प्रकाश , प्रकाश के गुण , परावर्तन , अपवर्तन , नियमित परावर्तन , विसरित परावर्तन , दर्पण , समतल दर्पण ,गोलीय दर्पण

(light definition) प्रकाश : प्रकाश वह ऊर्जा है जिसमें दृष्टि संवेदना होती है।
प्रकाश की प्रकृति : डी-ब्रोग्ली के अनुसार प्रकाश की प्रकृति दो प्रकार की होती है –
(i) तरंग प्रकृति
(ii) क्वांटम प्रकृति
पृथ्वी पर प्रकाश का मुख्य स्रोत :-
वस्तुओं का रंग दिखाई देना : जब किसी वस्तु पर प्रकाश की किरणें गिरती है तो वह प्रकाश के कुछ रंगों को अवशोषित कर लेती है और कुछ रंगों को परावर्तित कर देती है , यह परावर्तित किरणें जब रेटिना पर पहुँचती है तो मष्तिष्क में संवेदना उत्पन्न होती है और हमें वस्तु का रंग दिखाई देता है।
जैसे वस्तु लाल रंग के प्रकाश को परावर्तित करती है तो वह लाल रंग की दिखाई देती है।
जब वस्तु अपने पर आने वाले पूर्ण प्रकाश को परावर्तित करती है तो वह सफ़ेद रंग की दिखाई देती है।
जब वस्तु अपने पर आने वाले पूरे प्रकाश को अवशोषित कर लेती है तो वह काले रंग की दिखाई देती है।
प्रकाश के गुण
(i) परावर्तन
परावर्तन : जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दुसरे माध्यम की सतह से टकराकर पुनः उसी माध्यम में लौट जाती है तो इसे प्रकाश का परावर्तन कहते है।
यहाँ i = आपतन कोण
r = परावर्तन कोण
परावर्तन दो प्रकार का होता है –
(I) नियमित परावर्तन
(II) विसरित परावर्तन
(I) नियमित परावर्तन : जब प्रकाश की किरणें समतल पृष्ठ पर आपतित होती है तो निश्चित दिशा में परावर्तित हो जाती है इसे नियमित परावर्तन कहते है।
(II) विसरित परावर्तन : जब प्रकाश की किरणें किसी खुरदरे पृष्ठ (तल) पर आपतित होती है तो भिन्न भिन्न दिशाओ में परावर्तित हो जाती है इसे विसरित परावर्तन कहते है।
परावर्तन के नियम
  • आपतित किरण , परावर्तित किरण और अभिलम्ब एक ही तल में स्थित होते है।
  • आपतन कोण = परावर्तन कोण का मान सदैव समान है।
  • परावर्तित किरण की आवर्ती व चाल सदैव समान रहते है।
दर्पण : कांच की एक पट्टी की एक सतह पर परावर्तक पदार्थ की पोलिश कर देते है तो इसे दर्पण कहते है।
दर्पण दो प्रकार के होते है –
(1) समतल दर्पण
(2) गोलीय दर्पण
(1) समतल दर्पण  : काँच की एक समतल पट्टिका के एक सतह पर परावर्तक पदार्थ (चाँदी , निकल) की पॉलिश कर दी जाती है उसे समतल दर्पण कहते है।
(2) गोलीय दर्पण : कांच के खोखले गोले के एक भाग की एक सतह पर एक परावर्तक पदार्थ की पॉलिश कर दी जाती है इसे गोलीय दर्पण कहते है।
यह दो प्रकार के होते है –
(i) अवतल दर्पण
(ii) उत्तल दर्पण
(i) अवतल दर्पण : कांच के खोखले गोले के एक भाग की एक सतह पर परावर्तक पदार्थ की पॉलिश कर दी जाती है उसे अवतल दर्पण कहते है।
(ii) उत्तल दर्पण : काँच के खोखले गोले के एक भाग के भीतरी सतह पर परावर्तक पदार्थ की पॉलिश कर दी जाती है उसे उत्तल दर्पण कहते है।
दर्पण से सम्बंधित परिभाषाएं :
1. वक्रता केंद्र : यदि गोलीय दर्पण को खोखला गोला मान लिया जाए तो उसके केंद्र को वक्रता केंद्र कहते है इसे C से लिखा जाता है।
2. वक्रता त्रिज्या : वक्रता केंद्र से परावर्तक तल के मध्य दूरी को वक्रता त्रिज्या कहते है इसे R से लिखा जाता है।
3. मुख्य अक्ष : वह काल्पनिक रेखा जो वक्रता केंद्र से होती हुई , ध्रुव बिंदु तक जाती है , उसे मुख्य अक्ष कहते है।
4. ध्रुव बिंदु : दर्पण के परावर्तक तल के मध्य बिंदु को ध्रुव बिंदु कहते है इसे P से लिखा जाता है।
5. फोकस बिंदु : मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली प्रकाश की किरणें परावर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के जिस बिंदु से गुजरती है उसे फोकस बिंदु कहते है , इसे F से लिखा जाता है।
6. फोकस दूरी : फोकस बिंदु से ध्रुव तक की दूरी को फोकस दूरी कहते है इसे f से लिखा जाता है।
f = x/2
7. द्वारक : दर्पण के परावर्तक तल के समान्तर व्यास को द्वारक कहते है।

गोलीय दर्पण के परावर्तक के लिए प्रतिबिम्ब के नियम

  • जो प्रकाश की किरण मुख्य अक्ष के समान्तर दर्पण पर आती है तो परावर्तन के पश्चात् फोकस बिंदु से गुजरती है और उत्तल दर्पण में गुजरती हुई प्रतीत होती है।
  • जो प्रकाश की किरण वक्रता केंद्र से आती है परावर्तन के पश्चात् उसी मार्ग पर लौट आती है।
  • जो प्रकाश की किरण फोकस बिंदु से आती है परावर्तन के पश्चात् अवतल दर्पण में मुख्य अक्ष के समान्तर हो जाती है।
  • ध्रुव बिंदु पर तिर्यक रूप से आने वाली प्रकाश की किरणें तिर्यक रूप में ही लौट जाती है।

दर्पण के उपयोग

अवतल दर्पण के उपयोग :
  • गाडियों में अग्रद्वीप (हेडलाइट) टोर्च , सर्चलाइट आदि में इनका उपयोग किया जाता है क्योंकि प्रकाश की किरणों का शक्तिशाली समान्तर किरण पुंज बनाते है।
  • कुछ सेविंग दर्पणों में चेहरे का प्रतिबिम्ब बड़ा बनाकर देखने में किया जाता है।
  • दंत चिकित्सक दांतों का प्रतिबिम्ब बड़ा देखने में इनका उपयोग करते है।
  • सौर कुकुर में प्रकाश की किरणों के द्वीप करने के लिए इनका उपयोग किया जाता है।
उत्तल दर्पण के उपयोग :
  • गाडियों में साइड कांच पश्च दृश्य दर्पण के रूप में इनका उपयोग किया जाता है। क्योंकि बड़ी से बड़ी वाली गाडी का स्पष्ट व पूरा प्रतिबिम्ब इसमें दिखाई देता है।
  • सुरक्षा की दृष्टि से एटीएम मशीनों में भी इनका उपयोग किया जाता है ताकि एटीएम पर खड़े व्यक्ति को पीछे खड़े व्यक्ति की क्रियाविधि दिखाई दे सके।