Be का असंगत व्यवहार तथा Al के साथ विकर्ण सम्बन्ध : क्षारीय मृदा धातुओं का प्रथम सदस्य Be अपने वर्ग की अन्य धातुओं से भिन्न गुण प्रदर्शित करता है। इसके निम्नलिखित कारण है –
- इसके परमाणु व आयन का आकार अत्यधिक छोटा होता है।
- इसकी उच्च आयनन एन्थैल्पी होती है।
- इसके संयोजकता कोश में d कक्षकों की अनुपस्थिति होती है।
Be अपने वर्ग की अन्य धातुओं से भिन्नता प्रदर्शित करता है जबकि विकर्ण स्थिति पर स्थित Al से निम्न गुणों में समानता प्रदर्शित करता है।
1. बेरेलियम (Be) में परमाणु आकार छोटा तथा आवेश घनत्व अधिक होने के कारण सहसंयोजक बंध बनाने की प्रबल प्रवृति होती है इसलिए इसके यौगिको के गलनांक बहुत कम होते है।
Al (एल्युमिनियम) हैलाइड की तरह Be के सभी हैलाइड कार्बनिक विलायको में घुलनशील होते है तथा आसानी से जल अपघटित हो जाते है , जबकि वर्ग II की अन्य धातुएं सामान्यतया आयनिक यौगिक बनाते है।
2. BaCl2 व AlCl3 दोनों ही प्रबल लुईस अम्ल की तरह व्यवहार करते है।
3. BeH2 , AlH3 के समान इलेक्ट्रॉन न्यून तथा बहुलकी होता है एवं बहुकेंद्री सेतु बंध बनाता है जबकि अन्य क्षारीय मृदा धातु ये गुण नहीं दर्शाते है।
4. BeCl2 व AlCl3 दोनों ही वाष्प अवस्था में द्विलकी सेतु क्लोराइड संरचना बनाते है।
5. समान ध्रुवण क्षमता होने के कारण Be व Al कई संकुल बनाते है जबकि अन्य क्षारीय मृदा धातु इस प्रकार के संकुल नहीं बनाते है।
6. Be के ऑक्साइड तथा हाइड्रोक्साइड Al के समान स्वभाव से उभयधर्मी होते है।
BeO + 2HCl → BeCl2 + H2O
BeO + 2NaOH → Na2BeO2 + H2O
Al2O3 + 6HCl → 2AlCl3 + 3H2O
Al2O3 + 2NaOH → 2NaAlO2 + H2O
जबकि अन्य क्षारीय मृदा धातु ऑक्साइड क्षारीय होते है।
7. Be (बेरेलियम) के लवण Al (एल्यूमिनियम) की तरह आसानी से जल अपघटित हो जाते है तथा जलीय विलयन में हाईड्रेड बनाते है।
8. Be के कार्बाइड सहसंयोजक होते है जबकि अन्य क्षारीय मृदा धातुओं के कार्बाइड आयनिक होते है।
Be कार्बाइड Al कार्बाइड के समान जल क्रिया करके मैथैन गैस देता है।
Be2C + 2H2O → 2Be(OH)2 + CH4
Al4C3 + 12H2O → 4Al(OH)3 + 3CH4
जबकि अन्य क्षारीय मृदा कार्बाइड जल से क्रिया करके एसिटीलिन गैस देते है।
CaC2 + 2H2O → Ca(OH)2 + HC≡CH
उपयोग :
- Be का उपयोग मिश्र धातु निर्माण में किया जाता है , मिश्र धातु उच्च सामर्थ्य की spring बनाने के काम आती है।
- mg-Al मिश्र धातु हल्की होने के कारण वायुयान निर्माण में प्रयुक्त होती है।
- mg का उपयोग ग्रान्यार अभिकर्मक के रूप में किया जाता है।
- Mg(OH)2 व mgCO3 का उपयोग टूथ पेस्ट बनाने में किया जाता है।
- मिल्क ऑफ़ मैग्नीशियम का उपयोग पेट की गडबडी को दूर करने में किया जाता है।
- रेडियम कैंसर के उपचार में रेडियो थैरपी के रूप में काम में आते है।
Ca (कैल्सियम) के मुख्य यौगिक
1. कैल्शियम ऑक्साइड (CaO) : CaO को बिना बुझा हुआ चूना भी कहते है। जब CaCO3 (चूने का पत्थर) को 1070-1270 K ताप पर गर्म किया जाता है तो CaO प्राप्त होता है।
CaCO3 → CaO + CO2
यह अभिक्रिया उत्क्रमणीय होती है अत: कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) को अभिक्रिया हटाते जाते है।
