कार्बधात्विक यौगिकों के प्रकार या वर्गीकरण (types of organometallic compounds in hindi) : प्रकृति के आधार पर कार्बधात्विक यौगिक को निम्न 4 भागों में बांटा जाता है।
1. आयनिक यौगिक
2.सहसंयोजक यौगिक
3.electron न्यून यौगिक
4. विस्थानीकृत यौगिक
1. आयनिक यौगिक
2.सहसंयोजक यौगिक
3.electron न्यून यौगिक
4. विस्थानीकृत यौगिक
1. आयनिक यौगिक (ionic compounds )
उच्च धन विद्युती तत्व जिनकी विद्युत ऋणता 1.2 से कम होतीहै, आयनिक कार्बधात्विक यौगिक बनाते है।
इन यौगिकों में धातु एवं कार्बनिक समूह के मध्य आयनिक बंध होता है।
उदाहरण : एथिल सोडियम (C2H5Na) ,मैथिल लिथियम (CH3Li) , डाई एथिल मैग्नीशियम ((C2H5)2Mg)
आयनिक यौगिक के लक्षण :-
1. आयनिक कार्बधात्विक यौगिक कार्बनिक विलायको जैसे बेंजीन , इथर आदि में अविलेय होते है।
2.ये ध्रुवीय विलायको जैसे जल आदि में विलेय होते है।
3.इनके विलयन में विद्युत धारा का प्रवाह होता है।
उदाहरण : C2H5Na का विलयन C2H5– एवं Na+ आयनों के कारण विद्युत का चालक होता है।
4. ये प्रतिस्थापन Rxn प्रदर्शित करते है।
नोट : आयनिक कार्बधात्विक यौगिकों का स्थायित्व ऋणायन कार्बनिक समूह के स्थायित्व पर निर्भर करता है।
जैसे : C2H5Na व (C5H5)2Mg में से (C5H5)2Mg अधिक स्थायी होता है क्योंकि इसमें कार्बनिक समूह साइकलो पेंटा डाइनिल ऋणायन (C5H5–) होता है जो अनुनाद के द्वारा स्थायी होता है।
इस कारण (C5H5)2Mg अधिक स्थायी होता है।
2.सहसंयोजक यौगिक
वे धात्विक एवं अधात्विक तत्व जिनकी विद्युत ऋणता 1.5 से 2.5 के मध्य होती है 2.सहसंयोजक यौगिक बनाते है।
इस प्रकार के तत्व कार्बनिक समूह के साथ electron के साँझा करके सहसंयोजक बंध बनाते है।
जैसे Li , Be, Al , B , Si आदि तत्व इस प्रकार के यौगिक बनाते है।
इन यौगिकों की ज्यामिति धातु परमाणु की संकरण अवस्था पर निर्भर करती है।
संकरण
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ज्यामिति
|
SP
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रेखीय
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SP2
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समतल त्रिकोणीय
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SP3
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चतुष्फलकीय
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dSp2
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वर्ग समतलीय
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dsp3
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त्रिकोणीय द्विपिरेमिडी
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d2sp3
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अष्ट फलकीय
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नोट : धातु कर्बोनिल यौगिक ,सहसंयोजक यौगिक , सहसंयोजक कार्बधात्विक यौगिकों का उदाहरण है।