जब भूकंप मानव जनित कारणों से उत्पन्न होते है तो उन्हें मानवजन्य भूकंप कहते है , इनमे तीन कारण मुख्य है जो निम्न प्रकार है –
इन भूकम्पो की तीव्रता विस्फोट की तीव्रता पर निर्भर करती है अर्थात विस्फोट जितना अधिक होता है भूकंप की तीव्रता उतनी ही अधिक होगी।
3. अवकेन्द्र की गहराई के आधार पर
किसी भूकंप के अवकेंद्र की पृथ्वी की सतह से कितनी गहराई है इस आधार पर भूकंप तीन प्रकार के हो सकते है –
(a) सामान्य भूकंप (moderate earthquake) : इस प्रकार के भूकम्पो में अवकेन्द्र की गहराई पृथ्वी के सतह से लगभग 50 किलोमीटर होती है। इस प्रकार के भूकम्पो का परिमाण कम होता है लेकिन अवकेन्द्र के सतह के पास स्थित होने के कारण ये भूकंप विनाशकारी होते है।
(b) मध्यम भूकम्प (intermediate earthquake) : इस प्रकार के भूकम्प में अवकेंद्र की गहराई लगभग 50 किलोमीटर से 250 किलोमीटर तक होती है। इन भूकम्पो का परिमाण और तीव्रता दोनों ही मध्यम होती है।
(c) गहरे भूकम्प (deep focus earthquake) : इस तरह के भूकम्पो में अवकेंद्र की गहराई 250 किलोमीटर से 700 किलोमीटर होती है। इन भूकम्पो का परिमाण और तीव्रता दोनों ही उच्च होती है। इस प्रकार के भूकंप बहुत अधिक विनाशकारी होते है। इस प्रकार के भूकम्पो को ही “पातालीय भूकंप” कहते है।
भूकंप का वितरण (distribution of earthquake)
1. परिप्रशांत महासागरीय पेटी : यह विश्व की सबसे प्रमुख भूकंप पेटी होती है क्योंकि विश्व के लगभग दो तिहाई (2/3 rd) या लगभग 63% भूकंप इसी पेटी क्षेत्र में आते है।
यह पेटी अभिसारी प्लेट किनारों पर स्थित है और चूँकि यह एक सक्रीय ज्वालामुखी पेटी होती है इसलिए इस पेटी क्षेत्र में उच्च तीव्रता के भूकम्प आते है। इस पेटी क्षेत्र में विवर्तनिक , ज्वालामुखी और समस्थितिक प्रकार के भूकम्प आते है।
इस पेटी क्षेत्र में दक्षिणी अमेरिका और उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी भाग के भूकम्प शामिल है और इसके साथ ही जापान और फिलीपींस के भूकम्प भी इसी पेटी क्षेत्र से सम्बन्धित है।
2. मध्य महाद्वीपीय पेटी : यह पेटी महाद्वीपीय प्लेटो के मध्य अभिसारी प्लेट किनारों पर स्थित होती है। इस पेटी क्षेत्र में विश्व के लगभग 21% भूकम्प आते है अत: यह दुसरे नंबर की प्रमुख पेटी है। चूँकि यहाँ अभिसारी प्लेट किनारे है और अभिसारी प्लेट किनारे होने के कारण ही यहाँ उच्च तीव्रता के भूकम्प आते है।
इस पेटी क्षेत्र में भारत , दक्षिणी यूरोप , पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका में आने वाले भूकम्प सम्मिलत है।
3. मध्य महासागरीय पेटी : यह पेटी महासागरीय क्षेत्र में अपसारी प्लेट किनारों पर स्थित है। अपसारी प्लेट किनारों पर स्थित होने के कारण इस पेटी क्षेत्र में मध्यम तीव्रता के भूकम्प आते है।
यह भुकम्प महासागरीय कटक वाले क्षेत्र में आते है।
4. अन्य क्षेत्र : भूकम्प कई अन्य क्षेत्रो में आते है जैसे खनन , विस्फोट , बाँध वाले क्षेत्र , ज्वालामुखी तप्त स्थल , भ्रंश निर्माण वाले क्षेत्र , पूर्वी अफ़्रीकी भ्रंश घाटी वाले क्षेत्र में भी भूकम्प आते है।
भारत में भूकम्प (earthquake in india)
भारत में सर्वाधिक भूकंप हिमालय पर्वतीय क्षेत्र में आते है क्योंकि यह क्षेत्र अभिसारी प्लेट किनारों पर स्थित है।
इस क्षेत्र में प्रतिवर्ष इंडो-आस्ट्रेलिया प्लेट , 1 सेंटीमीटर की दर से यूरेशियन प्लेट की ओर बढ़ रही है।
अब तक दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत को भूकम्प से सुरक्षित माना जाता है और इसका कारण यह था कि भारत एक पुराना और स्थिर भू-भाग है लेकिन पिछले कुछ वर्षो में महाराष्ट्र के ‘लातूर-ओसमानाबाद’ क्षेत्र में भूकम्प आने लगे है।
