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हैलोजन व्युत्पन्न (halogen derivatives in hindi) , एल्किल हैलाइड का वर्गीकरण  , वाइनिल , एरिल

By   October 7, 2019

(halogen derivatives in hindi) हैलोजन व्युत्पन्न :

यह निम्न है –

  1. एल्किल हैलाइड
  2. एरिल हैलाइड
  3. एल्किल डाई हैलाइड
  4. एल्किल ट्राई हैलाइड
  5. एल्किल टेट्रा हैलाइड
  6. फ्रेओन्स
  7. D.D.T
  8. B.H.C
  1. अल्काइल हैलाइड: संतृप्त हाइड्रोकार्बन में एक हाइड्रोजन के स्थान पर हैलोजन जुडा हो तो ऐसे यौगिक एल्किल हैलाइड कहलाते है।

उदाहरण : एल्किल हैलाइड , मैथिल क्लोराइड।

एल्किल हैलाइड का सिंपल फार्मूला : CnH2n+1X

यहाँ : n = 1 , 2 , 3 ….

X = F , Cl , Br , I

एल्किल हैलाइड का वर्गीकरण

प्रश्न : 10 , 20 , 30 एल्किल हैलाइड को उदाहरण की सहायता से समझाते हुए हैलोजन से जुड़े कार्बन की संकरण अवस्था बताइये।

उत्तर : (i) प्राथमिक एल्किल हैलाइड [10]

उदाहरण : एथिल क्लोराइड।

(ii) द्वितीय एल्किल हैलाइड [20]

उदाहरण : आइसो प्रोपिल क्लोराइड।

(iii) तृतीय एल्किल हैलाइड [30]

उदाहरण : टेट्रा ब्यूटाइल क्लोराइड।

प्रश्न : 10 , 20 , 30 ऐलाइल हैलाइड के उदाहरण देते हुए हैलोजन से जुड़े कार्बन की संकरण अवस्था बताइये।

उत्तर :  (i) प्राथमिक ऐलाइल हैलाइड [10]

उदाहरण : ऐलाइल क्लोराइड।

(ii) द्वितीय ऐलाइल हैलाइड [20]

उदाहरण : 3-क्लोरो-1-बुटेन

(iii) तृतीय ऐलाइल हैलाइड [30]

उदाहरण : 3-क्लोरो-3-मैथिल-1-बूटेन

प्रश्न : 10 , 20 , 30 बेन्जिल हैलाइड का उदाहरण की सहायता से समझाइये व हैलोजन से जुड़े कार्बन की संकरण अवस्था बताइये।

उत्तर :   (i) प्राथमिक बेन्जिल हैलाइड [10]

उदाहरण : बेन्जिल क्लोराइड या क्लोरो फेनिल मीथेन

(ii) द्वितीय बेन्जिल हैलाइड  [20]

उदाहरण : 1 क्लोरो -1-फेनिल एथेन

(iii) तृतीय बेन्जिल हैलाइड [30]

उदाहरण : 2-क्लोरो-2-फेनिल प्रोपेन

प्रश्न : पाइनिल हैलाइड को उदाहरण की सहायता से समझाइये एवं हैलोजन से जुड़े कार्बन की संकरण अवस्था बताइये।

उदाहरण : विनाइल क्लोराइड क्लोरो एथेन (क्लोरो साइक्लो हेक्सेन)

समावयवता

  1. chain isomerism

उदाहरण : 1-क्लोरो बुटेन

1-क्लोरो-2-मैथिल प्रोपेन

  1. स्थिति समावयवता 

उदाहरण : 1-क्लोरो बुटेन

2-क्लोरो बुटेन

  1. optical isomerism: chiral carbon containing halide show the optical isomerism .

C-X बंध की प्रकृति

(i) एल्किल हैलाइड :

  • इसमें C-X बंध का निर्माण SP3-P अतिव्यापन द्वारा होता है।
  • इसमें C-X बंध लम्बाई 1.78 एंगस्ट्राम होती है।

(ii) वाइनिल हैलाइड :

  • इसमें C-X बंध का निर्माण SP3-P अतिव्यापन द्वारा होता है।
  • इसमें C-X बंध की लम्बाई 1.69 A होती है।
  • इसमें बंध लम्बाई , एकल बन्ध से कम व द्विबंध से अधिक होती है।
  • ऐसा अनुनाद पाए जाने के कारण होता है।

(iii) एरिल हैलाइड :

  • इसमें C-X बंध का निर्माण SP3-P अतिव्यापन द्वारा होता है।
  • इसमें C-X बंध की लम्बाई 1.6 A  है।
  • इसमें C-X बंध नहीं टूटता है क्योंकि अनुनाद पाया जाता है।

