“किसी क्रिस्टल में उपस्थित अवयवी कण , क्रिस्टल जालक के कुल आयतन का जितना आयतन घेरते है , इसे ही क्रिस्टल जालक की संकुलन क्षमता कहते है। ”
अर्थात किसी एकक कोष्ठिका में उपस्थित अवयवी कणों द्वारा घेरा गया आयतन और एकक कोष्ठिका का कुल आयतन के अनुपात को संकुलन अंश कहते है और यदि संकुलन अंश को 100 से गुणा कर दिया जाए तो संकुलन क्षमता आ जाती है।
संकुलन अंश या क्षमता = क्रिस्टल जालक में उपस्थित अवयवी कणों का आयतन / क्रिस्टल जालक का कुल आयतन
या
संकुलन क्षमता = अवयवी कणों द्वारा एकक कोष्ठिका का घेरा गया आयतन / एकक कोष्ठिका का कुल आयतन
% संकुलन क्षमता = (क्रिस्टल जालक में उपस्थित अवयवी कणों का आयतन / क्रिस्टल जालक का कुल आयतन ) x 100
या
% संकुलन क्षमता = (क्रिस्टल जालक में उपस्थित अवयवी कणों का आयतन / क्रिस्टल जालक का कुल आयतन ) 100
1. फलक केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका (fcc की संकुलन दक्षता) : इसकी संकुलन दक्षता 74% होती है अर्थात फलक केंद्रित घनीय एकक कोष्ठिका में अवयवी कणों द्वारा घेरा गया आयतन 74% होता है तथा 26% आयतन रिक्त होता है। अत: फलक केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका की संकुलन दक्षता 74% होती है।
2. अंत: केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका (BCC की संकुलन दक्षता) : इसकी संकुलन दक्षता 68% होती है अर्थात अंत: केन्द्रीय घनीय एकक कोष्ठिका के 68% आयतन में अवयवी कण रहते है बाकी 32% आयतन रिक्त रहता है। अर्थात BCC संरचना में अवयवी कणों द्वारा घेरा गया आयतन कुल आयतन का 68% होता है।
3. सरल घनीय एकक कोष्ठिका (simple cubic unit cell) : इसकी संकुलन दक्षता 52.4% होती है अर्थात सरल घनीय एकक कोष्ठिका के कुल आयतन के 52.4% आयतन को अवयवी कणों द्वारा घेरा जाता है।
4. षट्कोणीय निबिड़ संकुलन संरचना (HCP की संकुलन दक्षता) : षट्कोणीय निबिड़ संकुलन संरचना की संकुलन दक्षता 74% होती है अर्थात इसके कुल आयतन के 74% भाग में अवयवी कण जैसे परमाणु , अणु या आयन उपस्थित रहते है बाकी 26% भाग रिक्त रहता है।