धनावेशित (positive) ऋणावेशित (negative) कोलॉइडी कणों पर आवेश colloid charge in hindi
- कोलॉइडी कणों पर आवेश :
समस्त कोलॉइडी कणों पर एक जैसा आवेश होता है ये एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते है जिससे ये परिक्षेपण माध्यम में वितरित रहते है।
आवेश की उपस्थिति के कारण :
- अवक्षेप के कण अपनी सतह पर उभयनिष्ठ आयनों का अधिशोषण कर लेते है इस कारण ये आवेशित हो जाते है।
- परिक्षेपण विधि में धातुएं इलेक्ट्रॉन को ग्रहण कर लेती है जिससे धातुओं के ऋणावेशित सॉल बनते है।
उदारण :
- जब AgNO3 (सिल्वर नाइट्रेट ) के विलयन में बून्द बून्द करके KI का विलयन मिलाते है तो AgI (अवक्षेप) के कण अपनी सतह पर विलयन में उपस्थित Ag+ आयनों का अधिशोषण कर लेते है जिससे धनावेशित सॉल बनता है। AgI / Ag+
- जब KI के विलयन में बून्द बून्द करके AgNO3 (सिल्वर नाइट्रेट ) का विलयन मिलाते है तो AgI के कण अपनी सतह पर I– (आयोडाइड) आयनो का अधिशोषण कर लेते है जिससे ऋणावेशित सॉल बनता है। AgI/ I–
नोट : हैमहॉल्टस के अनुसार अवक्षेप की सतह पर उभयनिष्ठ आयनों अधिशोषण से जो परत बनती है उसे प्राथमिक परत कहते है। यह परत स्थायी रूप से जुडी रहती है अतः इसे स्थायी परत भी कहते है इस परत के चारो ओर विपरीत आवेशित आयनों की दूसरी परत होती है यह परत अस्थाई रूप से जुडी होती है इसे विसरित परत भी कहते है।
स्थायी परत व विसरित परत के मध्य उत्पन्न विभव को जीटा विभव कहते है।
धनावेशित | ऋणावेशित |
1. जल योजित ऑक्साइड
Fe2O3 . H2O Al2O3 . H2O Cr2 O3 . H2O |
धातु के सॉल तथा धातु के सल्फाइड जैसे
As2S3 Sb2S3 COS |
2. क्षारीय रंजक मेथिलीन ब्लू | अम्लीय रंजक इओसिन , कोगोरेड |
3. हीमोग्लोबिन | स्टार्च , जिलेटिन , , मृतिका |