प्रश्न : विभिन्न हैलोजन की मैथिल समूह के साथ बंध लम्बाई दीजिये।

उत्तर :

यौगिकबंध लम्बाई (pm)
CH3-F139 pm
CH3-Cl178 pm`
CH3-Br193 pm
CH3-I214 pm

बनाने की विधियाँ :

(i) एल्केन के हैलोजनीकरण द्वारा :CH3-CH3 + Cl2 → CH3-CH2-Cl

(ii) एल्किन की HX (HCl , HBr) से क्रिया द्वारा :

(iii) एल्कोल द्वारा :

निम्न विधियाँ प्रयुक्त करते है –

(a) हलोजन अम्ल की क्रिया से

(b) थिओनिल क्लोराइड की क्रिया से

(c) PCl5 and PClकी क्रिया से

(a) हलोजन अम्ल की क्रिया द्वारा :

नोट :

  • इस अभिक्रिया से सान्द्र H2SOand Anhydo ZnCl2 द्वारा H2O का अवशोषण किया जाता है।
  • इन अभिक्रियाओ में हैलोजन अम्लो की क्रियाशीलता का बढ़ता क्रम निम्न है –

HCl < HBr < HI

  • इस अभिक्रिया में एल्कोहल की क्रियाशीलता का बढ़ता क्रम निम्न है –

CH3OH < 10 < 20 < 30

इस अभिक्रिया में HBr व HI को NaBr व NaI की सान्द्र H2SOकी से प्राप्त करते है।

प्रश्न : R-Cl निर्माण की सर्वोत्तम विधि दीजिये।

उत्तर : एल्कोहल की अभिक्रिया SOCl2 से पिरिडीन की उपस्थिति में करने पर R-Cl बनता है।  इसे डोर्जन अभिक्रिया भी कहते है।

इस अभिक्रिया में सह उत्पाद SO2 व HCl गैसीय अवस्था में होने के कारण आसानी से पृथक हो जाते है।  इसलिए इसे R-Cl निर्माण की सर्वोत्तम विधि कहते है।

प्रश्न : डॉर्जन अभिक्रिया में उत्प्रेरक का मिश्रण दीजिये।

उत्तर : SOCl+पिरिडीन

प्रश्न : डॉर्जन अभिक्रिया द्वारा R-Cl बनता है जबकि R-Br और R-I नहीं बनता है , क्यों ?

उत्तर : क्योंकि SOBr2 अस्थायी है तथा SOI2 अज्ञात है।

हैलोजन विनिमय विधि (by halogen exchange method) :

  1. फिंकेल्स्टाइन अभिक्रिया
  2. स्वार्ट अभिक्रिया
  3. फिंकेल्स्टाइन अभिक्रिया: इस अभिक्रिया द्वारा मुख्य रूप से आयोडाइड बनाये जाते है।

R-X + NaI → R-I + NaX

यहाँ X = Cl , Br

उदाहरण :

C2H5-Cl + NaI → C2H5-I + NaCl

नोट : इस अभिक्रिया में NaI शुष्क एसीटोन में विलेय होने के कारण अभिक्रिया आसानी से संपन्न होती है।

NaCl व NaBr अवक्षेपित होने के कारण अभिक्रिया आसानी से ला-शेतेलिय के नियम से अग्र दिशा में संपन्न होती है।

  1. स्वार्ट अभिक्रिया: इस अभिक्रिया द्वारा मुख्य रूप से एल्किल फ्लोराइड बनाये जाते है।

R-X + AgF → R-F + AgX

यहाँ X = Cl , Br

उदाहरण :

C2H5-Cl + AgF → C2H5-F + AgCl

  1. वसा अम्लो के सिल्वर लवणों द्वारा या हुन्संडीकर अभिक्रिया या विकार्बोक्सीलीकरण ब्रोमिनिकरण अभिक्रिया :
  • वसा अम्लो के बने सिल्वर लवणों की अभिक्रिया CCl4 की उपस्थिति में ब्रोमिन के साथ करवाने पर एल्किल या एरिल ब्रोमाइड बनते है , इसे हूंस डीकर अभिक्रिया कहते है।
  • इस अभिक्रिया में एक कार्बन कम वाला उत्पाद प्राप्त होता है।
  • इस अभिक्रिया में CO2 का त्याग होता है व ब्रोमिन जुड़ता है इसलिए इस अभिक्रिया को संयुक्त रूप से विकार्बोक्सिलीकरण ब्रोमिनीकरण अभिक्रिया भी कहते है।
  1. एमिन द्वारा: एमिन की अभिक्रिया टिल्डेन अभिकर्मक या नाइट्रोसील क्लोराइड (NOCl) के साथ करवाने पर एल्किल क्लोराइड बनते है।

R-CH2-NH2 + NOCl → R-CH2-Cl + N2 + H2O