हैलोजन विनिमय विधि :
- फिंकेल्स्टाइन अभिक्रिया (Finkelstein reaction):
जब एल्किल क्लोराइड या ब्रोमाइड की क्रिया NaI से की जाती है तो एल्किल आयोडाइड बनते है।
R-X + NaI → R-I + NaX
- स्वार्ट्स अभिक्रिया (Swarts Reaction):
जब R-Cl अथवा R-Br की क्रिया AgF से की जाती है तो एल्किल फ्लोराइड बनते है।
R-X + AgF → R-F + AgX
एल्किन पर HX की क्रिया से एल्किल हैलाइड बनते है।
CH2=CH2 + HCl → CH3-CH2-Cl
नोट : असम्मित एल्कीन की क्रिया ध्रुवीय पदार्थ से करने पर ध्रुवीय पदार्थ का ऋण भाग द्विबंध से जुड़े उस कार्बन पर जाता है जिस पर हाइड्रोजन की संख्या कम होती है इसे मार्कोनी कॉफ का नियम कहते है।
नोट : जब असममित एल्कीन की क्रिया परॉक्साइड की उपस्थिति में HBr से की जाती है तो क्रिया मारकोनी कॉफ नियम के विपरीत होती है।
CH3-CH=CH2 + HBr (peroxide)→ CH3-CH2-CH2-Br
भौतिक गुण (physical properties):
A . गलनांक व क्वथनांक :
अणुभार बढ़ने के साथ साथ गलनांक तथा क्वथनांक बढ़ते जाते है
क्वथनांक का बढ़ता क्रम
उदाहरण –
CH3-F < CH3-Cl < CH3-Br < CH3-I
CH3-Cl < CH3-CH2-Cl < CH3-CH2-CH2-Cl
नोट : समावयवी हैलाइड में वह हैलाइड जो जितना ज़्यादा शाखित होता है उसका क्वथनांक उतना ही कम होता है क्योंकि अधिक शाखित होने पर अणु गोलिय रूप ग्रहण कर लेते है , गोलीय रूप का पृष्ठीय क्षेत्रफल सबसे कम होता है , पृष्ठीय क्षेत्रफल कम होने पर अणुओ के मध्य आकर्षण बल कम हो जाता है जिससे क्वथनांक कम हो जाता है।
नोट : o , m , p डाई क्लोरोबेंजीन में से p -डाई क्लोरोबेंजीन का गलनांक सबसे अधिक होता है , क्योंकि p -डाई क्लोरो बेंजीन सममित अणु है जिससे क्रिस्टल जालक में इसके अणु अच्छी तरह से समायोजित हो जाते है अतः गलनांक अधिक हो जाता है।
B . घनत्व :
अणुभार बढ़ने के साथ साथ घनत्व बढ़ते जाते है।
R-F < R-Cl < R-Br < R-I
C . विलेयता :
एल्किल हैलाइड जल में विलेय होते है।
- ये जल के साथ हाइड्रोजन बंध नहीं बनाते।
- इनके अणुओं में इतनी सामर्थ्य नहीं होती की ये जल के अणुओं के मध्य बनने वाले हाइड्रोजन बंध को तोड़ सके।
रासायनिक गुण :
- जलीय KOH से क्रिया
ये जलीय KOH से क्रिया करके एल्कोहल बनाते है।
CH3-CH2-Cl + aq KOH → CH3-CH2-OH + KCl
R-X + aq KOH → R-OH + KX
- एल्कोहली KOH से क्रिया करने पर एल्कीन बनती है।
CH3-CH2-CH2-Cl + alc. KOH → CH3-CH=CH2 + KCl + H2O