वर्ग II (2) धातु (क्षारीय मृदा धातु) , क्षारीय मृदा धातुओं के रासायनिक गुण , भौतिक गुण , ऑक्सो अम्लों के लवण 

वर्ग II धातु (क्षारीय मृदा धातु) :दुसरे वर्ग के तत्वों को क्षारीय मृदा धातुएं कहते है तथा इनका बाह्यतम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns2 होता है।

परमाणु क्रमांक
प्रतिक
नाम
इलेक्ट्रॉनिक
विन्यास
4
Be
बेरेलियम
2[He] 2s2
12
mg
मैग्नीशियम
10[Ne] 3s2
20
Ca
कैल्शियम
18[Ar] 4s2
38
Sr
स्ट्रांसियस
36[Kr] 5s2
56
Ba
बेरियम
54[Xe] 6s2
88
Ra
रेडियम
86[Rn] 7s2
1. परमाणु तथा आयनिक त्रिज्या : क्षारीय मृदा धातुओं की परमाणु तथा आयनिक त्रिज्याएँ अपने आवर्त में बड़ी होती है।  परन्तु क्षार धातुओं से छोटी होती है क्योंकि नाभिकीय आवेश बढ़ता जाता है।
वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु तथा आयनिक त्रिज्या का मान बढ़ता जाता है।
प्रत्येक आवर्त में कृमिक रूप से एक कोश बढ़ता जाता है , परिरक्षण प्रभाव बढ़ता जाता है।
2. घनत्व : क्षारियों धातुओं की तुलना में क्षारीय मृदा धातुएं सघन व कठोर होती है।  इन धातुओं के घनत्व Be से Ca तक घटते है तथा Ca से Ba तक बढ़ते है।
3. गलनांकक्वथनांक : क्षारीय धातुओं की तुलना में क्षारीय मृदा धातुओं के गलनांक व क्वथनांक अपने छोटे आकार तथा अधिक निबिड़ संकुलित संरचना के कारण उच्च होता है।
4. आयनन एन्थैल्पी : क्षारीय मृदा धातुओं के परमाणुओं के बड़े आकार के कारण इनकी आयनन एन्थैल्पी का मान कम होता है परन्तु क्षारीय धातुओं की तुलना में कम होता है।
5. ज्वाला परिरक्षण : क्षारीय धातुओं के समान क्षारीय मृदा धातुएं भी ज्वाला को अभिलाक्षणिक रंग प्रदान करते है।
Ca = इंट जैसा लाल
Sr = किरमजी लाल
Ba = सेव जैसा हरा
नोट : Be तथा Mg अपने छोटे आकार तथा उच्च आयनन एन्थैल्पी के कारण ज्वाला को कोई रंग प्रदान नहीं करते है।

क्षारीय मृदा धातुओं के रासायनिक गुण

1. जल के साथ क्रियाशीलता : ये जल के साथ क्रिया करके हाइड्रोक्साइड का निर्माण करते है।
M + 2H2O → M(OH)2 + H2
यहाँ M = Mg , Ca , Sr , Ba

Example : Mg + 2H2O → Mg(OH)2 + H2

नोट : Be का इलेक्ट्रॉड विभव कम ऋणात्मक होने के कारण यह क्षारीय मृदा धातुओं में सबसे कम विद्युत धनी तत्व है अत: Be जल में क्रिया नहीं करता है।
वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर क्षारीय प्रवृति बढती जाती है क्योंकि आयनन एन्थैल्पी कम होती है तथा आयनिक त्रिज्या बढती है अत: m-o बंध कमजोर हो जाता है व आसानी से टूट जाता है।
क्षारीय गुणों का बढ़ता क्रम निम्न होता है –
Ba(OH)2 > Sr(OH)2 > Ca(OH)2 > mg(OH)2
2. डाई ऑक्सीजन के साथ क्रिया : क्षारीय मृदा धातुएं डाई ऑक्सीजन से क्रिया करके ऑक्साइड बनाती है।
2M + O2 → 2MO
यहाँ M = Be , Mg , Ca , Sr , Ba

