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लेंस की आवर्धन क्षमता का सूत्र क्या है , magnification power of lens in hindi , आवर्धन क्षमता किसे कहते है ?
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यदि पानी की सतह पर प्रकाश क्रांतिक कोण से अधिक कोण पर आपतित किया जाए तो प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन हो जाता है तथा प्रकाश का कोई भी भाग अपवर्तित नहीं होता है।
यदि इस साबुन के जल को एक परखनली में भरकर प्रकाश क्रान्ति कोण से अधिक कोण पर आपतित किया जाता है तो प्रकाश का कई बार पूर्ण आन्तरिक परावर्तन होता है अर्थात प्रकाश एक दिवार से दूसरी और दूसरी से पहली पर परावर्तित होता है।
प्रकृति में पूर्ण आन्तरिक परावर्तन तथा इसके प्रोद्योगिकी अनुप्रयोग
गर्मी के दिनों में रेगिस्तान में यात्री को दूर जलाशय होने का अनुभव होता है परन्तु जब वह वहां पहुँचता है तो उसे वहां पानी नहीं मिलता बल्कि थोड़ी दूरी पर पानी दिखलाई देता है , इस घटना को मरीचिका कहते है।
इसका मुख्य कारण यह है कि दिन में सूर्य की गर्मी के कारण रेगिस्तान की रेत गर्म हो जाती है अत: रेत के सम्पर्क की वायु भी गर्म हो जाती है जबकि ऊपर की वायु अपेक्षाकृत ठंडी रहती है अत: गर्म वायु विरल माध्यम का तथा ठंडी वायु सघन माध्यम का कार्य करती है।
किसी पेड़ से चलने वाली प्रकाश किरणें सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाने के कारण अभिलम्ब से दूर हटती है। जब आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से अधिक हो जाता है तो इन प्रकाश किरणों का पूर्ण आंतरिक परावर्तन हो जाता है तथा ये मुड़कर प्रेक्षक की आँख पर पहुँचती है। इन किरणों को पीछे बढाने पर पेड़ का उल्टा भाग आभासी प्रतिबिम्ब बनता है। साथ ही पेड़ से चलने वाली सीधी प्रकाश किरणें भी आँख पर पहुँचती है अत: सीधा पेड़ भी दिखाई देता है अत: यात्री को उस स्थान पर पानी होने का भ्रम होता है।
हीरा : वायु और हीरे के लिए क्रांतिक कोण 24.4 डिग्री होता है। यदि कोई प्रकाश हीरे के अन्दर प्रवेश करता है तथा प्रकाश का आपतन कोण क्रांतिक कोण से अधिक हो तो प्रकाश का पूर्ण आन्तरिक परावर्तन हो जाता है।
तथा हीरे की दूसरी भुजा पर आपतित होता है , यदि इस भुजा पर भी आपतन कोण क्रांतिक कोण से अधिक हो तो प्रकाश का पुनः पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता है। इस प्रकार बार बार हीरे के अन्दर प्रकाश का बार बार पूर्ण आन्तरिक परावर्तन होता है। इसी प्रकार हिरा चमकीला दिखाई देता है।
प्रिज्म : प्रिज्म की सहायता से प्रकाश को 90 डिग्री या 180 डिग्री के कोण पर मोड़ा जा सकता है , फिल्ट काँच के लिए क्रांतिक कोण लगभग 37 तथा क्राउन कांच प्रिज्म में एक कोण 90 डिग्री तथा शेष दो कोण 45 , 45 डिग्री के होते है।
जब प्रकाश प्रिज्म की किसी एक भुजा पर आपतित किया जाता है तो आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से अधिक होता है अत: प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता है।
प्रकाशिक तन्तु : प्रकाशीय तंतु कांच या पार्ट्स के बनाये जाते है। यह एक काँच का पतला बेलन होता है। इसके अन्दर के भाग को क्रोड़ या बाहर के भाग को आच्छद क्लेंडिंग कहते है। क्रोड़ का अपवर्तनांक n1 क्लेडिंग के अपवर्तनांक n2 से अधिक होता है।
अत: क्रोड़ सघन माध्यम का तथा क्लेडिंग विरल माध्यम का कार्य करता है।
कार्यप्रणाली : जब प्रकाश प्रकाशिक तन्तु के एक सिरे पर क्रांतिक कोण से अधिक कोण पर आपतित किया जाता है तो प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन हो जाता है। जहाँ से ये सामने वाली दिवार पर आपतित होता है तथा इसका पुनः पूर्ण आन्तरिक परावर्तन हो जाता है। इस प्रकार कई बार पूर्ण आंतरिक परावर्तन के पश्चात् प्रकाश किरण दुसरे भाग से बाहर निकल जाती है।
विद्युतीय संकेतो को ट्रांस्ड्यूसर्स की सहायता से प्रकाशीय संकेतो में बदला जाता है। यह प्रकाशीय संकेत प्रकाश तन्तु की सहायता से प्रेसी से अपग्राही तक पहुँच जाती है।
चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में प्रकाशीय तन्तु की सहायता से आमाशय , ग्रसिका , आंत्र आदि का अवलोकन किया जा सकता है।
लैंस से अपवर्तन के नियम
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