मोल अवधारणा , स्टाइकियोमिट्रीक व स्टाइकियोमिट्रीक गुणांक (रासायनिक समीकरण) , पूर्व लग्न

मोल अवधारणा : किसी पदार्थ की वह मात्रा जिसमें उतने ही कण उपस्थित होते है जितने कार्बन के 12 ग्राम में उपस्थित होते है।
मोल के परिवृत करने के विभिन्न तरीके –
1. मोल = दिया गया भार/अणुभार
2. यदि किसी गैस का N. T.P और S.T.P का आयतन दिया गया हो तो –
मोल = दिया गया आयतन (लीटर में)/22.4 लीटर
3. यदि कणों की संख्या दी हुई हो तो –
मोल = कणों की संख्या/NA
जहाँ NA = आवोगाद्रो की संख्या = 6.022140857 × 1023

स्टाइकियोमिट्रीक व स्टाइकियोमिट्रीक गुणांक (रासायनिक समीकरण)

स्टाइकियोमिट्रीक एक ग्रीक शब्द है , यह दो शब्दों से मिलकर बना है स्टाइकियोन + मेट्रोन , इसका अर्थ है तत्व या मापना।
स्टाइकियोमिट्रीक किसी संतुलित रासायनिक समीकरण में भाग लेने वाले क्रियाकारक व उत्पादों के मध्य द्रव्यमान , मोल , आयतन और अणुओं के सन्दर्भ में मात्रात्मक सम्बन्ध बताती है।
संतुलित समीकरण में लिखे गए अंको को स्टाइकियोमिट्रीक कहते है।
ये क्रियाकारक व उत्पाद के मोल को व्यक्त करते है।
उदाहरण : CH4(g)
+ 2O
2 → CO2 (g) + 2H2O (g)
इस अभिक्रिया में CH4 और O2 क्रियाकारक पदार्थ है तथा CO2 और H2O  क्रियाफल (उत्पाद) पदार्थ है , ये सभी गैसीय अवस्था में है। O2  व H2O के लिए स्टाइकियोमिट्रीक गुणांक का मान 2 है और CH4 व  COके लिए स्टाइकियोमिट्रीक गुणांक का मान 1 है।
CH4 का 1 मोल O2 के दो मोल के साथ क्रिया करके CO2 का एक मोल व H2O के दो मोल बनाता है।
CH4 का 1 अणु , O2 के 2 अणुओं के साथ क्रिया करके CO2 का एक अणु और H2O के दो अणु बनाता है।
CH4 के 16 ग्राम ,  O2 के 64 ग्राम के साथ क्रिया करके CO2 के 44 ग्राम तथा H2O के 36 ग्राम बनाते है।
किसी भी गैस का एक मोल का N.T.P पर आयतन 22.4 लीटर होता है , अत: मोल को लीटर में बदलने के लिए 22.4 से गुणा करते है।
किसी भी पदार्थ के एक मोल में अणुओं की संख्या निश्चित होती है इसे आवोगाद्रो संख्या कहते है , जिसका मान 6.022140857 × 1023 होता है इसे NA द्वारा व्यक्त करते है , अत: मोल के स्थान पर 1 अणु भी लिख सकते है।
उदाहरण :
CH4(g)     +     2O2       CO2 (g)    +    2H2O (g)
1
मोल        2 मोल       1 मोल         2 मोल
1
अणु        2 अणु        1 अणु         2 अणु

6.023 × 1023     2 x 6.023 × 1023     6.023 × 1023     2 x  6.023 × 1023

सीमाकारी अभिकर्मक या सीमांत अभिकर्मक

सीमान्त अभिकर्मक क्रियाकारी पदार्थो में से वह पदार्थ होता है जो अभिक्रिया के पूर्णतया संपन्न होने पर पूरी तरह से प्रयुक्त हो जाता है अर्थात सीमांत अभिकर्मक की मात्रा को निर्धारित करती है।
प्रश्न 1 : 3 ग्राम H2 , 29 ग्राम O2 से क्रिया करके H2O का निर्माण करती है।
  • सीमांत अभिकर्मक क्या है ?
  • बनने वाले जल की अधिकतम मात्रा कितनी है ?
  • अभिकारक (क्रियाकारक) अनाभिकृत (शेष) रह जाता है , की मात्रा ज्ञात करो।
उत्तर :
  •  2H2
    +        O2       →        2H2O
2 मोल     1 मोल
2 मोल

4gm      32gm      36 gm

 
4 ग्राम H2 क्रिया करता है = 32 ग्राम O2 से 
1 ग्राम H2 क्रिया करेगा = 32/4 = 8 ग्राम O2 से
व 3 ग्राम H2 क्रिया करेगा = 3 x 8 = 24 ग्राम O2 से
सीमांत अभिकर्मक H2 है क्यूंकि O2 अधिक मात्रा में उपस्थित है। 
  • 4 ग्राम H2 से बनता है = 36 ग्राम H2O
1 ग्राम Hसे बनेगा = 36/4 = 9 ग्राम H2O
3 ग्राम Hसे बनेगा = 3 x 9 = 27 ग्राम H2O
बनने वाला जल ही अधिकतम मात्रा में = 27 ग्राम
  • 4 ग्राम H2 क्रिया करता है = 32 ग्राम O2 से
1 ग्राम H2 क्रिया करेगा = 32/4 = 8 ग्राम O2 से
व 3 ग्राम H2 क्रिया करेगा = 3 x 8 = 24 ग्राम O2 से
अनाभिकृत O2 की मात्रा = 29 – 24 = 5 ग्राम 

SI पद्धति में पूर्व लग्न निम्न है –

नाम
मान
प्रतिक
ऐक्सा
108
E
पेंटा
1015
P
थिरंगा
1012
T
गीगा
109
G
मेगा
106
M
किलो
103
K
हेक्टा
102
H
डेका
101
da
डेसी
10-1
de
सेंटी
10-2
c
मिली
10-3
m
माइक्रो
10-6
u
नैनो
10-9
n
पिको
10-12
P
फम्टो
10-15
F
एटो
10-18
a
जेप्टो
10-21
Z
योक्टो
10-24
y
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