प्रकाश का तरंग सिद्धांत किसने दिया , प्रकाश का तरंग सिद्धान्त किसके द्वारा प्रस्थापित किया गया था

wave theory of light was proposed by in hindi प्रकाश का तरंग सिद्धांत किसने दिया , प्रकाश का तरंग सिद्धान्त किसके द्वारा प्रस्थापित किया गया था  ?

 प्रकाश
 प्रकाश जिन छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना है, वे कहलाते हैं
-फोटॉन
 प्रकाश का तरंग सिद्धान्त किसके द्वारा प्रस्थापित किया गया था? – हाइगेन्स के द्वारा
 किस घटना के आधार पर प्रकाश तरंगों के अनुप्रस्थ होने की पुष्टि होती है? -ध्रुवण
 ‘प्रकाश एक प्रकार की विद्युत्-चुम्बकीय तरंग है‘, यह सर्वप्रथम किसने बताया? -मैक्सवेल
 किसने सर्वप्रथम यह दिखलाया कि प्रकाश तरंगों का विवर्तन होता है?
-ग्रेमाल्डी
 प्रकाश-विद्युत् प्रभाव का प्रतिपादन किसने किया? -आइन्स्टीन
 कौन-सी घटना प्रकाश और ध्वनि दोनों में घटित नहीं होती है?
-ध्रुवण
 किसी अवरोध की कोर (किनारे)से प्रकाश का मुड़ना क्या कहलाता है?
-विवर्तन
 कौन-सा सिद्धान्त प्रकाश की तरंग प्रकृति की पुष्टि करता है?
-व्यतिकरण का सिद्धान्त
 प्रकाश विकिरण की प्रकृति कैसी होती है?
-तरंग एवं कण दोनों के समान
 प्रकाश के चिकने पृष्ठ से टकराकर वापस लौटने की घटना को क्या कहते है? -प्रकाश का परावर्तन

गोलीय दर्पणों में मुख्य फोकस, फोकस दूरी, वक्रता त्रिज्या एवं द्वारक
अवतल दर्पण ऊपर चित्र में अवतल दर्पण पर मुख्य अक्ष के समान्तर कुछ किरणें आपतित हो रही हैं तथा सभी परावर्तित किरणें दर्पण की मुख्य अक्ष के एक बिन्दु पर मिल रही हैं। यह बिन्दु अवतल दर्पण का मुख्य फोकस कहलाता है। उत्तल दर्पण द्वारा मुख्य अक्ष के समान्तर आती हुई किरणें परावर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष पर एक बिन्दु से आती हुई प्रतीत होती हैं। यह बिन्दु उत्तल दर्पण का मुख्य फोकस कहलाता है। मुख्य फोकस को अक्षर थ् द्वारा निरूपित किया जाता है। गोलीय दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच की दूरी फोकस दूरी कहलाती है। इसे अक्षर f द्वारा निरूपित करते हैं।
गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ अधिकांशतः गोलीय ही होता है। इस पृष्ठ की एक वृत्ताकार सीमा रेखा होती है। गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ की इस वृत्ताकार सीमा रेखा का व्यास, दर्पण का द्वारक (aperture) कहलाता है। दूरी डछ द्वारक को निरूपित करती है। गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या R तथा फोकस दूरी f के बीच एक निश्चित संबंध होता है? छोटे द्वारक के गोलीय दर्पणों के लिए वक्रता त्रिज्या फोकस दूरी से दोगुनी होती है। हम इस संबंध को R = 2 f द्वारा व्यक्त कर सकते हैं। यह दर्शाता है कि किसी गोलीय दर्पण का मुख्य फोकस, उसके ध्रुव तथा वक्रता केन्द्र को मिलाने वाली रेखा का मध्य बिन्दु होता है।

