राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है | राज्यपाल की नियुक्ति कैसे होती है के लिए योग्यता who appoints the governor of a state in india

who appoints the governor of a state in india in hindi and how to selet राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है | राज्यपाल की नियुक्ति कैसे होती है के लिए योग्यता ?

राज्यपाल की भूमिका
राज्यपाल को राज्य के संवैधानिक ढाँचे का स्तम्भ माना गया है क्योंकि केन्द्र-राज्य के संबंधों में उसकी मुख्य भूमिका है। केन्द्र के प्रतिनिधि के रूप में और केन्द्र-राज्यों के बीच समन्वय बनाए रखने के लिए संविधान द्वारा केन्द्र को राज्यपाल नियुक्त करने की शक्ति प्रदान की गई है। लेकिन व्यवहार में राज्यपाल का पद एवं भूमिका केन्द्र-राज्य के बीच तनाव उत्पन्न करने का पर्याप्त कारण बन चुका है।

 राज्यपाल की नियुक्ति
केन्द्र सरकार तथा राज्यों के बीच तनाव का पहला कारण केंद्र द्वारा राज्यपाल की नियुक्ति केन्द्र के प्रतिनिधि के रूप में करना है। वास्तव में केन्द्र का शासक दल राज्य में अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए राज्यपाल के पद का इस्तेमाल एक औजार के रूप में करता है। इसका परिणाम यह हुआ है जैसा कि सौली सौरबजी कहते हैं “यह कहना कोई अतिशयोक्ति न होगा कि किसी अन्य संस्था का संवैधानिक पद का पतन या दुरुपयोग नहीं हुआ है जितना कि राज्यपाल के पद का।‘‘ यह सुनिश्चित करने के लिए कि राज्यपाल केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करे, इसके लिए राज्य के मुख्यमंत्री से सलाहकार राज्यपाल की नियुक्ति करने की प्रवृत्ति की अवहेलना की जाती रही है। आजकल इस परम्परा का अनुसरण करने का मुख्यमंत्री से सलाह कर राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति की जाए हेतु दबाव बनाया जाने लगा है। इसके बावजूद भी राज्यपाल की नियुक्ति के लिए केन्द्र सरकार न तो किसी सिद्धांत का अनुसरण करती है और न ही इसके लिए कोई सुनिश्चित मापदण्ड है।

सरकारिया आयोग ने अपनी सिफारिशों में सुझाव दिया है कि जिस व्यक्ति को राज्यपाल नियुक्त किया जाए उसे निम्न मापदण्ड को पूरा करना चाहिए। उसे जीवन में कुछ विशिष्टता प्राप्त हो, वह व्यक्ति राज्य के बाहर का हो, वह राज्य की क्षेत्रीय राजनीति में समीप से न संबंधित हो और वह ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जिसने सामान्यतः राजनीति में विशेष भूमिका अदा न की हो।

सरकारिया आयोग की रपट आ जाने के बावजूद भी राज्यपालों की नियुक्तियाँ शासक दल के सक्रिय राजनीतिज्ञों और मुख्यमंत्रियों से सलाह किए बगैर किया जाना जारी है।

बोध प्रश्न 1
नोट: क) अपने उत्तर के लिए नीचे दिए रिक्त स्थान का प्रयोग करें।
ख) अपने उत्तरों की जाँच इस इकाई के अंत में दिए गए उत्तरों से करें।
1) उन कारकों का विवरण करें जिनके कारण 1967 के चुनावों के बाद केन्द्र-राज्य रिश्तों में नई बहस का प्रारंभ हुआ।
2) केन्द्र और राज्यों के बीच तनाव के क्षेत्र में राज्यपाल की भूमिका की विवेचना करें।

बोध प्रश्न 1 उत्तर
1) आप अपने उत्तर में निम्नलिखित तर्कों को शामिल करेंः
अ) राज्यों में कांग्रेस के एकाधिकार शासन का अंत। .
ब) अपेक्षित परिणामों को प्राप्त करने में योजना आयोग की असफलता ।
स) राजनीति में नवीन समूहों एवं वर्गों का उद्भव ।
2) अ) बहुमत पर संदेह होने की स्थिति में केन्द्र द्वारा मुख्यमंत्री की नियुक्ति एवं बर्खास्तगी पर विवाद ।
ब) राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए विधेयकों को सुरक्षित रखने हेतु भेदभाव पूर्ण शक्तियों का इस्तेमाल ।
स) सरकार के रोजमर्रा प्रशासन में हस्तक्षेप।
द) धारा 356 के अंतर्गत आपातस्थिति घोषणा हेतु राष्ट्रपति को रपट भेजना।

बोध प्रश्न 2
नोट: क) अपने उत्तर के लिए नीचे दिए रिक्त स्थान का प्रयोग करें।
ख) अपने उत्तरों की जाँच इस इकाई के अंत में दिए गए उत्तरों से करें ।
1) केन्द्र सरकार ने धारा 356 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का दुरुपयोग कैसे किया?
2) राज्यों में राष्ट्रपति शासन की घोषणा से संबंधित शक्तियों के दुरुपयोग के विरुद्ध किन सुरक्षा उपायों का सुझाव दिया गया है?

बोध प्रश्न 2 उत्तर
1) धारा 356 के अंतर्गत शक्तियों का दुरुपयोग किया गया है:
अ) द्वेषपूर्ण आधार पर राज्य सरकार को बर्खास्त करना
ब) सरकार का गठन करने के लिए विरोधी दलों को अवसर देने से इंकार करना
स) दल के आंतरिक विवादों को हल करना
द) उन राजनीति दलों या सरकारों को तंग करना जिनको केन्द्र सरकार द्वारा पसंद न किया जाता हो
2) अ) राष्ट्रपति शासन की घोषण के लिए कारणों को सार्वजनिक रूप से बताना
ब) राज्य विधान सभा को तब तक भंग न किया जाए जब तक इस घोषणा का अनुमोदन संसद नहीं कर देती
स) घोषणा पर पुनर्विचार करने की शक्ति न्यायपालिका के पास होनी चाहिए
द) धारा में विद्यमान व्यवस्थाओं पर अंकुश लगाने के लिए संविधान में संशोधन किया जाए