जादू टोना और विज्ञान में समानता और असमानता क्या है | जादू और विज्ञान Witchcraft and Science in hindi differences

Witchcraft and Science in hindi differences जादू टोना और विज्ञान में समानता और असमानता क्या है | जादू और विज्ञान ?

धार्मिक आचरण के कुछ अन्य उदाहरण
धार्मिक संस्कारों के बारे में मलिनॉस्की द्वारा किए गए अन्य उदाहरणों में से एक उदाहरण विवाह संस्कार के बारे में एक संक्षिप्त टिप्पणी के रूप में है। इससे उसे प्रजनन और पोषण की आवश्यकताओं के बारे में चर्चा का अवसर मिला। मलिनॉस्की के अनुसार, दीक्षा अनुष्ठान के समान विवाह संस्कार में भी विभिन्न अनुष्ठान जैविक तथ्यों से भी कहीं अधिक सामाजिक पक्ष को दिखाते हैं। वे पुरूष और महिला के जीवन भर के साहचर्य या मिलन को लक्षित करते हैं और प्रजनन तथा पोषण से संबंधित दीर्घकालीन क्रियाकलापों की ओर संकेत करते हैं। मलिनॉस्की ने यह भी बताया है कि भोजन के बारे में आदिम लोगों में एक प्रकार का मनोभावात्मक तनाव पाया जाता है। आदिम संस्कृति के कृषि संबंधी चक्र में उपज के पहले अंश को चढ़ावे के रूप में देने, फसल की कटाई और मौसम संबंधी समारोहों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसी तरह, मछुआरों द्वारा बड़ी मछली पकड़ने या शिकारियों द्वारा बड़े जानवर का शिकार करने जैसी घटनाओं को महत्वपूर्ण माना जाता है। खाद्य सामग्री जुटाने की प्रक्रिया में व्यक्ति विशेष और उसके वातावरण के बीच महत्वपूर्ण संपर्क पैदा होता है। यही कारण है कि आदिम लोगों के धर्म में खाद्य सामग्री सांस्कृतिक और जैविक रूप में महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ पवित्र भी मानी जाती है।

खाने की सामग्री को पवित्र मानने के विचार के आधार पर मलिनॉस्की ने बलि (देवता पर खाद्य सामग्री आदि मूल्यवान वस्तुएं चढ़ाने) तथा सहभोज (मिलकर भोजन करने) के बारे में नई दृष्टि से विचार किया। ऐसा पाया जाता है कि इन संस्कारों में आनुष्ठानिक रूप से भोजन खिलाया जाता है। इससे स्पष्ट है कि आदिवासियों में खूब अन्न पैदा होने के प्रति श्रद्धा का भाव होता है। यहां उसने मध्य आस्ट्रेलियाई जनजातियों में टोटमी विश्वासों से जुड़े हुए सांस्कारिक भोज का उदाहरण प्रस्तुत किया। इससे पूर्व भी उल्लेख किया जा चुका है दिखिए उपभाग 23.2.2) कि जनजाति विशेष के लोग सीमित संख्या में जानवरों और/अथवा पौधों को अपने टोटम के रूप में चुन लेते हैं। मलिनॉस्की का कथन है कि आदिम लोगों को जीवन-यापन के लिए विशिष्ट जाति के प्राणियों या पौधों की निंरतर उपलब्धि चाहिए। उन्हें इन चीजों की प्रचुर मात्रा में आपूर्ति के लिए इन चुनी हुई चीजों पर पूरा नियंत्रण भी चाहिए। इसीलिए उन्होंने इनकी आदतों और रहन-सहन का अध्ययन किया। इस तरह, उनमें इन वस्तुओं के प्रति आदरभाव की मनोवृत्ति का विकास हुआ। जीवन-यापन की आवश्यकताओं की पूर्ति करने की प्रक्रिया का धीरे-धीरे स्वाभाविक फल यह हुआ कि आदिवासियों में कुछ चुने प्राणियों और पौधों से दिलचस्पी पैदा हो गई और इस रुचि का दैवीकरण टोटमी अनुष्ठानों के रूप में हमारे सामने आया। मलिनॉस्की ने टोटमी वस्तुओं से संबंधित विश्वासों की व्यवस्था में नैतिक मूल्यों और जैविक महत्व दोनों को स्वीकार किया है। आइए, अब हम धर्म पर मलिनॉस्की के विचारों का सार देने का प्रयास करें।