अभिक्रिया का ताप 1270K से अधिक नहीं होना चाहिए क्योंकि चूने के पत्थर में अशुद्धि के रूप में सिलिका (SiO2) उपस्थित होता है तथा यह सिलिका , CaO से क्रिया करके CaSiO3 बनाता है।
CaO + SiO2 → CaSiO3
गुण :
- यह श्वेत , अक्रिस्टलीय ठोस है।
- ऑक्सी-हाइड्रोज्वाला में गर्म करने पर यह श्वेत चमकीला प्रकाश उत्सर्जित करता है जिसे लाइम प्रकाश कहते है।
- वायुमण्डल में खुला छोड़ने पर यह नमी युक्त कार्बन डाई ऑक्साइड को अवशोषित कर लेता है।
CaO + H2O → Ca(OH)2
CaO + CO2 → CaCO3
- यह कठोर पिण्ड के रूप में प्राप्त होता है। सिमित मात्रा में जल मिलाने पर चूने के पिण्डक टूट जाते है तथा इस प्रक्रिया में बुझने की आवाज आती है व अधिक मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न होती है। यह ऊष्मा जल को वाष्प में बदल देती है , इस प्रक्रिया को चूना बुझाने की क्रिया कहते है तथा इस प्रक्रिया में प्राप्त पाउडर को बुझा हुआ चूना कहते है।
CaO + H2O → Ca(OH)2
- जब बिना बुझे चूने को NaOH के साथ बुझाया जाता है तो सोडा लाइम प्राप्त होता है। NaOH + CaO के मिश्रण को सोडा लाइम कहते है।
- CaO एक क्षारीय ऑक्साइड है अत: यह अम्ल व अम्लीय ऑक्साइड से उच्च ताप पर क्रिया करके लवण बनाता है।
CaO + 2HCl → CaCl2 + H2O
CaO + SiO2 → CaSiO3
CaO + SO2 → CaSO3
CaO + P4O10 → 2Ca3(PO4)3
- जब CaO को अमोनियम लवणों के साथ गर्म किया जाता है तो अमोनिया गैस प्राप्त होती है।
CaO + 2NH4Cl → CaCl2 + 2NH3 + H2O
- जब CaO को कोक (C) के साथ विद्युत भट्टी में 2273-3273K ताप पर गर्म किया जाता है तो कैल्शियम कार्बाइड प्राप्त होता है।
CaO + 3C → CaC2 + CO
उपयोग :
- भवन निर्माण में।
- शर्करा के शुद्धिकरण में।
- रंजको के निर्माण में।
- यह प्राथमिक पदार्थ के रूप में बहुत महत्वपूर्ण होता है तथा क्षारों से सस्ता होता है।
- सीमेंट , ग्लास , NaCO3 के निर्माण में।
2. कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3)
CaCO3 को लाइम स्टोन भी कहते है , यह प्रकृति में चोक , संगमरमर , डोलोमाईट के रूप में पाया जाता है। CaCO3 + MgCO3 के मिश्रण को डोलोमाइट कहते है।
जब बुझे हुए चूने पर कार्बन डाई ऑक्साइड प्रवाहित की जाती है तो CaCO3 प्राप्त होता है।
Ca(OH)2 + CO2 → CaCO3 + H2O
गुण :
जब बुझे हुए चूने पर कार्बन डाई ऑक्साइड प्रवाहित की जाती है तो CaCO3 प्राप्त होता है।
Ca(OH)2 + CO2 → CaCO3 + H2O
गुण :
- यह श्वेत पाउडर होता है जो जल में लगभग अविलेय रहता है।
- जब CaCO3 को 1070-1270 K ताप पर गर्म किया जाता है तो CaO व कार्बन डाई ऑक्साइड प्राप्त होता है।
CaCO3 → CaO + CO2
- यह तनु अम्लो से क्रिया कर कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) मुक्त करता है।
CaCO3 + 2HCl → CaCl2 + H2O +CO2
CaCO3 + H2SO4 → CaSO4 + H2O + CO2
उपयोग :
- भवन निर्माण में।
- इससे उच्च गुणवत्ता वाले कागज का निर्माण किया जाता है।
- धातु के निष्कर्षण में गालक के रूप में।
- टूथ पेस्ट , चिंगम तथा सौन्दर्य प्रसादन में।
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