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अन्तराकाशी छिद्र , अन्तराकाशी रिक्तियां , चतुष्फलकीय व अष्टफलकीय रिक्ति या छिद्र (interstitial voids in hindi)
उदाहरण : अवयवी कणों की ccp और hcp संरचना में 26% रिक्त स्थान पाया जाता है अर्थात लगभग 26% भाग में रिक्तियाँ पायी जाती है।
संरचना के आधार पर रिक्त स्थान अलग अलग आकार का बनता है और रिक्त स्थान या रिक्ति के आकार के आधार पर रिक्तियों को दो प्रकार का कहा जाता है –
1. चतुष्फलकीय छिद्र या रिक्तियाँ (Tetrahedral voids or sites)
2. अष्टफलकीय छिद्र या रिक्ति (Octahedral voids or sites)
आइयें हम इन दोनों प्रकार की रिक्तियों के बारे में विस्तार से अध्ययन करते है।
1. चतुष्फलकीय छिद्र या रिक्तियाँ (Tetrahedral voids or sites)
किसी एक संरचना में कुल चतुष्फलकीय रिक्तियों की संख्या गोलों की संख्या की दो गुनी होती है तथा चूँकि यह रिक्ति चार गोलों से स्पर्श रहती है इसलिए चतुष्फलकीय छिद्र या रिक्ति की उपसहसंयोजन संख्या या समन्वयी संख्या 4 होती है।
2. अष्टफलकीय छिद्र या रिक्ति (Octahedral voids or sites)
किसी एक संरचना में कुल बनी अष्टफलकीय रिक्तियों की संख्या , गोलों की कुल संख्या के बराबर होती है और चूँकि यह रिक्ति छ: गोलों द्वारा स्पर्श रहती है इसलिए अष्टफलकीय छिद्र या रिक्ति की उप सहसंयोजन संख्या या समन्वयी संख्या 6 होती है।
उदाहरण के लिए गोलों की hcp तथा ccp संरचनाओं में 26% स्थान रिक्त रह जाते है। इन रिक्त स्थानों को छिद्र (hole) , रिक्त (voids) कहा जाता है।
ये रिक्तियाँ दो प्रकार की होती है।
- चतुष्फलकीय छिद्र (tetrahedral void or site): यह छिद्र चार समान गोलों से बनता है। इसमें तीन गोले परस्पर स्पर्श करते हुए एक तल में होते है और चतुर्थ गोला इनके द्वारा बने छिद्र पर ऊपर अथवा नीचे रखा होता है। इन चारों गोलों के केंद्र , एक समचतुष्फलक के चारों कोने बनाते है और इस चतुष्फलक के केन्द्र पर चारों गोलों के मध्य खाली स्थान रह जाता है , जिसे चतुष्फलकीय छिद्र कहते है , चतुष्फलकीय छिद्र का आकार r = 0.225 R यहाँ R = गोले की त्रिज्या तथा r चतुष्फलकीय छिद्र की त्रिज्या है।
चतुष्फलकीय छिद्र की त्रिज्या r तथा गोले की त्रिज्या R में सम्बन्ध ज्ञात करना : चित्र में चतुष्फलकीय छिद्र को काले रंग के गोले से दर्शाया गया है।
चित्र में AB = फलक विकर्ण तथा AD = काय विकर्ण है। घन का किनारा = a है।
माना कि छिद्र की त्रिज्या r और गोलों की त्रिज्या R है।
AB = √AC2 +BC2 = √2a
बिंदु A तथा B पर स्थित गोले एक दुसरे को स्पर्श करते है।
अत: AB = 2R
अर्थात 2R = √2a
या R = a/√2
या
a = √2R
समकोण त्रिभुज ABD के अनुसार –
AD = √AB2 + BD2
= √2a2 + a2
AD = √3a
लेकिन AD = 2r + 2R
अत: 2r + 2R = √3a
या r + R = √3a/2
चूँकि a = √2R
अत: r + R = (√3/2). √2R
हल करने पर –
r/R = 0.225
या
r = 0.225R
चतुष्फलकीय छिद्र के लक्षण –
- छिद्र की त्रिज्या (r) गोले की त्रिज्या (R) की तुलना में बहुत छोटी होती है।
- एक संरचना में कुल चतुष्फलकीय छिद्रों की संख्या गोलों की संख्या की दो गुनी होती है।
- चतुष्फलकीय छिद्र की समन्वयी संख्या (उपसहसंयोजक संख्या) 4 होती है।
- चतुष्फलकीय छिद्र की आकृति चतुष्फलकीय नहीं है बल्कि जिन गोले से छिद्र बनता है , वे चतुष्फलकीय व्यवस्था में स्थित है।
2. अष्टफलकीय छिद्र (octahedral voids or sites)