धर्म के बारे में मलिनॉस्की के विचारों का सारांश
मलिनॉस्की के मूल रूप से धार्मिक संस्कारों के प्रकार्यात्मक मूल्यों को प्रदर्शित किया। संक्षेप में, उसने धार्मिक कृत्यों के मुख्य प्रकारों का सर्वेक्षण किया और यह निष्कर्ष निकाला कि धार्मिक कार्यों के मुख्य प्रकारों के निम्नलिखित प्रकार्य हैं।

प) दीक्षा संबंधी अनुष्ठान परंपरागत ज्ञान को धार्मिक रूप प्रदान करते हैं।
पप) आदिम समाज में व्यक्ति की मृत्यु होने पर कुछ धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं जो भय और विनाश की शक्तियों को क्षीण कर देते हैं।
पपप) आहार, बलिदान और टोटमी विश्वासों से संबंधित अनुष्ठान लोगों को आहार या पोषण प्रदान करने वाली शक्तियों के प्रत्यक्ष संपर्क में लाते हैं।

मलिनॉस्की ने अपने विचारों की पुष्टि में स्पष्ट प्रमाण प्रस्तुत करने की पद्धति का सहारा लिया है। उसने अपने उदाहरण ट्रॉब्रिएंड द्वीपवासियों के यहां से प्राप्त सामग्री से लिए हैं। उसके अनुसार, सभी धार्मिक अनुष्ठानों का एक सामाजिक पक्ष भी होता है जिसके बिना उनका अस्तित्व ही संभव नहीं है। किसी भी धार्मिक संस्कार में सामाजिक पक्ष आवश्यक है। परंतु इतना भर पर्याप्त नहीं है। उसने इस बात पर जोर दिया कि व्यक्ति के मन का विश्लेषण किए बिना धर्म को नहीं समझा जा सकता है। यही कारण है कि वह धार्मिक संस्कार या अनुष्ठान के प्रत्येक स्तर पर व्यक्ति की मानसिक दशा की ओर ध्यान दिलाता है। इसके साथ ही वह धार्मिक आचरण की व्याख्या जादू-टोने के साथ तुलना करके और उससे विरोध बताते हुए करता है। इसलिए यह आवश्यक है कि अब हम जादू-टोने से संबंधित मलिनॉस्की के विचारों की जानकारी प्राप्त करें। परंतु इस जानकारी को लेने से पहले सोचिए और करिए 3 को पूरा करें ताकि आपको मलिनॉस्की के धर्म से जुड़े विचारों को आत्मसात करने में सहायता मिले।

सोचिए और करिए 3
व्यक्तिजन्य आवश्यकताओं के विशिष्ट संदर्भ में धर्म संबंधी मलिनॉस्की के विचारों के बारे में तीन पृष्ठों की टिप्पणी लिखिए।

 समानताएं और असमानताएं
अपने निबंध के अंत में मलिनॉस्की ने जादू-टोने और विज्ञान तथा जादू-टोने और धर्म के बीच संबंधों को संक्षेप में प्रस्तुत किया है। इन संबंधों को समानताओं एवं असमानताओं के आधार पर समझा जा सकता है।

जादू-टोना और विज्ञान
मलिनॉस्की ने इन दोनों तत्वों के बीच संबंध को समानता और असमानता के आधार पर प्रस्तुत किया है। आइए, पहले हम समानताओं के बारे में विचार करें।

समानताएं
प) विज्ञान की तरह जादू-टोने का भी मानव की आवश्कताओं और सहज वृत्तियों से संबंधित विशिष्ट उद्देश्य होता है। दोनों ही कुछ नियमों की व्यवस्था द्वारा नियंत्रित होते हैं, जिनसे यह निर्धारित होता है कि कैसे किसी कार्य को प्रभावशाली ढंग से सम्पन्न किया जा सकता है।
पप) विज्ञान और जादू-टोने में किन्हीं कार्यो को पूरा करने के लिए कुछ तकनीकों (प्रविधियों) का विकास किया जाता है। इन समानताओं के आधार पर मलिनॉस्की इस नतीजे पर पहुंचा कि वह जेम्स फ्रेजर की इस बात से सहमत है कि जादू-टोना एक तरह का अधकचरा । विज्ञान (pseudev&science) है।