Example : 2mg + O2 → 2MgO

नोट : Be , Mg तथा Ca मोनो ऑक्साइड बनाते है जबकि Sr तथा Be प्रोक्साइड बनाते है।  इन धातुओं का आकार छोटा होने के कारण इनमें क्षारीय धातुओं के समान सुपर ऑक्साइड बनाने की प्रकृति नहीं पायी जाती है।
3. डाई हाइड्रोजन के साथ क्रिया :  Be के अलावा सभी क्षारीय मृदा धातुएं डाई हाइड्रोजन के साथ क्रिया करके धातु हाईड्राइड बनाती है।
M + H2 → MH2
यहाँ M = Be , Mg , Ca , Sr , Ba

Example : mg + H2 → 2MgH2

नोट : बेरेलियम हाईड्राइड को बेरेलियम क्लोराइड के लिथियम एल्युमिनियम हाईड्राइड के अपचयन से बनाया जा सकता है।
2BeCl2 + LiAlH4 → 2BeH2 + LiCl + AlCl3
नोट : बेरेलियम हाइड्राइड तथा मैग्नीशियम हाईड्राइड इलेक्ट्रॉन न्यून सहसंयोजी यौगिक है।  इलेक्ट्रॉन न्यूनता के कारण इनकी बहुल की संरचना होती है।
नोट : कैल्शियम हाईड्राइड को हाइड्रालिथ भी कहते है।
4. हैलोजन के साथ क्रियाशीलता : सभी क्षारीय मृदा धातुएं हैलोजन के साथ क्रिया करके धातु हैलाइड बनाती है।
M + X2 → MX2
यहाँ M = Be , Mg , Ca , Sr , Ba
Example : Mg + Cl2 → MgCl2
नोट : बेरेलियम हाइड्राइड सहसंयोजक प्रकृति का होने के कारण कार्बनिक विलयको में घुलनशील होता है जबकि अन्य क्षारीय मृदा हैलाइड आयनित होते है।
5. द्रव अमोनिया से क्रिया : क्षारीय धातुओं की तरह क्षारीय मृदा धातुएँ भी द्रव अमोनिया के साथ क्रिया करके गहरे नीले रंग का विलयन बनाती है।
M + (x+ y)NH3 → [m(NH3)x]2+ + 2[e(NH3)y]

ऑक्सो अम्लों के लवण

I. कार्बोनेट (CO3) : सभी क्षारीय मृदा धातुओं के कार्बोनेट गर्म करने पर विघटित होकर धातु ऑक्साइड व कार्बन डाई ऑक्साइड बनाते है।
M CO3 → MO + CO2
परमाणु क्रमांक में वृद्धि के साथ साथ कार्बोनेटो का तापीय स्थायित्व का बढ़ता क्रम निम्न होता है –
BeCO3 <MgCO3 < CaCO3 < SrCO3 <BaCO3
BeCO3 अस्थायी होता है तथा केवल CO2 के वातावरण में ही रखा जा सकता है।
क्षारीय मृदा धातु कार्बोनेट की जल में विलेयता वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर कम होता जाता है BeCO3  व MgCO3 जल में आंशिक विलय होते है जबकि BaCO3 जल में अविलेय होता है।
 II. सल्फेट (SO4) : क्षारीय मृदा धातु सल्फेट गर्म करने पर धातु ऑक्साइड तथा सल्फर ट्राई ऑक्साइड में विघटित हो जाते है।
mSO4→ mO + SO3
धातु का धन विद्युती गुण या हाइड्रोक्साइड का क्षारीय गुण बढने पर सल्फेटो के विघटनो का ताप बढ़ता है अर्थात सल्फेटों का बढ़ता क्रम निम्न है –
Be SO4< Mg SO4 < Ca SO4 < Sr SO4 < Ba SO4
वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर सल्फेटों की जल में विलेयता जल योजन ऊर्जा का मान कम होने के कारण कम होती जाती है।
Ba SO4 व Mg SO4 जल में अत्यधिक विलेय है।
Ca SO4 आंशिक विलेय है तथा Sr SO4 व Ba SO4 पूर्णत्या अविलेय होते है।