पश्च बंधन की परिभाषा क्या है , back bonding in hindi , आर्गल आरेख ,orgel diagram

back bonding in hindi , पश्च बंधन की परिभाषा क्या है पश्च बंधन (back bonding ) : स्पेक्ट्रो रासायनिक श्रेणी के अन्तिम लिगेण्ड जैसे NO2
, CN
, CO आदि लिगेंड धातु के साथ back bonding (पश्च बंध) दर्शाते है।
ये लिगेण्ड प्रबल लिगेण्ड होते है।
धातु के भरे हुए t2g कक्षकों में से electron लिगेण्ड के रिक्त कक्षकों में चले जाते है।  (M  L) इसे back bonding (पश्च बंध) कहते है।
back bonding के द्वारा धातु पर बढे हुए ऋणावेश की मात्रा कम हो जाती है जिससे धातु एवं लिगेण्ड के मध्य बना बंध स्थायी हो जाता है , फलस्वरूप संकुल यौगिक का स्थायित्व बढ़ जाता है।
back bonding के कारण धातु आयन एवं लिगेंड के मध्य बंध क्रम बढ़ता है जिससे संकुल का स्थायित्व बढ़ता है।
अत: इसे सिनेरजिक बंधन कहते है।

आर्गल आरेख (orgel diagram) : वे आरेख जो पद की उर्जा एवं लिगेण्ड क्षेत्र प्रबलता (LFS) के मध्य सह सबंध दर्शाते है “आर्गल आरेख” कहलाते है।

प्रश्न 1 : [Ti(H2O)6]Cl3 संकुल यौगिक के अवशोषण स्पेक्ट्रम की व्याख्या कीजिये।

उत्तर : [Ti(H2O)6]3+  संकुल आयन के अवशोषण स्पेक्ट्रम में निम्न दो बैण्ड प्राप्त होते है –

1. 27000 से 30000 cm-1 क्षेत्र में आवेश स्थानान्तरण के कारण एक अवशोषण बैण्ड मिलता है (पैराबैंगनी क्षेत्र में )

2. 20300 cm-1 के लगभग d-d संक्रमण के कारण दृश्य क्षेत्र में अवशोषण बैण्ड मिलता है।

d-d संक्रमण के कारण प्राप्त अवशोषण बैण्ड ही संकुल आयन के रंग के लिए उत्तरदायी होता है।

t2g कक्षकों में उपस्थित अयुग्मित electron दृश्य क्षेत्र से ऊर्जा ग्रहण कर eg कक्षकों में चला जाता है।  इस d-d संक्रमण के कारण यह संकुल बैंगनी रंग का होता है।