असमानताएं
प) जनजातियों के आदिम ज्ञान में जिस रूप में विज्ञान दिखाई देता है, वह रोजमर्रा के सामान्य अनुभव से संबंधित है। यह उनकी प्रकृति के साथ अंतःक्रिया के पर्यवेक्षण और तर्क पर आधारित है। दूसरी ओर, जादू-टोना तनावपूर्ण आवेशात्मक स्थितियों के विशिष्ट अनुभवों पर आधारित है। इन स्थितियों में प्रकृति के पर्यवेक्षण के बजाय व्यक्ति का अपना व्यक्तित्व या उसकी बेबसी महत्वपूर्ण है (देखिए उपभाग 23.5.3)।
पप) विज्ञान का आधार अनुभव, प्रयास और तर्क की वैधता में विश्वास है। परन्तु जादू-टोना इस विश्वास पर आधारित है कि व्यक्ति के मन में आशावादिता बनी रहे तथा वह येन-केन प्रकारेण इच्छा-पूर्ति कर सके।
पपप) हर समाज विशेष में तर्कपरक ज्ञान की सामग्री को संकलित किया जाता है। दूसरी ओर कुछ ऐसी विशेष प्रकार की गतिविधियां होती हैं, जो स्पष्ट रूप से समाज के लौकिक काम-काजों से भिन्न हैं और जिन्हें उनसे अलग करके देखा जा सकता है। ये जादू-टोने से संबंधित होती हैं।

इन असमानताओं के आधार पर मलिनॉस्की इस परिणाम पर पंहुचा कि विज्ञान का संबंध लौकिक क्षेत्र से है, जबकि जादू-टोने का संबंध पवित्र क्षेत्र के आधे हिस्से से है, क्योंकि पवित्र क्षेत्र का आधा हिस्सा धर्म का है।

जादू-टोना और धर्म
जिस प्रकार मलिनॉस्की ने जादू-टोने की विज्ञान से तुलना की, उसी प्रकार उसने जादू-टोने और धर्म के बीच भी संबंध प्रदर्शित किया। उसके अनुसार, दोनों में निम्नलिखित समानताएं हैं।

समानताएं
प) जादू-टोना और धर्म दोनों पवित्रता के क्षेत्र में आते हैं और इन दोनों का उदय आवेशात्मक तनाव के बीच होता है और ये दोनों ही आवेशात्मक तनाव में कार्यान्वित होते हैं।
पप) इन दोनों तत्वों की सहायता से मनुष्य को आवेशात्मक तनाव से मुक्ति मिलती है। आदिम लोगों के तर्कपरक ज्ञान के आधार पर इस तरह के तनाव का निराकरण नहीं हो सकता।
पपप) जादू-टोना और धर्म दोनों ही पौराणिक परंपराओं से बहुत निकट से जुड़े हैं। इन दोनों क्षेत्रों से संबंधित निषेध और आचरण या विधि-विधान इन्हें लौकिक क्षेत्र से अलग करते हैं।

