किनारा है।

 एकक कोष्ठिका 

 निकटतम परमाणुओं के मध्य की दूरी (d)

परमाणुओं की त्रिज्या (r) 

 1. सरल घनीय एकक कोष्ठिका 

 d = a

 r = a/2

 2. फलक केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका 

 d = a/√2

  r = a/2√2

 3. अंत: केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका 

 d = √3a/2

 r = √3a/4

 सारणी के रूप में अध्ययन  –

संरचना एकक कोष्ठिका संकुलन के प्रकार व्यवस्था उपसंयोजन संकुल क्षमता रिक्तिका
1. सरल घनीय जालक आद्य एकक कोष्ठिका वर्ग निबिड़ संकुलन A-A-A 6 52.4% 47.6%
2. अंत: केन्द्रीय घनीय जालक body centred cubic -do- A-B-A-B 8 68% 32%
3. षट्कोणीय निबिड़ संकुलन hcp non cubic षट्कोणीय A-B-A-B 12 74% 26%
4. घनीय निबिड़ / फलक केन्द्रित घनीय फलक केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका fcc षट्कोणीय A-B-C-A-B-C 12 74% 26%

प्रश्न 1 : टंग्सटन का क्रिस्टलन काय केन्द्रीय घनीय एकक कोष्ठिका के रूप में होता है .यदि एकल कोष्ठिका का किनारा 316.5 pm हो तो टंगस्टन परमाणु की त्रिज्या की गणना कीजिये ?

उत्तर : यदि bcc एकक कोष्ठिका का किनारा a तथा परमाणु त्रिज्या r हो तो इन दोनों में निम्नलिखित सम्बन्ध है।

r = √3.a/4

यहाँ a = 316.4 pm है।

अत: r = √3/4 x 316.4

= 1.732 x 316.4/4

= 137.04 pm 

प्रश्न 2 : एक घनीय जालक के फलक विकर्ण की लम्बाई 4.25 A है। इस जालक के फलक की लम्बाई ज्ञात कीजिये।

हल : घनीय जालक के फलक की लम्बाई यदि a हो तो –

जालक के फलक विकर्ण = √a2 + a2

= √2.a

अथवा a = फलक विकर्ण की लम्बाई/√2

= 4.25A/√2 = 3.01 A

प्रश्न 3 : गोल्ड का क्रिस्टलन फलक केन्द्रित घनीय (एफसीसी) इकाई सेल के रूप में होता है। इकाई सेल के किनारे की लम्बाई क्या होगी यदि गोल्ड की त्रिज्या 0.144 nm है।

हल : फलक केन्द्रित घनीय (fcc) इकाई सैल के किनारे तथा परमाणु की त्रिज्या में निम्नलिखित सम्बन्ध है।

r = a/2√2

अथवा a = 2√2 x r

चूँकि r = 0.144 nm (दिया गया है)

अत: r = 2√2 x 0.144

r = 0.407 nm

Sbistudy

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