सिंचाई व पेयजल परियोजना , राजस्थान की प्रमुख सिंचाई परियोजना pdf , बहुउद्देशीय परियोजनाएं

सिंचाई व पेयजल परियोजना (Irrigation and Drinking water project in hindi) :

  1. बहुउद्देश्य – 10000 से अधिक।
  2. वृहत – 10000
  3. मध्यम – 2000 से 10000 तक।
  4. लघु – 2000 से कम।
  5. बहुउद्देशय:
  6. भाखड़ा नांगल : पंजाब , हरियाणा , राजस्थान – सिंचाई हेतु है। 15.22%
  7. आस परियोजना : पंजाब , हरियाणा , राजस्थान।

प्रश्न : राजस्थान में जो इंदिरा गांधी नहर है , वह कहाँ से निकाली गयी है और इसका पहले नाम क्या था ?

उत्तर : हरिके वैशज से निकाली गयी है , इसका पहले नाम राजस्थान नहर था।

  1. चम्बल परियोजना :
  2. शाही बजाज सागर : यह जो सतलज नहीं है हिमाचल प्रदेश में , पर इससे जो बाघ बना है।  उस वाघ से जो नहरे निकलती है वह पंजाब हरियाणा और राजस्थान को सिंचाई करने में सहायक होती है।

जो माहि बजाज सागर है वह बाँसवाड़ा में है जिसमे राजस्थान व गुजरात का आधा-आधा हिस्सा है जिसमे राजस्थान 45% है।  वह गुजरात का 55% में है इसमें वाघ बना है कनाडा में है।

  1. सिद्ध मुख : नौहर सिंचाई

हनुमान नौहर भादरा

चुरू-राजगढ़

  1. इंदिरा गांधी नहर: हरिके वैराज (सतलज + व्यास)
  2. हसैनीवाला से शिवपुर तक गंगानगर :

चम्बल संयुक्त परियोजना – राजस्थान – 50 मध्यप्रदेश 150

चम्बल नदी में चार बाँध है।

गांधी सागर – 1950 MP

कोटा बैराज – 1960

दुसरे चरण :

राणा खुताफ सागर – 1970

जवाहर सागर – 1972

लिफ्ट नहर जिले बनवाया उनके नाम
निहर 4 कुम्भाराम
लूवकरणसर 2 कवर
गजनेर 2 पन्ना/वरुपात
बीकानेर 1 वागठारुर
कोलायत 2 करणीदान
फलौदी 3 गुरुणयमश्वर
पीकरण 2 जयनारायण

 

इन्दिरा गांधी नहर :

जनता जल परियोजना : जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा शुरू की गयी एक पेयजल परियोजना है।

पेयजल परियोजना : राजीव गांधी लिफ्ट नहर

बाकला नदी पर बाघ बनाया गया फिर उसे पिछला झील से जोड़ा गया।

देवास द्वितीय परियोजना नाम है।

जुलाई 2016 में मुख्यमंत्री जल :

स्वावलंबन योजना : प्रारंभ बारां व झालावाड जिले से शुभ आरम्भ किया गया।  इसकी प्रबंधन की योजना पंचायतो को NGO (गैर सरकारी संगठन) सवचिक समूह वार्ड पंच सरपंच के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में वर्षा जल संचय पारम्परिक जल स्रोतों को पुनः उदार करवाना जल सवलभन परियोजना है।

राजस्थान में खनिज एवं उद्योग :

धात्विक : आघातवर्धता , तन्यता अयस्क , लौहा , मैगनीज , ताम्बा , सीसा , जस्ता , चांदी , सोना , टंग्सटन।

अधात्विक : भंगुरता , इसका सीधा इस्तेमाल करते है।

इमारती पत्थर ग्रेफाईट , संगमरमर , ग्रेनाईट , जिप्सम , डोनोमाईट , रॉकफास्फेट , फेस्पर , फ्लोराइट , एसकसेटर मगरा अभ्रक।

ऊर्जा युक्त :

कार्बनिक – खनिज तेल , कार्बन , प्राकृतिक गैस

आण्विक : युरेशियम , थोरियम , वोरेलियम , लिथियम , मोनोपोइट।

प्रश्न : राजस्थान के धात्विक खनिजो का विस्तृत वर्णन कीजिये।

उत्तर : धात्विक : इन खनिजो में अयस्को से रासायनिक प्रक्रिया द्वारा मूल खनिज अलग किये जाते है।

राजस्थान में मुख्य धात्विक खनिज –

  1. ताम्बा
  2. सीसा जस्ता
  3. टंग्सटन
  4. चांदी
  1. तांबा: यह अलौहा धातुओ में सबसे महत्वपूर्ण है। यह अधिकतर आग्नेय व कायांतरित चट्टानों की नसों पाया जाता है।

ताम्बे की खाने राजस्थान में कई स्थानों पर पायी जाती है लेकिन झुंझुनू जिले में खेतड़ी सिंघाना , जयपुर में नीम का थाना , अलवर जिले खो-दरीबा खान महत्वपूर्ण है।  ताम्बे की अन्य खाने पूर-आँगुचा व गुलाबपुरा (भीलवाडा) देबारी , सलूम्बर , रेलमगरा (उदयपुर) व विदासर (चुरू) महत्वपूर्ण है।

  1. सीसा जस्ता: यह मिश्रित अयस्क गैलेना में मिलता है।  इसके अलावा कैलेमीन , जिंकाइट विमेलाइट मुख्य अयस्क है। राजस्थान में सीसा जस्ता के निक्षेप अर्कियन व प्रोटोजोइक काल की चट्टानो में मिलते है।  उदयपुर में जावर , राजसमन्द में राजपुरा दरीबा तथा भीलवाडा में रामपुरा आंगुचा गुलाबपुर प्रमुख स्रोत है।  अन्य क्षेत्रो में सवाई माधोपुर में चौथ का बरवाडा व अलवर में गुण किशोरीदास प्रमुख है।
  2. टंगस्टन: टंगस्टन वुलफ्रेमाईट अयस्क से प्राप्त होता है।  यह मुख्यतः ग्रेनाईट एवं पेग्माईट चट्टानों के साथ पाए जाते है। राजस्थान में टंगस्टन का मुख्य जमाव नागौर जिले के डेगाना के रेवत व भाकरी सिरोही जिले के वाल्दा क्षेत्र में पाया जाता है इसके अतिरिक्त डूंगरपुर जिले के अमरतिया उदयपुर जिले के कुण , पाली जिले के बराठीयाँ व अजमेर जिले के लादेरा साकुण क्षेत्रो में भी टंगस्टन के जमाव पाए जाते है।
  3. चाँदी: चांदी का उत्पादन सीसा व जस्ता के साथ मिश्रित धातु के रूप में होता है।  राजस्थान में चांदी उत्पादन क्षेत्र उदयपुर के पास की सीसा जस्ता की खाने व जावर माला की पहाड़ियां है।  हिदुस्तान जिंक स्मैल्टर में सीसा जस्ता के मिश्रण से चांदी को निकाला जाता है।