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क्लोनिंग स्थल (Cloning rites) , जीन क्लोनिंग हेतु संवाहक (vector for gene cloning) , PCR (polymerase chain reaction)
PBR322 नामक प्लाज्मिड में टेट्रासाइक्लिन प्रतिरोधी (tet R) एवं एपिसिलिन प्रतिरोधी (amp R) जीन होते है।
इनमे से अगर टेट्रासाइक्लिन प्रतिरोधी (tet R) जीन के प्रतिबंधन स्थल पर कोई विजातीय DNA जोड़ा जाता है तो टेट्रासाइक्लिन के प्रति प्रतिरोध समाप्त हो जाता है।
ऐसे पुनर्योगज प्लाज्मिड युक्त रूपांतरजो (जीवाणुओं) को एंपीसिलिन युक्त माध्यम पर स्थानांतरित करने पर वर्धन प्रदर्शित करते है।
ये रूपान्तरज टेट्रासाइक्लीन युक्त माध्यम पर वृद्धि नहीं करते क्योंकि विजातीय डीएनए के निवेशन से टेट्रासाइक्लिन प्रतिरोधी जीन निष्क्रिय हो जाता है।
इस प्रकार रूपान्तरजो और पुनर्योगजो का चुनाव किया जा सकता है।
प्रतिजैविको के निष्क्रिय होने पर पुनर्योगजो का चयन नहीं हो पाटा।
अत: वैकल्पिक वरण योग्य चिन्हको का विकास हुआ।
ये चिन्हक क्रोमोजैनिक (वर्णोंकोत्पादकी) पदार्थ की उपस्थिति में रंग उत्पन्न करते है।
यदि B-गैलेक्टोसाइडेज जीन युक्त प्लाज्मिड जीवाणु कोशिका में होती है तो क्रोमो जेनिक पदार्थ की उपस्थिति में नीले रंग की कोलोनी बनती है।
पुनर्योगज प्लाज्मिड में B-गलेक्टोसाइडेज जीन वाले खंड को हटाकर जब वांछित खंड जोड़ा जाता है तो ऐसे पुनर्योगज प्लाज्मिड वाली जीवाणु कॉलोनी में कोई रंग उत्पन्न नहीं होता इन्हें पुनर्योगज कॉलोनी के रूप में पहचाना जा सकता है। पुनर्योगज प्लाज्मिड में B-गैलेक्टोसाइडेजएंजाइम पौधों एवं जन्तुओ में निष्क्रिय हो जाता है जिसे निवेशी निष्क्रियता कहते है।
4. जीन क्लोनिंग हेतु संवाहक (vector for gene cloning) : कुछ जीवाणुओं एवं विषाणुओं द्वारा यूकेरियोटिक कोशिकाओ में जीन स्थानान्तरण किया जाता है।
एग्रोबैक्टीरियम ट्यूमीफेसिपन्स जीवाणु कई द्विबीजपत्री पादपो में रोग उत्पन्न करता है। यह डीएनए के एक खंड जिसे टी-डीएनए कहते है को सामान्य पादप कोशिका में स्थानांतरित कर उन्हें अर्बुद्ध (ट्यूमर) कोशिकाओ में रूपांतरित करता है। ये अर्बुद्ध कोशिकाएँ इस जीवाणु के लिए आवश्यक रसायन बनाती है।
ठीक इसी तरह –
पश्च विषाणु सामान्य जंतु कोशिकाओ को कैंसर कोशिकाओ में रूपान्तरित कर देते है।
इन रोगजनको का उपयोग वांछित जीन स्थानान्तरण के लिए वाहक के रूप में किया जाता है।
जैसे एग्रोबैक्टीरियम ट्यूमीफेसियन्स की TI (ट्यूमर इन्क्लुडिंग) प्लाज्मिड को क्लोनिंग वाहक के रूप में रूपांतरित किया गया है। अब यह रूपान्तरित प्लाज्मिड पादपों में रोग उत्पन्न नहीं करती बल्कि वांछित जीनो को विभिन्न पादपो में स्थानान्तरण के लिए काम में लायी जाती है।
इसी प्रकार पश्च विषाणु को भी अहानिकारक बनाकर वाहक के रूप में काम में लाया जाता है।
5. सक्षम परपोषी जीव (पुर्नयोगज डीएनए के साथ रूपान्तरण हेतु ) : पुनयोगज DNA को जीवाणु कोशिका (परपोषी) में प्रवेश कराने से पहले जीवाणु कोशिका को द्विसंयोजन धनायन (डाइबैलेंट धनायन) जैसे Ca++ की विशिष्ट सांद्रता से संसाधित किया जाता है।
जीवाणु कोशिकाओ की कोशिका भित्ति में स्थित छिद्रों में डीएनए प्रवेश कर जाता है।
ऐसी जीवाणु कोशिकाओ को बर्फ पर रखकर इसमें पुनर्योगज डीएनए को बल पूर्वक प्रवेश कराते है।
इसके बाद कुछ समय के लिए इन्हें 42 डिग्री सेल्सियस पर रखकर पुनः बर्फ पर रखा जाता है। इससे पुनर्योगज डीएनए जीवाणु कोशिका में प्रवेश कर जाता है।
परपोषी कोशिका में पुनर्योगज डीएनए को प्रवेश कराने की कुछ अन्य विधियाँ –
(i) सूक्ष्म अन्त: क्षेपण (microinjection) : इस विधि में पुनर्योगज डीएनए को सीधे ही जंतु कोशिका के केन्द्रक में प्रवेश करा दिया जाता है।
(ii) जीनगन या बायोलिस्टिक (gene gun or biolistics) : इस विधि में डीएनए से आवृत सोने या टंगस्टन के सूक्ष्म कणों को पादप कोशिका में उच्च वेग के साथ प्रवेश कराया जाता है।
(iii) हानिरहित रोगजनक वाहक (harmless pathogen vector) : ये परपोषी कोशिका को रोगग्रस्त नहीं करते बल्कि पुनर्योगज डीएनए को परपोषी में स्थानांतरित करते है।
पुनर्योगज DNA तकनीक के प्रक्रम (process of recombinant dna technology)
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