विश्व के सन्दर्भ में परिवहन व संचार , परिवहन की परिभाषा क्या है , प्रकार , सडक परिवहन transport in hindi

विश्व के सन्दर्भ में परिवहन व संचार :

तृतीय क्रियाकलाप : व्यापर व वाणिज्य , परिवहन , संचार सेवाएं।

परिवहन : वस्तु या सेवा का एक स्थान से दुसरे स्थान पर आदान-प्रदान करना ही परिवहन कहलाता है।

संचार : अपने शब्दों , विचारों , संदेशो को एक स्थान से दुसरे स्थान पर भेजना संचार कहलाता है।

परिवहन (transport in hindi) :

  1. स्थल परिवहन : रेल , सडक।
  2. जल परिवहन : समुद्री , आंतरिक।
  3. वायु परिवहन : वायु।
  4. पाइप लाइन : जल , स्थल।
प्रश्न : सडक परिवहन किसे कहते है ? सडक परिवहन की मुख्य विशेषता दीजिये।
उत्तर : सडक परिवहन : सडक परिवहन को स्थल परिवहन भी कहते है , सडक परिवहन द्वार से द्वार सेवा उपलब्ध कराता है। अन्य परिवहन की तुलना में सडक परिवहन में कम पूंजी की आवश्यकता होती है।
ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए सडक परिवहन व्यवस्था पहली अनिवार्यता है।  सडक परिवहन का एक ऐसा साधन है जो अन्य परिवहन को आपस में जोड़ने का कार्य करता है।  सडक परिवहन में ऐसे कई प्रायद्वीपीय महामार्ग है जो महाद्वीप के एक छोर को दुसरे छोर से जोड़ते है।  कनाडियन महामार्ग प्रशासनिक के आधार पर सडक परिवहन के विभिन्न रूप है –
  • अन्तराष्ट्रीय सड़क
  • राष्ट्रीय सड़क
  • राज्य सडके
  • जिला सड़के
  • ढलाक सडके
  • ग्रामीण सड़के
गौरवपथ योजना : ग्रामीण क्षेत्रो में सडको का निर्माण करना।
भारत की स्थलीय सीमा 15200 किलोमीटर
तटीय सीमा – 6100 किलोमीटर
पक्की सड़के – विकसित
कच्ची सड़के – अल्प विकसित
कच्ची-पक्की – विकासशील
प्रश्न : भारत , रूस , अफ्रीका , अमेरिकन , ऑस्ट्रेलिया में सडक परिवहन को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर :

1. भारत :

भारत में भी अनेक महामार्ग है।  पक्की सडको की लम्बाई की दृष्टि से भारत का विश्व में तीसरा स्थान है।  यहाँ लगभग 14.6 लाख किलोमीटर लम्बी सडके है।  कच्ची व पक्की सभी प्रकार की सड़को की लम्बाई 33 लाख किमी है।  भारत में सडको (राजमार्गो) को राष्ट्रीय , राज्यीय मार्ग और जनपदीय श्रेणियों में विभक्त किया जाता है। देश में कुल 230 प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग (एन.एच) है।  देश का सबसे लम्बा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 7 है जो वाराणसी को कन्याकुमारी से जोड़ता है।  स्वर्णिम चतुर्भुज योजना में चार बड़े महानगरो को मिलाया गया।
कारीडार योजना में उत्तर दक्षिण व पूर्व पश्चिम को मिलाया , जिसमे पूर्व में असम में सिलचर से पश्चिम में गुजरात के पोरबन्दर को जोड़ा गया।
उत्तर कारीडोर में कश्मीर से कन्याकुमारी को जोड़ा गया तथा निर्माणाधीन द्रवगामी सिक्सलेन , आठलेन महामार्ग व ग्रीन कारीडार हाईवे का निर्माण किया जा रहा है इसके निर्माण व रख रखाव का कार्य “राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण” करता है।
सीमावर्ती सड़के : अन्तराष्ट्रीय सीमाओ के सहारे बनाई गई सडको को सीमावर्ती सड़के कहा जाता है। ये सडके सुदूर क्षेत्रो में रहने वाले लोगो को प्रमुख नगरो से जोड़ने और प्रतिरक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।  प्राय सभी देशो में गाँवों एवं सैन्य शिविरों तक वस्तुओ को पहुचाने के लिए ऐसी सडके बनाई जाती है।

2. रूस

रूस में यूराल के पश्चिम में स्थित औद्योगिक प्रदेश में महामार्गो के अत्यधिक सघन जल का विकास हुआ है।  जिसकी धुरी मास्को है।
महत्वपूर्ण मास्को – ब्लाडीवोस्टक महामार्ग पूर्व में स्थित प्रदेश की सेवा करता है , अत्यधिक विस्तृत भौगोलिक क्षेत्रफल के कारण रूस में महामार्ग इतने नहीं जितने रेलमार्ग है।

3. अफ्रीका

अफ्रीका महाद्वीप में स्थलाकृति की विविधता के कारण सडके ही परिवहन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण साधन है।  यूरोप में वाहनों की बहुत विशाल संख्या तथा महामार्गो का सुविकसित जाल पाया जाता है।  वस्तु महामार्गो की रेलमार्गों एवं जलमार्गो के साथ कड़ी प्रतिद्वंद्वीता का सामना करना पड़ता है।
4. पैन – अमेरिकन महामार्ग : यह विश्व की सबसे लम्बी सडक है जो दक्षिण अमेरिका के देशो को मध्य अमेरिका मक्सिको एवं USA से मिलती है।  यह महामार्ग अलास्का के उत्तर पश्चिम से शुरू होकर सैटियागो (चिली) व्युनम आयर्स (अर्जेन्टाइना) होते हुए व्रासिलिया (ब्राजील) में समाप्त होती है।
5. स्टूअर्ट महामार्ग : यह महामार्ग उत्तरी ऑस्ट्रेलिया से रीयत बिरटूम को एतिस रिचुंग होते हुए दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में स्थित उनादता से जोडती है।

रेलमार्ग

विशेषता :
  1. रेलमार्ग में अधिक वस्तुओ व भारी वस्तुओ को ले जाया जाता है।
  2. रेलमार्ग में अन्य परिवहन से अधिक पूंजी लगती है।
  3. रेलमार्ग के प्रारूप को बनाने के लिए भी पूंजी की आवश्यकता होती है।
  4. रेलमार्ग में तीन पट्टियाँ होती है।
  • नेरो गेज – 6.7 से 7.3
  • मीटर – 1 मीटर
  • ब्राड गेज – 1.6 से 1.73
5. पार महाद्वीपीय रेलमार्ग : एक सीमा से दूसरी सीमा को जोड़ता है उसे रेलमार्ग कहते है।