 किस घटना से यह सिद्ध होता है कि प्रकाश तरंगें अनुप्रस्थ प्रकार की हैं? -प्रकाश का ध्रुवण
 सूर्य लगभग 4×1026 जूल प्रति सेकण्ड की दर से ऊर्जा दे रहा है। सूर्य से इतनी ऊर्जा निकलने से उसका द्रव्यमान किस दर से कम हो रहा है? ।
-4×109 kgs
 प्रकाश का वेग सर्वप्रथम किसने ज्ञात किया? -रोमर
 प्रकाश का वेग अधिकतम किसमें होता है? -निर्वात् में
 माध्यम के तापमान में वृद्धि के साथ प्रकाश की गति पर क्या प्रभाव पड़ता है? -वैसी ही रहती है
 जल, काँच व हीरे में प्रकाश की चाल किस क्रम में होती है?
-जल झ काँच > हीरा
 चन्द्रमा से पृथ्वी तक आने में प्रकाश को लगभग कितना समय लगता है? -1 सेकण्ड
 सूर्य के प्रकाश को धरती की सतह पर पहुँचने में लगने वाला समय लगभग कितना है? -8.5 मिनट
 प्रकाश की गति कितनी है? -3×108 m/s
 पेट अथवा शरीर के अन्य आन्तरिक अंगों के अन्वेषण के लिए प्रयुक्त तकनीक एण्डोस्कोपी (Endoscopy) किस सिद्धान्त पर आधारित है?
-पूर्ण आन्तरिक परावर्तन
 पानी की टंकी को ऊपर से देखने पर कम गहरी दिखायी देने का क्या कारण -अपवर्तन
 सूर्य से प्रकाश का आन्तरिक परावर्तन कैसे हो सकता है?
-जब प्रकाश काँच से वायु में जाए
 चटक आ काँच चटकीला प्रतीत क्यों होता है?
-पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के कारण
 इन्द्रधनुष कितने रंग दिखाता है? -7
 दूरबीन मेंकैसे लैंस प्रयुक्त होते हैं?
-असमान फोकस दूरी के दो उत्तल लैंस
कुछ पदार्थों के क्रान्तिक कोण पदार्थ
पदार्थ अपवर्तनांक क्रांतिक कोण
ऽ पानी 1.33 48.5°
ऽ क्राउन काँच 1.52 41.1°
ऽ फ्लिंट काँच 1.65 37.4°
ऽ हीरा 2.42 24.4

 हीरा चमकदार क्यों दिखायी देता है?
-सामूहिक आन्तरिक परावर्तन के कारण
 उचित रीति से कटे हीरे की असाधारण चमक का आधारभूत कारण क्या है? -उसका अति उच्च अपवर्तन सूचकांक
हीरे की चमक
हीरे से वायु में आने वाली किरण के लिए क्रान्तिक कोण बहुत ही कम (24°) होता है। अतः जब बाहर का प्रकाश किसी कटे हुये हीरे में प्रवेश करता तो वह उसके भीतर विभिन्न तलों पर बार-बार पूर्ण परावर्तित होता रहता है। जब किसी तल पर आपतन कोण 24° से कम हो जाता है तब ही प्रकाश हीरे से बाहर आ पाता है। इस प्रकार हीरे में सभी दिशाओं से प्रवेश करने वाला प्रकाश केवल कुछ ही दिशाओं में हीरे से बाहर निकलता है। अतः इन दिशाओं से देखने पर हीरा अत्यन्त चमकदार दिखाई देता है।

 मरीचिका किसका उदाहरण है?
-प्रकाश के अपवर्तन और पूर्ण आन्तरिक परावर्तन का
रेगिस्तान में मरीचिका
कभी-कभी रेगिस्तान में यात्रियों को दूर से पेड़ के साथ-साथ उसका उल्टा प्रतिबिम्ब भी दिखायी देता है। इससे यात्रियों को ऐसा भ्रम हो जाता है कि वहाँ जल का तालाब है, जिससे पेड़ का उल्टा प्रतिबिम्ब दिखाई दे रहा है, परन्तु वास्तव में वहाँ तालाब नहीं होता है। गर्मी के मौसम में रेगिस्तान की रेत गरम होती है, तो उसे छूकर पृथ्वी के पास की वायू अधिक गरम हो जाती है, जिससे वायु का घनत्व कम हो जाता है। ऊपर की वायु परत ठंडी और सघन होती है। अतः जैसे-जैसे हम ऊपर से नीचे आते हैं, वायु की परत विरल होती जाती है। जब पेड़ से प्रकाश की किरणें पृथ्वी की ओर जाती हैं, तो उन्हें अधिकाधिक विरल परतों से होकर जाना पड़ता है। इसीलिए प्रत्येक परत पर अपवर्तित किरण अभिलम्ब से दूर हटती जाती है। अतः प्रत्येक अगली परत पर आपतन कोण बढ़ता जाता है तथा किसी विशेष परत पर क्रांतिक कोण से बड़ा हो जाता है। इस परत पर किरण पूर्ण परावर्तित होकर ऊपर की ओर उठने लगती है चूंकि ऊपर वाली परतें अधिक सघन है, अतः ऊपर उठती हुई किरण अभिलम्ब की ओर झुकती जाती है। जब यह किरण यात्री की आँख में प्रवेश करती है, तो उसे पृथ्वी के नीचे से आती हुई प्रतीत होती है तथा यात्री को पेड़ का उल्टा प्रतिबिम्ब दिखाई देता है। यात्री को उल्टा प्रतिबिम्ब दिखलायी पड़ने के कारण जल का भ्रम होने लगता है।