यह छिद्र छ: गोलों के परस्पर स्पर्श करने से बनता है। इसमें से चार गोले एक समतल में एक दुसरे को स्पर्श करते हुए , इस प्रकार रखे होते है कि उनके केंद्र वर्ग के चारों कोनो पर होते है। इन चारों गोलों के ऊपरी छिद्र पर एक गोला और निचले छिद्र पर एक गोला रखा होता है। प्रत्येक गोले के लिए एक अष्टफलकीय छिद्र होता है।
अष्टफलकीय छिद्र का आकार (r) = 0.414R
यहाँ R गोले की त्रिज्या है।
अष्टफलकीय छिद्र की त्रिज्या (r) तथा गोले की त्रिज्या (R) में सम्बन्ध ज्ञात करना
चित्र में एक अष्टफलक का अनुप्रस्थ काट दर्शाया गया है। यहाँ काला गोला अष्टफलकीय छिद्र को प्रदर्शित करता है। गोलों के केंद्र A , B , C , D एक वर्ग बनाते है। जिसकी प्रत्येक भुजा = a है।
चित्र में –
AC = √AB2 + BC2 = √a2 + a2 = √2a
चूँकि AC = 2r + 2R
अत: 2r + 2R = √2a
चित्र में AB = 2R अथवा a = 2R
अत: 2r + 2R = √2.2R
अथवा r = R(√2-1)
अथवा r/R = 1.414 – 1 = 0.414
अत: r = 0.414R
अष्टफलकीय छिद्रों के लक्षण –
- छिद्र की त्रिज्या (r) , गोले की त्रिज्या (R) की तुलना में कम होती है।
- एक संरचना में कुल अष्टफलकीय छिद्रों की संख्या , गोलों की संख्या के बराबर होती है।
- अष्टफलकीय छिद्र की समन्वयी संख्या 6 होती है।
- अष्टफलकीय छिद्र की आकृति अष्टफलकीय नहीं होती जबकि छ: गोलों (जिनसे अष्टफलकीय छिद्र बनता है) के केन्द्रों को मिलाने पर अष्टफलकीय आकृति बनती है।
उदाहरण : एक घनीय ठोस दो प्रकार के परमाणुओं A तथा B से मिलकर बना है। A घन के कोनों पर और B केंद्र पर उपस्थित है। ठोस का सूत्र बताइए।
हल : परमाणु A घन के 8 कोनों पर उपस्थित है अत: A का एकक कोष्ठिका में योगदान = 8 x 1/8 = 1
केंद्र पर उपस्थित B का योगदान = 1
A तथा B का अनुपात = 1 : 1 अत: ठोस का सूत्र AB है।
उदाहरण : X तथा Y दो तत्वों से मिलकर बने यौगिक के क्रिस्टल की घनीय संरचना में X घन के कोनों और Y सभी 6 फलकों के केंद्र पर उपस्थित है। यौगिक का सूत्र ज्ञात करो।
हल : घन के 8 कोनों पर उपस्थित X का योगदान = 8 x 1/8 = 1
सभी 6 फलकों के केन्द्रों पर उपस्थित Y का योगदान = 6 x 1/2 = 3
अत: X:Y = 1:3 अत: सूत्र XY3 होगा।
उदाहरण : घनीय इकाई सेल A , B तथा C तीन तत्वों से मिलकर बनी है। A कोनों पर , B केंद्र पर तथा C C सभी फलकों के केंद्र पर उपस्थित है। यौगिक का सूत्र लिखिए।
उत्तर : घन के कोनों पर उपस्थित A का योगदान = 8 x 1/8 = 1
घन के केंद्र पर उपस्थित B का योगदान = 1
6 फलकों के केन्द्र पर उपस्थित C का योगदान = 6 x 1/2 = 3
अत: A:B:C = 1 : 1 : 3 अत: सूत्र ABC3 होगा।
उदाहरण : सोडियम का क्रिस्टलन अंत: केन्द्रित घनीय (bcc) जालक में होता है। एक ग्राम सोडियम में एकक कोष्ठिकाओं की संख्या लगभग कितनी होगी गणना कीजिये यदि Na का परमाणु द्रव्यमान 23 u है।
हल : एक मोल सोडियम = 23 ग्राम = 6.02 x 1023 परमाणु
अत: एक ग्राम सोडियम = 6.02 x 1023/23 परमाणु
एक bcc एकक कोष्ठिका में परमाणुओं की संख्या = 1/8 x 8 + 1 = 2
अत: एकक कोष्ठिकाओं की संख्या = 1.31 x 1022
उदाहरण : एक ठोस यौगिक दो तत्वों A एवं B से बना है। B परमाणु ccp व्यवस्था में है जबकि परमाणु A चतुष्फलकीय रिक्तियों में स्थित है। यौगिक का सूत्र ज्ञात कीजिये।
उत्तर : ccp संरचना में परमाणुओं की संख्या = 8 x 1/8 + 6 x 1/2 = 4
अत: B परमाणुओं की संख्या = 4
चतुष्फलकीय रिक्तियों की संख्या = 4 x 2 = 8
अत: A परमाणुओं की संख्या = 8
A : B = 8 : 4
अथवा A:B = 2:1
अत: यौगिक का A2B सूत्र है।
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