समावयवी नाभिक , नाभिको के प्रकार , नाभिकीय संरचना , दर्पण या प्रतीप नाभिक , समभारिक , समन्युट्रोनिक types of nucleus in physics in hindi

types of nucleus in physics in hindi , समावयवी नाभिक , नाभिको के प्रकार , नाभिकीय संरचना , दर्पण या प्रतीप नाभिक , समभारिक , समन्युट्रोनिक :-

नाभिकीय भौतिकी :

नाभिकीय संरचना : नाभिक का प्रतिक ZXA या ZAX या XZA होता है अर्थात नाभिक का प्रतिक =  ZXA

यहाँ Z = परमाणु का परमाणु क्रमांक

A = नाभिक की द्रव्यमान संख्या

A-Z = नाभिक में न्यूट्रॉन की संख्या

X = तत्व के परमाणु का प्रतीक

नाभिक में उपस्थित प्रोटोनों की संख्या को परमाणु का परमाणु क्रमांक कहते है।

नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन व न्यूट्रोन की कुल संख्या को नाभिक की द्रव्यमान संख्या कहते है।

नाभिक में उपस्थित प्रोटोन व न्यूट्रोनो को नाभिक के न्युक्लिओन कहते है।

नाभिक में उपस्थित न्युट्रोन व प्रोटोन का द्रव्यमान लगभग समान होता है। परन्तु न्युट्रोन का द्रव्यमान प्रोटोन के द्रव्यमान से 0.5% अधिक होता है।

न्युट्रोन का द्रव्यमान Mn = 1.674929 x 10-27 किलोग्राम

प्रोटोन का द्रव्यमान Mp = 1.672623 x 10-27 किलोग्राम

Mn = Mp = 1.67 x 10-27 किलोग्राम

नाभिक में उपस्थित प्रोटोन धनावेशित प्रकृति का होता है जबकि नाभिक में उपस्थित न्युट्रोन उदासीन प्रकृति का होता है।

नाभिक में उपस्थित प्रोटोन का आवेश परिमाण में इलेक्ट्रॉन के आवेश के बराबर होता है जबकि न्युट्रोन का आवेश शून्य होता है।

इलेक्ट्रॉन एक मौलिक कण होता है जबकि नाभिक में उपस्थित प्रोटोन व न्युट्रोन क्वार्क कणों से मिलकर बने होते है।

नाभिको के प्रकार :

  1. समस्थानिक नाभिक: वे दो या दो से अधिक नाभिक जिनमे प्रोटोनों की संख्या तो समान हो परन्तु न्युट्रोनो की संख्या व द्रव्यमान संख्या अलग अलग हो , समस्थानिक नाभिक कहलाते है।

उदाहरण : 1H1 , 1H2 , 1H3

6C12 व 6C14

7N14 , 7N15

8O15 , 8O16 , 8O17

समस्थानिक नाभिको में कुछ नाभिक स्थायी व कुछ नाभिक अस्थायी होते है।

समस्थानिक नाभिको में प्रोटोनो की संख्या समान होने के कारण इनके रासायनिक गुण समान होते है परन्तु न्युट्रोनो की संख्या व द्रव्यमान संख्या अलग अलग होने के कारण इनके भौतिक गुण अलग होते है।

समस्थानिक नाभिको को रासायनिक गुण के आधार पर पृथक पृथक नहीं किया जा सकता परन्तु इनके भौतिक गुण व द्रव्यमान स्पक्ट्रोग्राफ के आधार पर पृथक पृथक किया जा सकता है।

  1. समन्युट्रोनिक नाभिक: वे दो या दो से अधिक नाभिक जिनमे न्युट्रोनो की संख्या तो समान हो परन्तु द्रव्यमान संख्या व प्रोटोनो की संख्या अलग अलग हो समन्यूट्रोनिक नाभिक कहलाते है।

उदाहरण : 1H3 व 2He4

6C14 व 8O16

7N14 व 8N15

11Na23 व 12Mg24

समन्यूट्रोनिक नाभिको में न्युट्रोनो की संख्या समान होने के कारण इनके भौतिक गुण समान होते है परन्तु प्रोटोनो की संख्या व द्रव्यमान संख्या अलग अलग होने के कारण इनके रासायनिक गुण अलग अलग होते है।

समन्युट्रोनिक नाभिको को भौतिक गुण के आधार पर पृथक पृथक नहीं किया जा सकता है परन्तु इनको रासायनिक गुण व द्रव्यमान स्पेक्ट्रोग्राफ के आधार पर पृथक पृथक किया जा सकता है।

  1. समभारिक नाभिक: वे दो या दो से अधिक नाभिक जिनकी द्रव्यमान संख्या तो समान हो परन्तु प्रोटोनो की संख्या व न्युट्रोनो की संख्या अलग अलग हो , समभारिक नाभिक कहलाते है।

उदाहरण : 1H3 व 2He3

समभारिक नाभिको में प्रोटोनो की संख्या व न्युट्रोनो की संख्या दोनों अलग अलग होने के कारण इनके भौतिक गुण व रासायनिक गुण दोनों अलग अलग होते है।

समभारिक नाभिको को भौतिक गुण व रासायनिक गुण दोनों के आधार पर पृथक पृथक किया जा सकता है।

4. दर्पण या प्रतीप नाभिक

वे दो नाभिक जिनमे पहले नाभिक के प्रोटोनों की संख्या दुसरे नाभिक के न्युट्रोनो की संख्या के समान हो तथा दुसरे नाभिक के प्रोटोनों की संख्या पहले नाभिक के न्युट्रोनो की संख्या के समान हो , दर्पण नाभिक कहलाते है।

दर्पण नाभिकों में दोनों नाभिको की द्रव्यमान संख्या समान होती है तथा परमाणु क्रमांक में एक का अंतर होता है।

दर्पण नाभिको में द्रव्यमान संख्या समान होने के कारण इन्हें समभारिक दर्पण नाभिक भी कहते है।

उदाहरण : (i) 1H3 व 2He3

P = 1       P = 2

N = 2       N = 1

(ii) 7N15 व 8O15

P = 7      P = 8

N = 8     N = 7

(iii) 11Na23 व 12Mg23

P = 11     P = 12

N = 12     N = 11

  1. समावयवी नाभिक: एक ही तत्व के वे दो नाभिक जिनकी द्रव्यमान संख्या व परमाणु क्रमांक समान हो परन्तु दोनों के रेडियोएक्टिव गुण अलग अलग हो , एक दूसरे के समावयवी नाभिक कहलाते है।

समावयवी नाभिको में एक नाभिक उत्तेजित अवस्था में होता है जिस पर स्टार (*) का चिन्ह लगाकर प्रदर्शित किया जाता है तथा दूसरा नाभिक मूल अवस्था में होता है जिस पर किसी प्रकार का चिन्ह नहीं लगाया जाता है।

समावयवी नाभिको में उत्तेजित नाभिक v विकिरण (गामा विकिरण) का उत्सर्जन करके मूल नाभिक में अर्थात मूल अवस्था में परिवर्तित होता है।

उदाहरण : ZXA *  → ZXA + v विकिरण

उत्तेजित अवस्था  मूल अवस्था