और इस क्षेत्र में आने वाले भूकम्प का प्रमुख कारण भ्रंश का निर्माण है। ऐसा ज्ञात होता है कि “कृष्णा-भीमा” नदी वाले क्षेत्र में भ्रंश का निर्माण हो रहा है और इस भ्रंश निर्माण के कारण ऊर्जा मुक्त होती है और यहाँ भूकम्प आते है अत: अब भारत के किसी भी भाग को पूर्ण रूप से भूकम्प से सुरक्षित नहीं माना जा सकता है।
भारत में भूकम्प का मापन (earthquake measurement in india)
भारत में भूकम्प का मापन मेदवेदेव स्पूनर कार्निक स्केल (medvedev sponheuer karnik scale) नामक पैमाने द्वारा किया जाता है। यह स्केल 1964 में लाया गया था और इसलिए इस स्केल को MSK-64 भी कहते है।
यह स्केल मरकेली स्केल पर आधारित होता है। इस स्केल में 1 से 12 तक की इकाइयां होती है जो रोमन आंकड़ो में लिखी जाती है।
अर्थात इसमें I-XII तक के अंक लिखे होते है।
भारत में भूकम्प का वितरण इसी स्केल के आधार पर दर्शाया जाता है।
भारत के भूकंपीय क्षेत्र का भारत में भूकम्प का वितरण (distribution of earthquake in india)
Zone-V (अत्यधिक क्षति जोखिम क्षेत्र) : इस क्षेत्र में MSK-IX या उससे भी उच्च तीव्रता के भूकम्प आते है। इस क्षेत्र में अभिसारी प्लेट किनारे स्थित होने के कारण उच्च तीव्रता के भूकम्प आते है।
भारत में यह सर्वाधिक भूकम्प से प्रभावित क्षेत्र है। इस क्षेत्र में उत्तर-पूर्वी राज्य , उत्तरी बिहार , उतराखंड , हिमाचल प्रदेश , जम्मू कश्मीर , कच्छ (गुजरात) और अंडमान निकोबार द्वीप समूह सम्मिलित है।
Zone-IV (अधिक क्षति जोखिम क्षेत्र) : इस क्षेत्र में MSK-VIII तीव्रता के भूकम्प आते है। यह क्षेत्र Zone-V के समीप स्थित है। इस क्षेत्र में सिक्किम , पश्चिम बंगाल , बिहार , उत्तर प्रदेश , उत्तराखंड , हिमाचल प्रदेश , जम्मू-कश्मीर , लद्दाक , पंजाब , हरियाणा , राजस्थान , गुजरात और महाराष्ट्र सम्मिलित है।
Zone-III (मध्यम क्षति जोखिम क्षेत्र) : इस क्षेत्र में MSK-VII तीव्रता के भूकम्प आते है। यह क्षेत्र मुख्यतः उत्तरी मैदानी प्रदेश और प्रायद्वीपीय भारत में विस्तृत है।
इस ज़ोन में पंजाब , हरियाणा , राजस्थान , उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश , बिहार , झारखंड , उड़ीसा , छत्तीसगढ़ , गुजरात , महाराष्ट्र , कर्नाटक , केरल , तमिलनाडु , आंध्रप्रदेश और गोवा सम्मिलित है।
Zone-II (निम्न क्षति जोखिम क्षेत्र) : इस क्षेत्र में MSK-VI या उससे कम तीव्रता के भूकम्प आते है। भारतीय मानक ब्यूरो ने zone-I को zone-II में मिला दिया है। यह जोन उत्तरी पश्चिमी भारत और प्रायद्वीपीय भारत में विस्तृत है। यह भूकम्प से सबसे कम प्रभावित क्षेत्र है।
भारत का लगभग 46% भाग भूकम्प से कम प्रभावित रहता है।
इस जोन में पंजाब , हरियाणा , राजस्थान , गुजरात , उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश , महाराष्ट्र , छत्तीसगढ़ , उड़ीसा , कर्नाटक , तेलंगाना , आंध्रप्रदेश , केरल तथा तमिलनाडु।
समभूकंपीय रेखा (iso seismic line) : वह रेखा जो समान भूकंपीय तीव्रता वाले स्थानों को जोडती है उस रेखा को सम भूकंपीय रेखा कहते है।
होमो सिस्मल रेखा (homoseismal line) : वह रेखा जो उन क्षेत्रो को जोडती है जहाँ एक ही समय पर भूकम्प आते है।
भूकम्प के प्रभाव (effects of earthquake)
भूकंप के प्रभावों को दो वर्गों में बाँट कर समझा जा सकता है –
सकारात्मक प्रभाव :
- पृथ्वी की आंतरिक संरचना में सहायता मिलती है।
- भूकम्प के कारण कुछ भू-भाग ऊपर की ओर उठ जाते है जिसके कारण भूमि प्राप्त होती है जैसे द्वीप।
- भूकम्प के कारण जब तटवर्ती क्षेत्र में कोई भू-भाग धंसता है तो गहरे बंदरगाह का निर्माण होता है।
नकारात्मक प्रभाव :
- भूकम्प के कारण जान-माल की हानि होती है।
- अवसंरचनाओ का विनास होता है।
- अन्य आपदाओ को बढ़ावा मिलता है जैसे ज्वालामुखी , भूस्खलन , हिम-स्खलन , बाढ़ आदि।
- भूकम्प के कारण आर्थिक , सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से नुक्सान होता है।