universe and organic evolution class 10 notes in hindi , ब्रह्माण्ड एवं जैव विकास कक्षा 10 वीं अध्याय 16 वाँ : यह पाठ कक्षा 10 वीं विज्ञान विषय में 16 वां पाठ है इस अध्याय में हम पहले ब्रह्माण्ड के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे और इसके बाद ब्रहमांड में जीव का विकास किस प्रकार हुआ इस बात पर पढाई करेंगे।
टॉपिक
- ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति
- भारतीय अवधारणा
- सिद्धांत
- जैव केन्द्रिकता का सिद्धान्त
- बिगबैंग सिद्धांत
- जीव उत्पत्ति के भौतिक सिद्धान्त
- जीव उत्पत्ति के आध्यात्मिक सिद्धांत
- जीवाश्म उत्पत्ति व प्रकार
- जैव विकास
- जैव विकास की क्रिया विधि
- जाति उद्भव
- जातिवृत
बहुचयनात्मक प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1 : सृष्टि बनने के पहले क्या उपस्थित था ?
प्रश्न 2 : किस वैज्ञानिक ने स्थिर ब्रह्माण्ड के विचार को पुनः जीवित किया था ?
प्रश्न 3 : ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के विषय में सर्वाधिक मान्यता प्राप्त अवधारणा कौनसी है ?
प्रश्न 4 : लगभग कितने वर्ष पूर्व पृथ्वी पर प्रकाशसंश्लेषी जीवन उपस्थित था ?
प्रश्न 5 : पीढ़ी दर पीढ़ी अपने स्वरूप को बनाये रखने में सक्षम जीव समूह को क्या कहा जाता है ?
अतिलघुरात्मक प्रश्न एवं उत्तर
प्रश्न 6 : ऋग्वेद के किस सूक्त में ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के विषय में विस्तार से चर्चा की गयी है ?
प्रश्न 7 : क्या जीवन को अणुओं का समूह माना जा सकता है ?
प्रश्न 8 : वर्तमान जीवन किस अणु पर आधारित माना जाता है ?
प्रश्न 9 : पृथ्वी के प्रारम्भिक वायुमण्डल के विषय में वैज्ञानिक सोच में क्या परिवर्तन हुआ है ?
प्रश्न 10 : प्रत्येक जाति के विकसित होने के इतिहास को क्या कहते है ?
लघुरात्मक प्रश्न तथा उत्तर
प्रश्न 11 : लुप्त हो चुके जीवों के विषय में जानकारी कैसे मिलती है ?
प्रश्न 12 : आर्कियोप्टेरिक्स का जीवाश्म किस रूप में मिला था ?
प्रश्न 13 : अवशेषांग किसे कहते है। मानव शरीर के एक अवशेषांग का नाम लिखो।
प्रश्न 14 : क्या पृथ्वी के बाहर से पृथ्वी पर जीवन आ सकता है ?
निबंधात्मक प्रश्न व उनके उत्तर
महत्वपूर्ण बिंदु या ब्रह्माण्ड एवं जैव विकास पाठ का सारांश
- जब रात के समय सूरज छिप जाता है और रात हो जाती है उस स्थिति में जब हम आसमान की तरफ देखते है तो हम पाते है कि आसमान में कई ग्रह , बहुत सारे तारे और अन्य कई प्रकार के पिण्ड दिखाई देते है , जब इन सभी को एक साथ एक समूह में रखा जाता है तो इस पूरे समूह को ब्रह्मांड कहा जाता है , इस समूह में पृथ्वी भी शामिल है , पृथ्वी इस समूह या ब्रह्मांड में एक बहुत छोटा सा अंश माना जाता है।
- ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में विस्तार से हमारे ऋग्वेद के नासदीय सूक्त में समझाया गया है , स्वामी विवेकानंद ने भी पृथ्वी की उत्पत्ति के सन्दर्भ में अद्वेतवाद विचार को हमारे सामने रखा।
- जैवकेन्द्रिकता सिद्धांत के अनुसार विश्व का अस्तित्व का आधार ही जीवन है अर्थात जीवन के कारण ही इस विश्व की रचना की गयी है अर्थात विश्व में जीवन की रचना करने के उद्देश्य से ही विश्व की उत्पत्ति हुई है। और यही कारण है कि ऐसा लगता है विश्व में जितनी घटना भी घटित हुई थी वे सभी घटनाएँ मानव हित में या जीवन उत्पत्ति के हित में ही घटित हुई थी।
- डार्विन में अपने सिद्धांत में आकस्मिक घटनाओ के आधार पर जैव विकास या जीवन को समझाया था।
- वही बिगबैंग अवधारणा के अनुसार ये सघन और बहुत ही अधिक गर्म पिंड का लगभग 138 अरब वर्ष पूर्व महाविस्फोट हुआ और इस विस्फोट के फलस्वरूप इस सघन और गर्म पिंड से ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति हुई थी।
- वैज्ञानिको ने विभिन्न प्रकार के प्रयोग करके यह ज्ञात किया कि ब्रह्माण्ड में पृथ्वी जैसे बहुत सारे ग्रह और भी है लेकिन पूरे ब्रह्माण्ड में केवल पृथ्वी पर ही जीवन उत्पत्ति संभव है।
- जैव विकास को समझाने के लिए ओपरेन ने बताया कि रासायनिक पदार्थो के जटिल संयोजन के फलस्वरूप ही जीवन का विकास हुआ है , अर्थात रासायनिक पदार्थो ने आपस में कई प्रकार की अभिक्रिया या आपस में संयोजन किया जिसके फलस्वरूप पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति या विकास हो पाया।
- प्रत्येक जाति के विकास का एक महत्वपूर्ण इतिहास होता है और इस इतिहास को उस जाती का जातिवृत कहा जाता है।