यहाँ हम जान लेंगे कि वेग का रुपान्तरण क्या है , transformation of velocity in hindi | त्वरण का रुपान्तरण (transformation of acceleration) किसे कहते हैं ?
वेग का रुपान्तरण (transformation of velocity) : यदि कण P समय के सापेक्ष स्थिर नहीं है अर्थात P का स्थिति सदिश t का फलन है तो समीकरण 3 को t के सापेक्ष अवकलन करने पर –
dr’/dt = dr/dt – V
v’ = v – V ………………………………..समीकरण-10
यहाँ v’ और v क्रमशः निर्देश तन्त्र S’ और S में कण P के वेग है |
समीकरण-10 वेग का गैलीलियन रूपांतरण समीकरण कहलाता है |
त्वरण का रुपान्तरण (transformation of acceleration)
समीकरण (10) का समय t के सापेक्ष अवकलन करने पर
dv’/dt = dv/dt – 0
क्योंकि S’ तन्त्र का S के सापेक्ष वेग नियत है अत: dV/dt = 0 होगा |
a’ = a
यहाँ a’ और a क्रमशः निर्देश तन्त्र S’ तथा S में कण के त्वरण है। समी. (11) त्वरण का गैलीलियन रूपान्तर समीकरण कहलाता है। इस समीकरण से यह प्रकट होता है कि निर्देश तंत्र के नियत वेग से गति करने पर त्वरण के मान में कोई परिवर्तन नहीं होता है। दूसरे शब्दो में, यदि P पर कोई बाह्य बल नहीं लग रहा तो दोनों ही तन्त्रों में त्वरण शून्य होगा अर्थात् न्यूटन का प्रथम नियम जिसे जड़त्व का नियम भी कहते हैं इस प्रकार के नियत वेग से गतिशील तन्त्रों में वैध रहता है। अतः जड़त्वीय निर्देश फ्रेम के सापेक्ष कोई अन्य निर्देश फ्रेम नियत वेग से गति कर रहा है तो वह भी जड़त्वीय निर्देश फ्रेम होता है।
समी. (11) को त्वरण के गैलीलियन के निश्चरता का नियम भी कहते हैं। (v) बल का रूपान्तरण (Transformation of force)
गैलीलियन रूपान्तरण सिद्धान्त के अनुसार सभी जड़त्वीय निर्देश तन्त्रों में कण का द्रव्यमान अचर रहता है। अतः समी. (11) के दोनों ओर कण के द्रव्यमान m से गुणा करने पर
ma’ =ma F’ =F …………………(12)
अतः सभी जड़त्वीय निर्देश तन्त्रों में मापित कण पर आरोपित बल का मान समान होता है। इसे बल के गैलीलियन निश्चरता का नियम भी कहते हैं। समीकरण (12) से यह प्रकट होता है कि न्यूटन का द्वितीय नियम सभी जड़त्वीय निर्देश तन्त्रों में वैध रहता है।
संवेग संरक्षण सिद्धांत (Law of conservation of momentum)
गैलीलियन रुपान्तरण में कणों का संवेग अपरिवर्ती नहीं रहता क्योंकि कण का वेग भिन्न जडत्वीय निर्देश तंत्रों में भिन्न प्राप्त होता है , लेकिन संवेग संरक्षण का सिद्धान्त अपरिवर्ती (invariant) रहता है | उदाहरण के लिए मान लीजिये किसी निर्देश तन्त्र S में दो कणों के द्रव्यमान m1 और m2 हैं और उनके वेग क्रमशः u1 और u2 हैं | इन कणों की परस्पर टक्कर के पश्चात् उनके वेग क्रमशः v1 और v2 हो जाते हैं | इस निर्देश तन्त्र में संवेग संरक्षण के नियमानुसार –
m1u1 + m2u2 = m1v1 + m2v2
एक अन्य जडत्वीय निर्देश तन्त्र S’ में जो S के सापेक्ष V वेग से गतिशील है , इन कणों के वेग टक्कर से पूर्व u1 और u2 और टक्कर के पश्चात् v1′ और v2′ हैं |
चूँकि द्रव्यमान गैलीलियन रूपान्तरण में अपरिवर्ती रहता है अत:
टक्कर से पूर्व S’ तन्त्र में कुल संवेग = m1u1′ + m2u2′
टक्कर के पश्चात् S’ में कुल संवेग = m1v1′ + m2v2′
लेकिन गैलीलियन रूपान्तरण से
u1 = u1’ + V
u2 = u2’ + V
v1 = v1’ + V
v2 = v2’ + V
इसलिए समीकरण 13 से
m1(u1’ + V) + m2(u2’ + V) = m1(v1’ + V) + m2(v2’ + V)
जिससे m1u1’ + m2u2’ = m1v1’ + m2v2’
अर्थात S’ में भी टक्कर से पूर्व कुल संवेग = टक्कर के पश्चात् कुल संवेग अथवा गैलीलियन रुपान्तरण में संवेग संरक्षण सिद्धान्त अपरिवर्ती रहेगा |
ऊर्जा संरक्षण सिद्धान्त (law of conservation of energy)
जिस प्रकार गैलीलियन रूपांतरण में संवेग संरक्षण का नियम अपरिवर्तित रहता है उसी प्रकार ऊर्जा संरक्षण का नियम भी अपरिवर्ती होता है |
दो कणों की टक्कर के उदाहरण को लें तो प्रथम जडत्वीय निर्देश तन्त्र S में ऊर्जा संरक्षण के लिए –
½ m1u1’ 2 + ½ m2u2’ 2 = ½ m1v1’2 + ½ m2v2’2 + Q
यथार्थ होना चाहिए |
गैलीलियन रूपान्तरण के अनुसार u1 , u2 , v1 , v2 के मान क्रमशः u1′ , u2′ , v1′ , v2′ और V के रूप में रखने पर समीकरण में मान रखने पर |