असमानताएं
यदि हम धर्म और जादू-टोने के बीच असमानताओं को देखें तो हमें असमानताओं के निम्नलिखित क्षेत्र दिखाई देते हैं।
प) जादू-टोने के अनुष्ठान किसी लक्ष्य को पाने के साधन हैं। जबकि धार्मिक कार्य स्वतः पूर्ण कार्य हैं, जिन्हें आत्म-तुष्टि के लिए किया जाता है।
पप) जादू-टोने की कला की बड़ी स्पष्ट और सीमित तकनीक वाली प्रविधि है। मंत्र-तंत्र, अनुष्ठान और जादू-टोना करने वाला (ओझा) इसके मुख्य तत्व हैं। धर्म की कोई ऐसी सरल तकनीक नहीं है। इसके अनेक पहलू और प्रयोजन हैं। इसका तार्किक आधार इसके विश्वास और आचरण के प्रकार्य में निहित है।
पपप) जादू-टोने में विश्वास का संबंध किसी व्यक्ति द्वारा जादू-टोने या मंत्र-तंत्र की सहायता से मनचाहा कार्य सिद्ध करने की शक्ति में विश्वास से है। दूसरी ओर, धर्म का संबंध संपूर्ण अलौकिक शक्तियों में आस्था से है।
पअ) धर्म में पौराणिक परंपरा जटिल और सृजनात्मक दोनों होती है और इसका केन्द्र आस्था का, सिद्धांत है। जादू-टोने में अपने मूल के बारे में पौराणिक परंपरा में गर्वोक्तिपूर्ण विवरण होते हैं।
अ) जादू-टोने की कला पीढ़ी-दर-पीढ़ी एक ओझा से दूसरे ओझा को प्राप्त होती है। यह प्रायः सीधे बाप से बेटे को प्राप्त होती है। इस प्रकार यह विशेषज्ञों के बीच सीमित रहती है। दूसरी ओर, धर्म में प्रत्येक व्यक्ति सक्रिय रूप से भाग लेता है। उदाहरण के तौर पर, समुदाय के प्रत्येक सदस्य को दीक्षा लेनी पड़ती है। इसी तरह, उचित समय पर प्रत्येक को शोक या मातम की प्रक्रिया में से गुजरना पड़ता है। शोक प्रकट करने के लिए भी एक शोक किया जाता है। और फिर सभी के लिए प्रेत-आत्माओं का महत्व है और मरने के बाद सभी को प्रेतात्मा बनना पड़ता है। धर्म के क्षेत्र में आध्यात्मिक माध्यम बनना एक विशेषीकृत भूमिका भले ही हो, परन्तु यह कोई व्यावसायिक भूमिका नहीं है जिसे कोई भी सीख सकता हो। यह तो केवल वैयक्तिक प्रतिभा होती है। इसे जादूगीरी के समकक्ष नहीं समझना चाहिए।
अप) जादू-टोना सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार का होता है क्योंकि जादू-टोने का प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में व्यावहारिक प्रभाव पड़ता है। इसलिए सकारात्मक और नकारात्मक जादू-टोने के बीच वैषम्य की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मलिनॉस्की के अनुसार धर्म में, कम से कम आरंभिक अवस्था में, लाभकारी और द्वेष पूर्ण शक्तियों के बीच कोई विशेष अंतर नहीं होता।

आइए अब इस इकाई का अंतिम बोध प्रश्न भी पूरा कर लें।

जादू-टोना, विज्ञान और धर्म का प्रकार्य
अंत में, मलिनॉस्की ने अपने प्रिय विषय के रूप में इनमें से प्रत्येक तत्व के सांस्कृतिक प्रकार्य को प्रदर्शित करने का प्रयास किया है। आदिम ज्ञान का प्रकार्य जनजाति के लोगों को अपने आसपास के वातावरण से परिचित करने और उन्हें प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करने लायक बनाना है। इसके द्वारा वह उन्हें विश्व के अन्य प्राणियों से अलग और श्रेष्ठ बना देता है।

धर्म का प्रकार्य एक विशिष्ट मानसिकता का निर्माण करना है यथा पंरपरा का आदर करना, प्रकृति के साथ समन्वय स्थापित करना, जीवन के लिए संघर्ष करना, यहां तक कि अगर मृत्यु भी आ जाए तो साहस और विश्वास रखना।

जादू-टोने का प्रकार्य जनजातीय लोगों को रोजमर्रा के जीवन में जीने के लिए और कठिनाइयों का मुकाबला करने के लिए व्यावहारिक तरीका उपलब्ध कराना है। इसके द्वारा उनमें जीवन में आने वाली अपरिहार्य समस्याओं के साथ जीने की योग्यता का विकास होता है। इस प्रकार मलिनॉस्की (1948ः9) का मत है कि जादू-टोने का काम अनुष्ठान के द्वारा मनुष्य में आशा का संचार करना और भय के ऊपर आशा की विजय के विश्वास को बढ़ाना है।

सोचिए और करिए 5
अपनी पंसद के समूह के धार्मिक व्यवहार में दो उदाहरण चुनिए। मलिनॉस्की की दृष्टि में उनके प्रकार्य दिखाइए।